वर्ष 2020-21 के बजट में खेती-किसानी और ग्रामीण विकास के लिए पिछले साल के मुक़ाबले 1.52 लाख करोड़ रूपये ज्यादा आवंटित किये गये हैं। इस साल, कृषि, इससे संबद्ध गतिविधियों तथा ग्रामीण विकास के लिए 2.83 लाख करोड़ रूपये आवंटित किए गये हैं। पिछले साल के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 130458 करोड़ रूपये दिये गये थे। यह लगातार तीसरा साल है जब कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन राशि में भारी-भरकम बढ़ोतरी की गई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद के पटल पर बजट-2020-21 प्रस्तुत किया। इस बजट में समाज के प्रत्येक क्षेत्र तक पहुँचने की नीतिगत मंशा दिखाई देती है। यूँ तो यह बजट सबके लिए कुछ न कुछ लेकर आया है, फिर भी इसे मुख्यतः किसान केन्द्रित कहा जा सकता है।
खेती-किसानी के लिए बड़ी राशि का आवंटन
वर्ष 2020-21 के बजट में खेती-किसानी और ग्रामीण विकास के लिए पिछले साल के मुक़ाबले 1.52 लाख करोड़ रूपये ज्यादा आवंटित किये गये हैं। इस साल, कृषि, इससे संबद्ध गतिविधियों तथा ग्रामीण विकास के लिए 2.83 लाख करोड़ रूपये आवंटित किए गये हैं। पिछले साल के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 130458 करोड़ रूपये दिये गये थे। यह लगातार तीसरा साल है जब कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन राशि में भारी-भरकम बढ़ोतरी की गई है।
गौरतलब है कि बजट 2017-18 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए सिर्फ 51576 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था। इस साल के बजट में ग्रामीण विकास और पंचायतीराज के लिए 1.23 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। वर्ष 2020-21 के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य 1.5 लाख करोड़ रूपये रखा गया है, जबकि वर्ष 2019-20 में इस मद में 1.2 लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया गया था। कम अवधि के कृषि ऋण के मद में वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में 21175 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है, जो 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 18.54 प्रतिशत ज्यादा है।
आय दोगुनी करने के लिये लक्ष्यों का निर्धारण
आज किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि से जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान देना जरूरी है। इसलिए, वर्ष 2020-21 के बजट में लक्ष्यों को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किये गये हैं। उदाहरण के तौर पर पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए ब्रूसिलोसिस और पीपीआर बीमारी को 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2025 तक कृत्रिम गर्भाधान के कवरेज को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया जायेगा।
इस क्रम में वर्ष 2022-23 तक मत्स्य उत्पादन को बढ़ाकर 200 लाख टन करने और वर्ष 2025 तक दूध प्रसंस्करण क्षमता को 53.5 से बढ़ाकर 108 मिलियन टन करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार यह भी चाहती है कि वर्ष 2024-25 तक कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपए किया जाये।
किसानों की आय को दोगुना करने के उपाय
आम बजट में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिये 16 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधारात्मक उपायों को अमल में लाने का प्रस्ताव है। इसके तहत 100 जिलों में पानी की समस्या को दूर करने, अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये 20 लाख किसानों को सोलर पंप लगाने के लिये प्रोत्साहित करने, किसानों की बंजर भूमि पर सौर पैनल इकाई लगाने संबंधी बजटीय प्रवधान किए गए हैं। साथ ही, एकीकृत कृषि प्रणाली, जीरो बजट खेती-किसानी और जैविक कृषि को बढ़ावा देने, नाबार्ड की किसानोन्मुख योजनाओं का विस्तार करने, वर्ष 2021 में 15 लाख करोड़ रुपए कृषि ऋण देने की व्यवस्था करने जैसी घोषणाएं भी बजट में की गयी हैं।
वहीं, पशुधन के इलाज की व्यवस्था करने, दुग्ध उत्पादन को 53 मीट्रिक टन से 108 मीट्रिक टन तक ले जाने, मछली उत्पादन को वर्ष 2023 तक 200 लाख टन तक बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने, दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने और 2.83 लाख करोड़ रुपए कृषि से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ाने के लिये, सिंचाई और ग्रामीण विकास पर खर्च करने आदि की व्यवस्था की जायेगी। इन 16 उपायों में कृषि से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को समाहित करने की कोशिश की गई है।
किसान रेल
सरकार ने फल और सब्जी जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए किसान रेल शुरू करने का प्रस्ताव किया है। इसके तहत इन उत्पादों को रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा दी जायेगी। विशेष किसान रेलगाड़ियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत चलाने का प्रस्ताव है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जल्द खराब होने वाले सामानों के लिए राष्ट्रीय शीत आपूर्ति शृंखला का निर्माण रेलवे पीपीपी मॉडल पर करेगी। इससे जल्द खराब होने वाले खाद्य पदार्थों की ढुलाई तेजी से हो सकेगी। सरकार चाहती है कि चुनिंदा मेल एक्सप्रेस और मालगाड़ियों के जरिये भी जल्द खराब होने वाले सामान की ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड पार्सल वैन का इस्तेमाल किया जाये।
जल्द खराब होने वाले फल, सब्जियों, डेयरी उत्पादों, मछली, मांस आदि को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए इस तरह की तापमान नियंत्रित वैन की जरूरत है। माना जा रहा है कि इन व्यवस्थाओं से जल्दी खराब होने वाली सब्जियाँ, दुग्ध उत्पाद, अनाज को खराब होने से बचाया जायेगा, जिससे किसानों की आय में इजाफा होगा।
‘कृषि उड़ान’ सेवा
वित्त मंत्री ने बजट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर ‘कृषि उड़ान’ सेवा की शुरुआत करने का भी प्रस्ताव किया है। इसकी मदद से जरूरी कृषि उत्पादों और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों, जहां दूसरे परिवहन माध्यमों से पहुँचना मुश्किल है, को सीधे तौर पर फायदा होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो उत्तर-पूर्वी और जनजातीय क्षेत्रों को इससे विशेष लाभ होगा।
उद्यान-कृषि पर ज़ोर
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार बेहतर मार्केटिंग और निर्यात के लिए ‘एक उत्पाद, एक जिला’ पर फोकस करेगी, ताकि उद्यान-कृषि (हॉर्टिकल्चर) को जिला स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके। मौजूदा समय में उद्यान-कृषि के तहत नकदी फसलों का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है।
गाँवों में स्वच्छ जल की आपूर्ति
घरों में पाइप द्वारा पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 3,60,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिसका बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च किया जायेगा। साथ ही, सरकार कृषि क्षेत्र एवं सिंचाई के विकास के लिए 2,83,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनायी है। इस योजना के तहत स्थानीय जल स्रोतों को बढ़ाने, वर्तमान स्रोतों को पुनः जल से परिपूर्ण करने जैसी प्रोत्साहन गतिविधियां शामिल हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘जल जीवन अभियान’ के तहत जल संग्रहण के साथ-साथ सरकार जल के खारेपन को कम करने को भी प्रोत्साहन देगी।
पीएम कुसुम
बजट में प्रधानमंत्री कृषि ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) के विस्तार की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत 20 लाख किसानों को सोलर पंप लगाने में मदद की जाएगी और 15 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े सोलर पंप लगाने के लिए धन मुहैया कराया जाएगा। किसान इन सोलर पंपों से बनने वाली अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति ग्रिड को भी कर सकेंगे।
मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में फरवरी 2019 में पीएम कुसुम योजना की शुरुआत की थी, जिसके लिए 34,422 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इस योजना से किसानों की डीजल और केरोसिन तेल पर निर्भरता घटी है और वे सौर ऊर्जा से जुड़े हैं। इस योजना से किसान सौर ऊर्जा उत्पादन करने और उसे ग्रिड को बेचने में सक्षम हुए हैं। वित्त मंत्री के अनुसार किसान अपनी बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा पैदा कर कमाई भी कर सकेंगे।
पीएम कुसुम योजना के तीन घटक हैं, पहला, 10,000 मेगावाट क्षमता के ग्रिड से जुड़े विकेंद्रीकृत नवीकरणीय बिजली संयंत्र, दूसरा, 17.50 लाख ग्रिड से पृथक सौर बिजली कृषि पंप और तीसरा, ग्रिड से जुड़े हुए 10 लाख सौर बिजली कृषि पंपों का सोलराइजेशन. इन तीनों घटकों को मिलाकर 2022 तक कुल 25,750 मेगावाट सौर क्षमता तैयार करने की योजना है।
स्वच्छता को बढ़ावा
स्वच्छ भारत अभियान के लिए बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए 12,300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत जल जीवन अभियान के लिए 3.60 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है। इसमें कचरा प्रबंधन तथा तरल और धूसर जल प्रबंधन पर ध्यान दिया गया है। देश में आज स्वच्छता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसकी कमी की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक लोग असमय ही काल-कवलित हो जाते हैं। इसलिए, ग्रामीण क्षेत्र के दूर-दराज के इलाकों में भी शौचालय बनाया गया है।
आधारभूत संरचना को मजबूत करने की पहल
ग्रामीण इलाकों में हाल ही में खपत में वृद्धि घटी है। इसके लिये बजट 2020-21 में ग्रामीण बुनियादी ढाँचा को मजबूत के लिये भंडारण की व्यवस्था को सशक्त बनाने की पहल की गई है। बजट में सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया है। इससे किसान केंद्रित सहकारी संगठनों जैसे, अमूल और चीनी सहकारी समितियों को बढ़ावा मिल सकता है।
ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचा तैयार करने वाली 3 बड़ी योजनाओं पीएम आवास योजना (ग्रामीण), पीएम ग्राम सड़क योजना और आजीविका मिशन में आवंटन 2019-20 के स्तर पर बरकरार रखा गया है और पहले 2 के लिये 19000 करोड़ रूपये और तीसरे के लिये 9500 करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं। बजट में किये गये इन प्रावधानों से ग्रामीण आधारभूत संरचना को मजबूती मिलेगी। 10000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने के लिये बजट में 500 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। कृषि सुधार पर मॉडल एक्ट को स्वीकार कर इसे 15वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशों से जोड़ने से राज्यों को इसे स्वीकार करने को प्रोत्साहन मिल सकता है।
निष्कर्ष
कृषि के लिए इस बार के बजट में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लिये 16 बिन्दुओं को चिन्हित किया गया है, जहां सुधार और जरूरी कदम उठाये जाने की जरूरत है। माना जा रहा है कि इन उपायों को अमल में लाने से किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आयेगी।
इस बजट में “जीरो बजट” खेती को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इससे किसानों की आय में इजाफा होगा। इस क्रम में किसानों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 20 लाख सोलर पंप देने की पहल सही दिशा में उठाया गया कदम माना जा सकता है।
बजट में वेयरहाउस के निर्माण, सतत फसल चक्र पर काम करने, खादों के प्रयोग को कम करने, बायो-खाद का इस्तेमाल, स्वस्थ कृषि उत्पाद को बढ़ावा देने आदि का भी प्रस्ताव है। पानी की कमी से जूझ रहे देश के 100 जिलों के लिए व्यापक योजना बनाना समय की मांग है। पानी की कमी खेती–किसानी के लिए आज भी बड़ी समस्या बनी हुई है।
कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए किसान रेल और किसान उड़ान योजना सरकार द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। वर्ष 2025 तक दूघ उत्पादन को दोगुना करने से डेयरी और पशुपालन उद्योग को लाभ मिलेगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना के विकास पर अस्पतालों की संख्या दोगुना करने से लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी।
इसके अलावा सरकार ने 1,23,000 करोड़ रुपये ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के लिए आवंटित किया है, जिससे पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। सरकार 12,300 करोड़ रूपये का निवेश स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत करेगी, ताकि ग्रामीण इलाकों में लोग बीमार नहीं पड़ें। आज लोग अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं। यदि ये सभी योजनाएं सही रूप में और समय से कार्यान्वित हो जाती हैं, तो लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे ग्रामीण मजदूरों एवं किसानों की आय में महत्वपूर्ण सुधार होने की भी संभावना है, जो अंततः ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ाने में सहयोगी होगा।