बज़ट सत्र आते ही सारे देश की निगाहें बज़ट पर आ जाती हैं कि आखिरकार इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री उनके लिए क्या खास लेकर आए हैं। मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी गत दिनों देश का आम बजट पेश किया। इस बार का बजट हर मायनों में खास रहा है। चाहे वो महंगाई पर काबू पाने की बात हो या फिर बुनियादी सुविधाओं की व्य़वस्था को दुरूस्त करने की। आख़िर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपना बज़ट का बक्सा खोला और लोक-लुभावन घोषणाओं के अन्धोत्साह से परहेज करते हुए एक सर्व-समावेशी व दूरगामी सोच से पूर्ण बज़ट पेश किया।
इस बज़ट में वित्तमंत्री ने राजनीतिक दलों के नक़दी चंदे की सीमा को दो हजार रूपये तक सीमित कर दिया। अब राजनीतिक दल इससे अधिक की कोई भी धनराशि चेक आदि के जरिये ही चंदे में ले सकते हैं। ये राजनीतिक दलों के चंदे की पारदर्शिता और शुचिता की दिशा में बड़ा और साहसी कदम कहा जा सकता है। इसके अलावा इसमें फौजियों, बुजुर्गों, आदि सभीके लिए कुछ न कुछ ऐलान अवश्य किया गया है। कुल मिलाकर स्पष्ट है कि यह बज़ट मोदी सरकार के ‘सबका साथ सबका विकास’ के एजेंडे को प्रतिबिंबित करने वाला है तथा इसमें प्रधानमंत्री मोदी की सुशासन की परिकल्पना भी दृष्टिगत होती है।
इस बार के बजट में युवाओं के अंदर के टैलेंट को निखारने के लिए स्किल इंडिया को बढ़ावा देने की बात कही गई है। शिक्षा क्षेत्र में 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए के आवंटन का प्रस्ताव पेश किया गया है। 350 ऑनलाइन कोर्स के लिए ‘स्वयं’ नाम का डिजिटल चैनल लॉन्च करने की भी घोषणा की गई है। इतना ही नहीं, युवाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आईआईटी, मेडिकल जैसी परीक्षाओं के लिए अलग बॉडी बनाने का ऐलान भी किया गया है। निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए यह बजट नपा-तुला सा कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
गरीब वर्ग को ध्यान में रखते हुए इस बार के बजट में साल 2019 तक एक करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि हर गरीब को एक छत नसीब हो सके। साथ ही 50,000 ग्राम पंचायतों को भी गरीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बजट में ग्रामीण क्षेत्रों का ध्यान रखते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि लोगों की समस्या का ध्यान देते हुए साल 2018 तक हर गांव में शत-प्रतिशत बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 1.5 लाख स्वास्थ्य उपकेंद्रों को स्वास्थ्य वेलनेस केंद्रों में बदलने का ऐलान किया गया है।
गरीबों का ध्यान तो बज़ट में रखा ही गया है, इसके अलावा कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा इस बज़ट में कुछ खास लाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा बज़ट में कृषि विकास योजना के तहत तीन साल में पांच लाख एकड़ जमीन को जैविक खेती के लिए देने का प्रावधान रखा गया है, जबकि कृषि क्षेत्र के लिए 35,984 करोड रुपये का आवंटन करने का ऐलान किया गया है। उज्जवला योजना को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार इसलिए भी तत्पर है, क्योंकि इससे दो फायदे होने वाले हैं। पहला मिट्टी के चूल्हे में लकड़ियों पर खाना बनाने से प्रदूषण का स्तर कम होगा और चूल्हे से निकलने वाले धुंए के कारण महिलाओं को हो रही स्वास्थ्य की परेशानियां खत्म होंगी। बजट में वित्त वर्ष 2016-17 के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य 9 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। साथ ही, सरकार 2016-17 में दलहन की खरीद को भी बढ़ावा देगी। इन सबके अलावा इस बज़ट के कर-प्रस्ताव भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। वित्तमंत्री ने आयकर सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख कर दिया तथा पांच लाख तक की आय के लिए कर की दर दस से घटाकर पांच प्रतिशत करने का भी ऐलान कर दिया है। यह मध्यमवर्गीय लोगों को बेहद राहत देने वाला कदम है।
यह बज़ट राजनीतिक शुचिता की दिशा में भी बेहद क्रांतिकारी कहा जा सकता है। इसमें राजनीतिक दलों के नक़दी चंदे की सीमा को दो हजार तक सीमित कर दिया गया है। अब राजनीतिक दल इससे अधिक की कोई भी धनराशि चेक आदि के जरिये ही चंदे में ले सकते हैं। ये राजनीतिक दलों के चंदे की पारदर्शिता और शुचिता की दिशा में बड़ा और साहसी कदम कहा जा सकता है। इसके अलावा इसमें फौजियों, बुजुर्गों, आदि सभीके लिए कुछ न कुछ ऐलान अवश्य किया गया है। कुल मिलाकर स्पष्ट है कि यह बज़ट मोदी सरकार के ‘सबका साथ सबका विकास’ के एजेंडे को प्रतिबिंबित करने वाला है तथा इसमें प्रधानमंत्री मोदी की सुशासन की परिकल्पना भी दृष्टिगत होती है।
(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)