काउंटर फैक्ट

कोरोना से लड़ाई में फ़ेक न्यूज़ फैलाने में जुटे वैचारिक गिरोह से सावधान रहने की जरूरत

पूरी दुनिया के साथ हमारा देश भी वर्तमान समय में एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है। ऐसे मुश्किल दौर में हम सभी को एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय देते हुए देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। सरकार द्वारा ज़ारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए हम अपने ज़िम्मेदार होने का सबूत दे सकते हैं।

क्यों दिल्ली से मुंबई तक पलायन के नामपर जुटी भीड़ के पीछे साज़िश प्रतीत होती है?

पहले दिल्ली, अब मुंबई, फिर सूरत, उसके बाद ठाणे, इन सभी जगहों पर लगभग एक जैसे पैटर्न, एक जैसे प्रयोग; एक जैसी बातें, एक जैसी तस्वीरें देखने को मिली हैं। सवाल यह भी कि क्या भूख, बेरोजगारी या लाचारी का हौव्वा खड़ा कर रातों-रात ऐसी भीड़ एकत्रित की जा सकती है? स्वाभाविक है कि इतनी बड़ी भीड़ के पीछे कुछ संगठनों और चेहरों की भूमिका की संभावनाओं को निराधार और निर्मूल नहीं सिद्ध किया जा सकता

दिल्ली हिंसा को लेकर मोदी सरकार पर उंगली उठाने से पहले अपनी गिरेबान में झांके कांग्रेस!

देश ने पिछले दिनों राजधानी में हिंसा का नंगा नाच देखा और अफसोस है कि ऐसे में भी कुछ विपक्षी दल महज राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए लाशों पर सियासत किए जा रहे हैं। बुधवार, 11 मार्च को संसद का सत्र हंगामाखेज था। इसमें दिल्‍ली के दंगों का मामला उठा लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने हमेशा की तरह अपनी ओछी मानसिकता का परिचय देते हुए इसे अनावश्‍यक रूप से सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की।

लम्बे समय से मुसलमानों के दिमाग में भरे जा रहे जहर की उपज है दिल्ली की हिंसा

दिल्ली में अचानक भीड़ सड़कों पर निकलती है और पत्थरबाजी करने लगती है। पुलिस परेशान कि क्या किया जाए और लोग पुलिस को घेर कर एक कांस्टेबल को जान से मार देते हैं। पूरी की पूरी भीड़ लाठी और डंडों के साथ सड़क पर निकलती है और पुलिस के सामने फायरिंग तक होती है। तस्वीरें आती हैं कि लाशों को घरों के सामने फेंका जा रहा है। इंटेलिजेंस ब्यूरो के

दो मामले जिन्होंने वामपंथी और सेक्युलर गिरोह के पाखण्ड की कलई खोल दी है!

देशभर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों का अराजक स्वरूप जिस तरह सामने  आया है, वह हैरान करने वाला है। ऐसा कानून जिससे देश के नागरिकों का कोई संबंध ना हो, उसपर इस तरह का वातवरण खड़ा करना, मानो एक खास समूह का सब कुछ लूट गया हो, हैरतअंगेज लगता है। समूचे देश ने देखा कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर कैसे सुनियोजित हिंसा फैलाई गई, आगजनी की गई, बसों को आग के हवाले कर दिया गया, देश को तोड़ने की बात कही गई। यहाँ

शरजील इमाम तो पकड़ा गया, अब क्या कहेंगे मनीष सिसोदिया?

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी रैली में भड़काऊ बयान देने के मामले में देशद्रोह के आरोपित शरजील इमाम को आखिरकार मंगलवार को बिहार के जहानाबाद जिले में उसके पैतृक गांव काको से गिरफ्तार कर लिया गया। बिहार पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की। हालांकि उसके सरेंडर किए जाने की बातें भी सामने आईं लेकिन

जेएनयू हिंसा : दिल्ली पुलिस की प्रेसवार्ता ने किया दूध का दूध, पानी का पानी!

जेएनयू हिंसा मामले में दिल्‍ली पुलिस ने शुक्रवार को अहम खुलासा किया है। पुलिस ने घटना के संबंध में नौ संदिग्‍ध हमलावरों की तस्‍वीरें जारी की हैं। ये तस्‍वीरें सीसीटीवी फुटेज से ली गईं हैं। इसमें साफ तौर पर नजर आ रहा है कि घटना के दिन परिसर में अशांति फैलाने वालों में छात्र संघ अध्‍यक्ष आईशी घोष स्‍वयं लिप्‍त थीं। दिल्‍ली पुलिस ने मीडिया को अभी तक हुई जांच की

ननकाना साहिब की घटना बताती है कि सीएए क्यों जरूरी है!

पिछले सप्‍ताह पाकिस्‍तान में स्थित ननकाना साहिब स्‍थल पर पथराव किए जाने की घटना सामने आई। यहां सिखों के इस पवित्र धर्मस्‍थल पर एक स्‍थानीय परिवार के साथ मिलकर भीड़ ने पत्‍थर फेंके, जिसके बाद माहौल में तनाव व्‍याप्‍त हो गया। मामला धर्मस्‍थल के प्रमुख की पुत्री के अपहरण व धर्मांतरण से जुड़ा था, ऐसे में बात बढ़ गई और इसने हिंसा का रूप ले लिया। जिस

भगवा पर प्रियंका गांधी के बेमतलब बोल

नागरिकता कानून की सियासत में भगवा रंग का उल्लेख अनुचित ही नहीं, अटपटा भी है। वैसे भी धर्म-संस्कृति पर सतही तौर पर बोलने से बचना चाहिए। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं, उनका विरोध सहज है। लेकिन सियासी मंसूबे के लिए भगवा पर बोलना उतना ही अनुचित है। कांग्रेस ने कुछ वर्ष पहले भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ा था। ऐसा कहने वाले नेताओं को फजीहत

मोदी के सवालों पर कांग्रेस की खामोशी उसके राजनीतिक पाखण्ड की ही कलई खोलती है

अभी देश में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर सरगर्मी है। इस क़ानून पर चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन से इतर कांग्रेस आदि विपक्षी दलों का रवैया भी चिंतित करने वाला है। ऐसे में कल प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड के बरहेट में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस से कई सवाल पूछे