पीओके में भारतीय सेना की कार्यवाही का यही संदेश है कि अब आतंकियों की खैर नहीं!
आज का दिन भारतीय सेना सहित देश भर के राष्ट्रप्रेमियों के लिए बहुत गर्व भरी सूचना लेकर सामने आया है। भारतीय सेना के जाबांज सैनिकों ने पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों पर जबर्दस्त हमला किया है। इसमें कई आतंकी मारे जाने की सूचना है। असल में जिस स्थान पर यह सैन्य कार्रवाई की गई, वहां आतंकी शिविर संचालित होते हैं। सेना के ऑपरेशन में इन शिविरों को
बंगाल : संघ कार्यकर्ता बंधु प्रकाश की सपरिवार हत्या से उपजते सवाल
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से एक दुखद और आक्रोश पैदा करने वाली खबर सामने आई। यहां आरएसएस के कार्यकर्ता बंधु प्रकाश पाल, उनकी पत्नी और 8 वर्षीय बेटे आनंद की जघन्य हत्या कर दी गई। हत्यारों के इस वहशियाना कृत्य की यह पराकाष्ठा था कि प्रकाश की पत्नी गर्भवती थी, यानी गर्भस्थ शिशु ने संसार में आन से पहले ही दम तोड़ दिया। उक्त तीनों लोगों की हत्या भी धारदार हथियार से की गई, ऐसे में पूरा अनुमान बैठता है कि हत्यारे किसी तय साजिश के तहत वारदात करने
राफेल के शस्त्र पूजन का विरोध कांग्रेस की अभारतीय वैचारिकता का ही सूचक है
भारत में विजयदशमी पर शस्त्र-पूजन की प्राचीन परम्परा रही है, अतः फ़्रांस में ही राजनाथ सिंह ने सिन्दूर से ओम बनाकर तथा नारीयल-कलावा आदि चढ़ाकर राफेल का शस्त्र-पूजन किया। साथ ही पहियों के नीचे नींबू रखा गया। ये सब भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के व्यवहार थे, जिनका अबकी पहली बार विदेशी धरती पर भी निर्वहन करके रक्षा मंत्री ने देश का सीना चौड़ा किया है।
मोदी सरकार की कूटनीति से अनुच्छेद-370 पर दुनिया में अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान
अनुच्छेद-370 पर पाकिस्तान का इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग पड़ना यूँ ही नहीं हुआ है, इसके पीछे मोदी सरकार के लम्बे समय से किए जा रहे कूटनीतिक प्रयास हैं। इन प्रयासों के कारण ही आज भारत ऐसी कूटनीतिक लामबंदी करने में कामयाब हुआ है कि पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर जहां भी जा रहा है, उसे मुंह की खानी पड़ रही है।
हिंदू धर्म को बदनाम करने वाले बयानों के लिए दिग्विजय पर कार्रवाई क्यों नहीं करती कांग्रेस?
अपने बड़बोले बयानों से अक्सर नकारात्मक चर्चा में रहने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को भारतीय राजनीति के उस धड़े के मुखिया के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिन्हें बगैर कोई विवादित टिप्पणी किये चैन की नींद नहीं आती। यह सर्वविदित है कि अपने बयानों से दिग्विजय सिंह प्राय: अपनी और पार्टी की फजीहत कराते रहते हैं, किन्तु ताज्जुब इस बात का है कि कांग्रेस घोर विवादित बयानों के बाद भी उनपर कोई कार्यवाही नहीं करती है।
डूसू चुनाव : सावरकर का अपमान करने वालों के मुंह पर तमाचा है एबीवीपी की जीत
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में इसबार भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को भव्य विजय प्राप्त हुई है। इस चुनाव में चार पदों में से तीन पदों पर एबीवीपी ने विजय प्राप्त की है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव का पद परिषद के खाते में गया, तो कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन एनएसयूआई को महज एक सचिव पद से ही संतोष करना पड़ा।
अनुच्छेद-370 हटने से सिर्फ पाकिस्तान में ही मातम नहीं है, भारत में भी ‘कुछ लोग’ सदमे में हैं
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने का मकसद यही था कि दशकों से वहां चल रहे खून खराबे को ख़त्म कर शांति की स्थापना की जाए। कश्मीर के लोग भी धीरे-धीरे नयी व्यवस्था को अपनाने लगे हैं और शांतिपूर्ण ढंग से राज्य की गतिविधियाँ चल रही हैं। अतः मोदी या भाजपा के विरोध मात्र के लिए कश्मीर को लेकर गलत जानकारियां फैलाना और सरकार का विरोध करना अनुचित और अस्वीकार्य है।
कबतक अपने बयानों से पाकिस्तान की मदद करती रहेगी, कांग्रेस!
भारत सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधान समाप्त करने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाहट में है। वो लगातार इस मसले को विश्व पटल पर मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन दिक्कत ये है कि भारत की कूटनीतिक लामबंदी और बढ़ते वैश्विक प्रभाव के समक्ष चीन के सिवाय कोई भी देश इस मसले पर पाकिस्तान का साथ देने को तैयार नहीं नजर आ रहा है। चीन भी पूरी तरह से खुलकर उसका पक्ष नहीं ले पा रहा।
पाकिस्तान में सिख और हिन्दू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन पर खामोश क्यों है सेकुलर ब्रिगेड?
एक तरफ पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर बनवाकर पूरी दुनिया की वाहवाही लेना चाहता है, तो वहीं दूसरी तरफ उसका एक ऐसा सच सामने आया है जिससे पाकिस्तान का असली चेहरा दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है। इमरान खान ने प्रधानमंत्री बनने के बाद करतारपुर कॉरिडोर को आनन-फानन में हरी झंडी दी। हालाँकि भारत सरकार की यह लम्बे अर्से से मांग रही थी, लेकिन इस खेल में पंजाब के दलबदलू नेता नवजोत सिंह सिद्धू का पाकिस्तान द्वारा खुलकर इस्तेमाल हुआ।
चिदंबरम का क़ानून के शिकंजे में होना भारतीय लोकतंत्र की ताकत को ही दिखाता है!
कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है। इस कहावत को वैसे तो कई बार साकार होते देखा गया है लेकिन देश की राजनीति में यह कहावत अब नए संदर्भों के साथ फिर सिद्ध हुई है। एक ओहदे के नाते कभी सीबीआई के बॉस रहे चिदंबरम अब सीबीआई की हिरासत में हैं।