सब तरफ से घिरता जा रहा आतंक का सरगना पाकिस्तान
पाकिस्तान आज के समय में आतंकवाद का सबसे बड़ा पनाहगाह बन गया है। भारत से अलग होकर पाकिस्तान चाहता तो दक्षिण एशिया में अपनी एक अलग पहचान बना सकता था लेकिन भारत से मुकाबले की सनक ने उसे एक आतंकवादी देश बना दिया।
‘राहुल गांधी सेना के साथ खड़ा दिखना चाहते हैं, तो पहले सिद्धू जैसों की जबान पर लगाम लगाएं’
गत 14 फरवरी की शाम जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सेना के जवानों पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले ने देश में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। आत्मघाती आतंकी ने साढ़े तीन सौ किलो विस्फोटक से लदी गाड़ी सीआरपीएफ के काफिले में घुसाकर विस्फोट कर दिया, जिसमें 44 जवान शहीद हो गए और कितने ही जवान ज़ख़्मी हालत में जीवन-मरण से जूझ रहे हैं।
कैग रिपोर्ट के बाद भी राफेल-राफेल कर रहे राहुल गांधी और कितनी फजीहत कराके चुप होंगे?
कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी निरंतर इस कोशिश में लगे रहते हैं कि किस तरह राफेल को बोफोर्से जैसा घोटाला साबित किया जाए। वे लम्बे समय से राफेल पर कैग रिपोर्ट पेश करने की बात कह रहे थे, जो कि आखिर संसद में पेश हो गयी है, जिसमें स्पष्ट है कि यूपीए सरकार के मुक़ाबले मोदी सरकार की राफेल डील 2.86 प्रतिशत सस्ती है। साथ ही वर्तमान सरकार के राफेल समझौते में विमानों की डिलीवरी देश को 5 महीने पहले ही हो जाएगी।
राफेल पर द हिन्दू के ‘अर्धसत्य’ को लेकर उछल रही कांग्रेस फिर औंधे मुंह गिरी है!
चुनाव का मौसम भी काफी दिलचस्प होता है, जिसमें विरोधी एकदूसरे पर हमला करने के छोटे से छोटे मौके की ताक में रहते हैं। यह खबर आम है कि कांग्रेस राफ़ेल की खरीद को लेकर नित नए इल्ज़ाम लगाने की ताक में रहती है, भले ही उसके लिए झूठ का ही सहारा क्यों न लेना पड़े। लेकिन मज़ेदार बात यह है कि झूठ पकड़े जाने के बाद भी कांग्रेस झूठ बोलना नहीं छोड़ती, जाने क्यों उसे लगता है कि जनता उसके द्वारा छोड़े जा रहे शिगूफे को गंभीरता से भी लेती है।
तीन तलाक: राजीव गांधी से राहुल गांधी तक जरा भी नहीं बदली कांग्रेस की महिला विरोधी सोच
कहते हैं कि जब क्लास का कोई एक बच्चा ज्यादा होशियार होता है तो पूरी क्लास उसके खिलाफ एक साथ हो जाती है। इन दिनों भारतीय सियासी गलियारों में भाजपा सरकार के साथ यही हो रहा है। सत्तारूढ़ होने के साथ ही इस सरकार द्वारा जनहित के लिए उठाए गए क़दमों का विपक्ष द्वारा आँख मूंदकर विरोध करने की कवायद जारी है। इसी कर्म में तीन तलाक क़ानून के मुद्दे पर कांग्रेस ने अब जो मंशा प्रकट की है, वो हैरानी में डालने वाला है
राजीव कुमार प्रकरण: ‘हर कोई चाहेगा कि उसके विरोधियों को भी ममता बनर्जी जैसी जीत मिले’
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही ममता बनर्जी का भाजपा के प्रति अत्यधिक विरोधी रुख कोई छिपी बात नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा और बंगाल में भाजपा की धमक तेज होने लगी है, वैसे-वैसे ममता का विरोध लोकतंत्र की सभी मर्यादाओं को तोड़ते हुए उग्र से उग्रतर होता जा रहा है। इसी विरोध का एक उदाहरण गत दिनों
केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन क्यों नहीं करते अन्ना हजारे?
अन्ना हजारे को मोदी सरकार के विरूद्ध अनशन करने से पहले 2011 के चर्चित अन्ना आंदोलन से पैदा हुई राजनीतिक पार्टी और उसकी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन करना चाहिए। संभव है कि इससे उनके आंदोलन से उपजी पार्टी एक ईमानदार सरकार का प्रतिमान स्थापित कर देश की राजनीति को एक नई दिशा देने की कोशिश करे।
क्या देश का नेता बनने का सपना देख रहीं ममता की जमीन पश्चिम बंगाल में ही खिसक रही है?
बीते सप्ताह देश की राजनीति में कुछ विचित्र प्रकार की घटनाएं सामने आईं। बीते रविवार पश्चिम बंगाल में समूचा विपक्ष एकजुट हुआ और ममता बनर्जी की अगुवाई में जी भरकर सत्ता पक्ष के प्रति विष वमन किया गया। यहां ममता बनर्जी सहित सभी विपक्षियों ने जी भरकर लोकतांत्रिक मूल्यों की दुहाई दी लेकिन आश्चर्य की बात है कि इन्हें स्वयं ही लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ व परिभाषा ज्ञात नहीं है।
ईवीएम पर बेमतलब सवाल उठाना कांग्रेस के डर को ही दिखाता है!
शर्मनाक विडंबना है कि ईवीएम वोटिंग से तीन राज्य जीतने के बाद कांग्रेस अब एकबार फिर ईवीएम और चुनाव आयोग पर सवाल उठाने में लगी है। ईवीएम पर सवाल उठाने में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही आगे रही हैं, लेकिन जब चुनाव योग ने उन्हें ईवीएम को हैक करने के लिए बुलाया तो वो ऐसा करने में नाकाम रहे।
क्या देश की छवि खराब करने दुबई गए थे राहुल गांधी?
कभी अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए। इसका निहितार्थ था कि राजनीतिक विरोध की एक सीमा होनी चाहिए। जहां राष्ट्रहित का प्रश्न हो वहां केवल आपसी सहमति का प्रदर्शन होना चाहिए।