अगस्ता-वेस्टलैंड : मिशेल के प्रत्यर्पण से कांग्रेसी खेमे में इतनी बौखलाहट क्यों है?
इस सप्ताह हुए एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत अगस्ता वेस्टलैंड मामले के बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को मंगलवार की रात यूएई से प्रत्यर्पित करके नई दिल्ली लाया गया। निश्चित ही यह मोदी सरकार की एक बड़ी सफलता है। इस सफलता की अहमियत इससे प्रकट होती है कि भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने स्वत: ही सहमकर ट्विट किया कि वो बैंकों का सौ प्रतिशत पैसा वापस
राफेल पर कांग्रेस के झूठ की खुल रही पोल!
अगले वर्ष आम चुनाव होने हैं और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस वर्तमान में इस स्थिति में नहीं है कि वह चुनावों में जनता के भरोसे पर खरी उतर सके। सत्ता में विफल रहने के बाद पिछले साढ़े चार सालों में विपक्ष के रूप में भी कांग्रेस की भूमिका बेअसर रही है। वाजिब मुद्दों के अभाव में कांग्रेस फिजूल के मुद्दों की हवा बनाने में लगी है। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पूरी पार्टी ने
सिद्धू को समझना चाहिए कि वे पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री हैं, देश के विदेश मंत्री नहीं!
क्रिकेटर से राजनेता बने कांग्रेस की पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों पाकिस्तान में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी और लगाव दिखाने लगे हैं। मशहूर तो वह अपने हंसी ठहाके के लिए पहले भी थे, अब अपने पाकिस्तान प्रेम को लेकर उनकी चर्चा हो रही है।
राहुल गांधी बताएं कि सिद्धू के पाकिस्तान प्रेम से क्या कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व भी सहमत है?
करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारत ने अपने प्रतिनिधि अधिकृत तौर पर भेजे थे। यह औपचारिक निर्णय था। लेकिन पंजाब के उपमुख्यमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह व कई मंत्रियों ने अनुचित माना था। ऐसे में बेहतर यह था कि सिद्धू वहां न जाते। पिछली यात्रा के दौरान सिद्धू के करतारपुर
मोदी को पीएम पद की गरिमा का ज्ञान देने से पहले अपना इतिहास देखें, मनमोहन सिंह!
देश में चुनाव का मौसम है और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप चरम पर हैं। संप्रग सरकार में बतौर प्रधानमंत्री बड़े-बड़े घोटालों पर मौन धारण किए रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बीच-बीच में बोलने लगे हैं। हाल में ही कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भाषा और पद की गरिमा का ध्यान रखने की नसीहत दी।
मुद्दे के अभाव में ‘खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे’ जैसी हो रही कांग्रेस नेताओं की हालत
देश के पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है। छत्तीसगढ़ में दोनों चरणों के मतदान हो चुके हैं और मध्यप्रदेश, राजस्थान में आने वाले दिनों में मतदान होना शेष है। चूंकि मध्यप्रदेश के मतदान का समय पहले आ रहा है, ऐसे में यहां बीजेपी व कांग्रेस दोनों दलों के राष्ट्रीय नेताओं के आने व सभाओं का सिलसिला इन दिनों जोरों पर है। अब बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच
छत्तीसगढ़ : नक्सलियों और उनके समर्थकों के मुंह पर तमाचा है मतदान प्रतिशत में वृद्धि!
छत्तीसगढ़ में पहले दौर के मतदान के साथ ही एक बात सामने आ गई है कि देश की जनता आगे के पांच राज्यों के चुनावों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली है। छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने जिस तरह खुलकर मतदान किया है, उससे यही ज़ाहिर हो रहा है कि जनता धमकियों से डरती नहीं है और अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए जोखिम भी मोल ले सकती है।
यूँ ही नहीं कहा जा रहा कि नक्सलियों की समर्थक है कांग्रेस!
गत 3 नवम्बर को कांग्रेस नेता राज बब्बर ने एक बयान में नक्सलियों को क्रांतिकारी बताया जिसपर काफी हंगामा मचा। हालांकि बाद में उन्होंने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान का कुछ और मतलब था, लेकिन बात तो निकल चुकी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बयान के संदर्भ में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए छत्तीसगढ़ की एक चुनावी रैली में कहा कि कांग्रेस शहरी
सबरीमाला : ‘कोर्ट के फैसले का विरोध बस पुरुष नहीं कर रहे, हमारी माताएं-बहनें भी कर रही हैं’
हमारे देश में सनातन धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों पर पारंपरिक तौर तरीकों से पूजा पद्धतियों का चलन रहा है, जिसमें स्थानीय संस्कृति, दशकों से चली आ रही विशिष्ट परंपरा भी निहित है। बीते कुछ दिनों से देश में केरल के सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विवाद पैदा हो गया है।
‘राहुल गांधी की भाषा सुनकर हैरानी होती है कि वे एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों कुछ ज़्यादा ही मुखर दिखाई दे रहे हैं। लेकिन यदि इस पर ध्यान दिया जाए कि वे क्या बोल रहे हैं, तो हैरानी होगी कि वे एक राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे ना तो कुछ नया बोल रहे हैं, ना मौलिक, ना तथ्य परक और ना ही ठोस। यहां तक भी ठीक था। आखिर परिवारवादी व्यवस्था से निकले तथाकथित नेता के पास बोलने के लिए कुछ जमीनी