असहिष्णुता की आंधी और पुरस्कार वापसी की अंतर्कथा
अजीब आंधी थी वह। धूल और बवंडर के साथ कुछ वृक्षों को धराशायी करती हुई। किस दिशा से आई है, केंद्र क्या है, इस पर अलग-अलग कयास लगाये जा रहे थे। भारत का संपूर्ण शिक्षित समुदाय जो अखबार पढ़ता और टी.वी. देखता है, इस विवाद में शामिल हो गया था। पुरस्कार वापसी पर पक्ष और विपक्ष – दो वर्ग बन गए थे। पक्ष हल्का, विपक्ष भारी।
2005 में घुसपैठियों का विरोध करने वाली ममता आज उनकी हितैषी क्यों बन रही हैं?
इन दिनों आसाम में एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन का मुद्दा उछल रहा है। इसके बहुत विस्तार में न जाते हुए सरल रूप में इतना ही समझा जा सकता है कि असम में 40 लाख लोग ऐसे रह रहे हैं जो कि भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं हैं। इस लिहाज से वे घुसपैठियों के दर्जे में आते हैं। ये लोग बांग्लादेशी मूल के हैं। आसाम में इनकी बड़ी आबादी निवासरत है। अब
अखिलेश जिस तरह एक्सप्रेसवे का श्रेय लेते थे, उसी तरह इस हादसे की जिम्मेदारी क्यों नहीं ले रहे?
21 नवम्बर, 2016 की तारीख थी, जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था। इस एक्सप्रेसवे को उनका ड्रीम प्रोजेक्ट बताया गया था। इसपर लड़ाकू विमान उड़ाए गए थे। इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान यह एक्सप्रेसवे अखिलेश यादव के ‘काम बोलता है’ नारे की पृष्ठभूमि में चमचमाता रहा था।
काले धन पर मोदी सरकार को कोसने वालों की बोलती बंद कर देंगे ये आंकड़े!
पिछले सप्ताह काले धन की बातें फिर से चर्चा में आ गईं। जिस अहम बिंदु का जिक्र छिड़ा वह यह रहा कि वर्ष 2014 के बाद से भारतीयों के विदेशों में जमा कथित कालेधन में कमी आई है। असल में राज्यसभा के सदन में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह अहम जानकारी प्रस्तुत की। स्विटजरलैंड की बैंकों में वर्ष 2014 से लेकर पिछले साल यानी 2017 तक तीन वर्ष की अवधि में इस
‘राहुल मुसलमानों को यह समझाना चाहते हैं कि कांग्रेस का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ सिर्फ एक मुलम्मा भर है’
इस देश में मुसलमानों के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार कौन है ? अगर आप सड़क पर चलते हुए किसी मुस्लिम शहरी से यह सवाल करें तो सस्वर एक ही नाम आएगा – कांग्रेस पार्टी। क्योंकि आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा शासन कांग्रेस का ही रहा है। सालों तक देश में दलितों और मुसलमानों का वोट लेकर सरकार बनाने के बाद अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष
शशि थरूर और हामिद अंसारी जैसों की विचार-प्रक्रिया में ही खोट है !
पिछले दिनों दो बयान ऐसे सामने आए जो विवादित रहे। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए सत्ता में वापसी की स्थिति में देश में हिंदू पाकिस्तान बनने जैसे विवादित विशेषण का इस्तेमाल किया, वहीं पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने एक बार फिर से ऐसा बयान दे डाला जो उनकी एकतरफा मानसिकता को प्रदर्शित करता है। अंसारी ने कहा कि यदि इस देश में
‘शशि थरूर समझ लें कि यह देश हर हाल में हिन्दू हिन्दुस्तान था, है और हमेशा रहेगा’
वैसे तो शशि थरूर और विवादों का नाता कोई नया नहीं है। अपने आचरण और बयानों से वे विवादों को लगातार आमन्त्रित करते आएँ हैं। इस क्रम में सबसे ताजा “हिन्दू पाकिस्तान” का उनका बेहद आपत्तिजनक बयान है जिसने बड़ा विवाद खड़ा किया है और इसपर कोलकाता कोर्ट ने उन्हें समन भी भेजा है। लेकिन, इस बयान पर बात करने से पहले हमारे लिए यह जानना भी
अगर वाकई में कहीं लोकतंत्र खतरे में है, तो वो है बंगाल में !
हर दिन देश का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग मोदी सरकार पर बेबुनियाद आरोप लगाता है कि वर्तमान सरकार में लोकतंत्र खतरे में आ चुका है, लेकिन यही बुद्धिजीवी वर्ग कांग्रेस द्वारा न्यायपालिका, चुनाव आयोग को निशाना बनाने पर चुप्पी साध लेता है। इस बुद्धिजीवी वर्ग के बारे में तो जितना कहा जाए उतना कम है, लेकिन अगर वास्तव में कहीं लोकतंत्र खतरे में है, तो वो है बंगाल में।
मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे जलपुरुष को कुछ सवाल हरीश रावत से भी पूछने चाहिए !
इसे महज संयोग कहा जाए या सब कुछ पूर्व निर्धारित। जल पुरुष राजेंद्र सिंह 4 जुलाई को पहले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पत्रकारों से बातचीत करते हैं। पत्रकारों को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम पर बुलाया जाता है और फिर उस प्रेस कांफ्रेंस में रावत के साथ जलपुरुष भी प्रकट होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसीकी हार-जीत नहीं, केजरीवाल की बहानेबाजी पर ‘ब्रेक’ है !
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच लम्बे समय से चल रही अधिकारों की जंग पर आज देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुनाया। इससे पूर्व यह मामला उच्च न्यायालय में भी चला था, तब उच्च न्यायालय ने उपराज्यपाल को प्रमुख प्रशासनिक शक्ति माना था। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय से जरा अलग रुख लेते हुए दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के मध्य शक्ति