काउंटर फैक्ट

क्या ममता के राज में भाजपा का कार्यकर्ता होना भी गुनाह हो गया है ?

पश्चिम बंगाल में इन दिनों राजनीतिक अराजकता चरम पर है। यह अराजकता इसलिए है, क्‍योंकि वहाँ बीते दिनों दो भाजपा कार्यकर्ताओं की दुर्दांत हत्‍या हुई, लेकिन आश्‍चर्य की बात है कि इन दोनों हत्‍याओं पर बुद्धिजीवियों का दिल नहीं पसीजा है। शायद इसकी वजह ये है कि ये दोनों कार्यकर्ता भाजपा के थे। पहली हत्‍या एक जून को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुई।

’18 साल की उम्र में बीजेपी के लिए काम करोगे तो यही हश्र होगा’

भारत जैसे विविधताओं से भरे महान लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक हत्याओं के मामले जब सामने आते हैं, तो निश्चित तौर पर यह लोकतंत्र को मुंह चिढ़ाने वाली बात होती है। राजनीतिक हत्याएं न केवल भारत के विचार–विनिमय  की संस्कृति को चोट पहुँचाने वाला विषय हैं, बल्कि यह सोचने पर मज़बूर भी करती हैं कि राजनीति में अब सियासी भाईचारे की जगह बची है अथवा

‘भारत में संविधान-लोकतंत्र सब सुरक्षित हैं, असुरक्षा केवल गलत कार्य करने वालों के लिए है’

विपक्षी एकता के बीच आर्क विशप अनिल के बयान को संयोग मात्र ही कहा जा सकता है। लेकिन, सन्दर्भ और मकसद की समानता शक पैदा करती है। उन्होंने जाने-अनजाने विवाद का मौका दिया है। कहा जा रहा है कि भाजपा को अब विपक्ष के साथ चर्च के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा। इस कयास को ममता बनर्जी और कई अन्य नेताओं के बयान से बल मिला। उन्होंने

कर्नाटक : ‘122 से 78 सीटों पर पहुँचने के लिए कांग्रेस को खूब-खूब जश्न मुबारक !’

कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद गत दिनों भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मीडिया के सामने आए और खुलकर अपनी बात देश के सामने रखी। एक घंटे से ज्यादा चली उनकी इस प्रेसवार्ता में भाजपा ने कांग्रेस के दोहरे चरित्र पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या वाकई कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिल गया है ? क्या कांग्रेस को जनता ने सत्ता से बाहर नहीं कर दिया ? चुनाव पूर्व एकदूसरे

कठुआ प्रकरण : फैक्ट फाइंडिंग टीम के सवालों पर वामी-सेकुलर गैंग में सन्नाटा क्यों पसरा है ?

बहुचर्चित कठुआ कांड को लेकर जो हंगामा समूचे देश में हुआ, हम सबने देखा। अब यह मामला गौण हो गया है। इस मामले को लेकर न्याय का झंडा बुलंद करने वाले ज्यादातर लोग अब इसकी चर्चा से भी बच रहें हैं। ऐसे में, सवाल उठता है कि क्या कठुआ को लेकर एक विशेष कबीले के लोग केवल सांप्रदायिक तनाव का वातावरण बनाने चाहते थे ? क्योंकि, पीड़िता को न्याय

आखिर किस मुँह से मोदी की भाषा पर सवाल उठा रहे हैं, मनमोहन सिंह !

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कभी अपने मौन के लिए प्रसिद्ध हुआ करते थे। अब अक्सर वर्तमान प्रधानमंत्री पर हमला बोलने के लिए मुखर दिखाई देते हैं। इस बार वह अपने मौन या बोलने के लिए चर्चा में नहीं हैं, बल्कि राष्ट्रपति को लिखा गया उनका पत्र चर्चा में है। इसमें नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस पर हमला बोलने के प्रति नाराजगी जाहिर की गई है। मनमोहन सिंह ने मोदी की भाषा पर ऐतराज़ जताया है। वहीं कांग्रेस के दिग्गजों

पंचायत चुनाव : हिंसा के सहारे कबतक अपनी राजनीतिक जमीन बचा पाएंगी, ममता !

पश्चिम बंगाल में सोमवार को संपन्न हुए पंचायत चुनाव में दर्जन भर लोग मारे गए और कम से कम पचास लोग घायल हो गए। हालांकि ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य में छह से ज्यादा लोगों की मौत नहीं हुई है, लेकिन चुनाव पूर्व और चुनाव के दौरान की हिंसा को अगर देखा जाए तो पंचायत चुनाव के दौरान कम से कम अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है, यह आंकड़े 2013 में हुए चुनाव से कहीं ज्यादा भयावह हैं।

भ्रष्टाचार के इतने आरोपों के बाद भी इस्तीफा क्यों नहीं देते केजरीवाल ?

आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की सता पर पिछले तीन साल से काबिज हैं। 2015 में मतदाताओं ने उनके भ्रष्टाचार विरोधी और लोक कल्याण समर्थक वादों से प्रभावित होकर उन्हें भारी-भरकम बहुमत देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था। लेकिन, तीन सालों से अधिक के अपने कार्यकाल में केजरीवाल की सरकार अपने काम के लिए नहीं, कारनामों के लिए ही चर्चा में

घोटालों की सरताज बनती जा रही आम आदमी पार्टी !

आम आदमी पार्टी के लिए मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। निरर्थक मुददों को लेकर विवादों में रहने वाले पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल फिर से मुश्किल में हैं। ताजा मामले में खबर है कि पार्टी पर 139 करोड़ रुपए के बड़े घोटाले का आरोप है। यह घोटाला निर्माण श्रमिक कोष को लेकर है। दिल्‍ली सरकार एक बार फिर से कठघरे में खड़ी है। शिकायत के अनुसार दिल्‍ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में उन लोगों का भी गैर-

जिन्ना प्रकरण में कांग्रेस पर भी उठते हैं सवाल !

कांग्रेस बेशक अय्यर के जिन्ना की प्रशंसा करने वाले बयान से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करे, मगर सवाल फिर भी उसपर उठते ही हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर दशकों से कैसे लगी हुई है ? देश में सर्वाधिक समय तक सत्तारूढ़ रहने वाली कांग्रेस के शासन में कभी ये विषय