काउंटर फैक्ट

राशन घोटाला : भ्रष्टाचार और झूठ के बेताज बादशाह हैं केजरीवाल !

कांग्रेसी भ्रष्‍टाचार की पैदाइश (आम आदमी पार्टी) से जनता ने उम्‍मीद की थी कि वह देश में शुचिता और जवाबदेही की राजनीति के एक नए युग का सूत्रपात करेगी, लेकिन वह केजरीवाल के झूठ और भ्रष्‍टाचार का शिकार बनकर रह गई। यही कारण है कि सरकार बनने के बाद से ही घोटाले सामने आ रहे हैं। राशन कार्ड के बदले अस्‍मत लूटने का कारनामा संभवत: पहली बार केजरीवाल के मंत्री ने किया होगा। इसके बाद तो

सेना ने लिया शहीद उमर फयाज की हत्या का बदला, ढेर हुए हत्यारे आतंकी !

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग और शोपियां जिलों में सुरक्षा बलों, जिसमें सेना, सीआरपीएफ एवं स्थानीय पुलिस के जवान शामिल थे, की 3 कार्रवाइयों में 13 आतंकवादी मारे गए। 13 आतंकवादियों में से 11 की पहचान कर ली गई है। सभी स्थानीय हैं। वैसे, इस कार्रवाई में 3 जवान भी शहीद हुए और 4 नागरिकों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी।

इस्‍लामी वर्चस्‍ववाद का नतीजा हैं सांप्रदायिक दंगे

इसे वोट बैंक की ताकत ही कहेंगे कि एक ओर पश्‍चिम बंगाल कई हिस्‍से सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस रहे हैं तो दूसरी ओर वहां की मुख्‍यमंत्री दिल्‍ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपदस्‍थ करने के लिए साझा मोर्चा बनाने में जुटी हैं। वोट बैंक की राजनीति के चलते स्‍थानीय प्रशासन दंगाइयों का साथ दे रहा है और दंगा पीड़ित असहाय होकर पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं। दंगों के कारण सबसे बुरा हाल पश्‍चिम

जलता रहा बंगाल और दिल्ली में बैठकर राजनीति करती रहीं ममता बनर्जी !

बंगाल में इन दिनों अराजकता मची हुई है। खुलेआम हिंसा और अशांति का नंगा नाच चला और राज्‍य सरकार इसे नियंत्रित नहीं कर पाई। रामनवमी के जुलूस को लेकर अभी तक कई स्‍थानों पर हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं। सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ और हमेशा की तरह निर्दोष नागरिकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। बंगाल के आसनसोल और रानीगंज में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि यहां लोगों के सिर से छत

39 भारतीयों की मौतों पर कांग्रेस की शर्मनाक राजनीति को लोगों ने दिखाया आइना !

इराक़ के मोसुल में जून, 2014 से लापता 39 भारतीयों के जिंदा न होने की जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा दिए जाने के बाद कांग्रेस ने जिस ओछी राजनीति का परिचय सदन के अंदर और सदन के बाहर दिया, वो शर्मनाक और निंदनीय है। इसके बाद कांग्रेस की जम कर फ़जीहत भी हुई है।

‘कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार ने जो किया है, वो करने से पहले अंग्रेज भी दस बार सोचते !’

कांग्रेस खुद को ‘सेक्युलर’ पार्टी कहती है, लेकिन कर्नाटक में चुनाव जीतने के लिए इसने एक नया धर्म ही गढ़ दिया। राजनीतिक विजय हासिल करने के लिए अगर समाज को तोड़ना भी पड़े तो कांग्रेस इसे गलत नहीं मानती है। जिस निर्लज्जता के साथ कांग्रेस ने यह कदम उठाया, शायद ब्रिटिश हुकूमत भी ऐसा करने से पहले दस बार सोचती।

गुजरात चुनाव के ‘जनेऊधारी हिन्दू’ का कर्नाटक चुनाव में टीपू राग !

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव निकट हैं। जैसा कि हमेशा से होता आया है, चुनाव से पहले राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी भी ताल ठोंककर मैदान में कूद पड़े हैं। यह बात दीगर है कि पिछले कई चुनावों में भी वे बहुत जोश के साथ मैदान में उतरे थे और मुंह की खाकर अपनी अयोग्‍यता को उत्‍तरोत्‍तर प्रमाणित ही करते गए।

आरोप लगाना और माफ़ी मांगना, क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री का अब यही काम रह गया है ?

आम आदमी पार्टी के अधोपतन का दौर जारी है। खोते जनाधार, बिगड़ती छवि, अंर्तकलह, भ्रष्‍टाचार के आरोप, विधायकों की अयोग्‍यता, नौकरशाहों से अभद्रता आदि घटनाक्रमों के बाद अब इस दल में नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के एक निर्णय ने फिर से सदस्‍यों, पदाधिकारियों को असमंजस में डाल दिया है। केजरीवाल ने अकाली दल के नेता पर पंजाब चुनाव के दौरान लगाए आरोप

‘लेनिन रूस के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन भारत में उनका क्या काम !’

रूसी क्रांति के सूत्रधार व्‍लादिमीर लेनिन इन दिनों अचानक सुखिर्यों में आ गए हैं। शताब्दी पूर्व रूस की अपनी खुनी क्रांति को लेकर ख्‍यात हुआ यह व्‍यक्ति अब दोबारा चर्चाओं में है। वर्तमान परिदृश्य को समझें उससे पूर्व थोड़ा पार्श्‍व समझ लेते हैं। हाल ही में संपन्‍न हुए त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को विराट जीत प्राप्‍त हुई। अन्‍य राज्‍यों की तरह यहां भी बीजेपी ने प्रचंड विजयश्री हासिल की। जीत का जश्‍न अभी

छोटे चिदंबरम की गिरफ्तारी के तार बड़े चिदंबरम तक पहुँचने के भय से घबराई कांग्रेस !

अंततः पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति कानूनी शिकंजे में आ गए। उन पर विदेशी कंपनी को लाभ पहुंचाने और उसके बदले खुद भी लाभ उठाने का आरोप है। मामला यहीं तक सीमित नहीं है। इस मसले के याचिकाकर्ता राज्यसभा सदस्य सुब्रमणियम स्वामी की मानें तो पी. चिदंबरम भी शिकंजे में आएंगे, क्योकि लाभ भले ही उनके पुत्र ने उठाया, लेकिन पुत्र कार्ति को लाभ उठाने लायक बनाने का कार्य उनके पिता पी.