केजरीवाल के अहंकार और अराजकता की राजनीति को ही दिखाता है अंशु प्रकाश प्रकरण !
आम आदमी पार्टी एक बार फिर से सुर्खियों में है। हमेशा की तरह इस बार भी कारण नकारात्मक और विवादास्पद ही है। लंबे समय से मतदाताओं की बेरूखी और अंदरूनी कलह झेल रही पार्टी के सामने अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। इस बार दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट एवं अभद्रता का मामला सामने आया है। आरोप है कि पार्टी के दो विधायक अमानतुल्ला और प्रकाश जरवाल ने वरिष्ठ
क्या कांग्रेसी नेताओं के पाकिस्तान प्रेम को कांग्रेसी शीर्ष नेतृत्व की शह मिली हुई है ?
चुनावों में लगातार शिकस्त खाने के बाद भी कांग्रेस की आदतें सुधरी नही हैं। कांग्रेस के कुछ नेता ऐसे हैं, जिन्होंने शायद ठान लिया है कि वह पार्टी की बची हुई साख का भी भट्टा बिठाकर ही मानेंगे। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर जब भी पाकिस्तान दौरे पर जाते हैं, उनका भारतीय प्रेम समाधि ले लेता है। पाकिस्तान की सरजमीं पर पैर रखते ही अय्यर की जुबान से उर्दू के ऐसे शब्द निकलने लगते है मानो वह उन्हीं का घर हो। जो
खुद अक्सर देशविरोधी बयान देने वाले अब्दुल्ला अपने विधायक को किस मुंह से समझाएंगे !
फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के विधायक मोहम्मद अकबर लोन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 10 फरवरी को पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हैं। अब फारुक साहब कह रहे हैं कि “हमें ऐसे समय में नारेबाजी से बचना चाहिए जब पाकिस्तान हमारे लोगों पर निशाना साधने की कोशिश कर रहा है।” यानी अब्दुल्ला साहब के हिसाब से नारेबाजी गलत नहीं है, बस समय थोड़ा गलत है।
बाबरी मस्जिद की बुनियाद में जो घृणा थी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आज उसीको हवा दे रहा है !
देश सहमति और मेल-जोल से चलता है; टकराव से नहीं चलता। जब दो समुदायों के बीच सबंधों के पुल बनाने की बात हो, तो आपसी संवाद ही एक मात्र रास्ता है। देश में राम मंदिर बनने की राह में मुस्लिम समुदाय का एक बहुत बड़ा तबका आपसी बातचीत का समर्थक रहा है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में ही कुछ लोग ऐसे हैं जो आपसी बातचीत को छोड़ हमेशा टकराव की सियासत पर चलना चाहते हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने
पकौड़ा प्रकरण : क्या देश के सभी छोटे व्यवसायी भीख मांग रहे हैं, चिदंबरम साहब !
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने चाय बेचने को लेकर मजाक बनाया था। इसके बाद कांग्रेस खुद मजाक बन गई थी। इस बार उसने पकौड़े पर मजाक बनाया है। कांग्रेस का राजनीतिक स्तर तो गिरा हुआ है ही, विरोध का यह तरीका कांग्रेस के वैचारिक स्तर को भी गिराता है। इसका लाभ नहीं, नुकसान ही होता है। बात नरेंद्र मोदी या भाजपा तक सीमित हो तो उस पर आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन, ऐसे बयानों में देश
‘पाकिस्तान का पंजाब इस्लामिक कट्टरपंथ की प्रयोगशाला है’
पाकिस्तान ने भारत पर मोर्टार और मिसाइल दागकर सारे माहौल को बेहद तनावपूर्ण कर दिया। भारतीय सेना ने भी करारा जवाब देते हुए पाक फौज की कई चौकियों को भारी नुकसान पहुँचाया है। पर, मिसाइल के हमले से एलओसी पर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। भारत को पाकिस्तान की नापाक कोशिश पर हल्ला बोलने के बारे में सोचना होगा। भारत सरकार को मालूम होगा कि जब तक पाकिस्तानी सेना पर पंजाबी वर्चस्व
इखलाक-जुनैद की हत्या पर जागने वाली असहिष्णुता अंकित-चन्दन की हत्या पर सो क्यों जाती है ?
बीते शुक्रवार को पश्चिमी दिल्ली के ख्याला क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। एक 23 वर्षीय हिंदू युवक की मुस्लिमों ने सरेआम गला रेतकर हत्या कर दी। अंकित सक्सेना नाम का यह लड़का यू ट्यूब चैनल एवं फोटोग्राफी के प्रोफेशन में था। अपनी पड़ोसी मुस्लिम लड़की से प्रेम करता था। चूंकि अंकित हिंदू था, इसलिए मुस्लिम लड़की के परिजनों को इस रिश्ते पर आपत्ति थी और इसके चलते ही उन्होंने अंकित को
बोफोर्स घोटाला : अगर सब पाक साफ़ है, तो सीबीआई की अपील से कांग्रेस इतनी असहज क्यों है !
बहुचर्चित बोफोर्स मामला एक बार फिर चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर, अभी इस बिंदु पर, निर्णय होना शेष है कि यह प्रकरण दोबारा चलाया जाना चाहिये या नहीं। इधर, बोफोर्स मामले के फिर से सुर्खियों में आते ही कांग्रेस असहज होने लगी है जो स्वाभाविक है। असल में यह केस सदा से कांग्रेस को भयभीत करता आया है। जब वर्ष 1987 में स्वीडिश कंपनी बोफोर्स ने तोप खरीदी का सौदा प्राप्त करने के लिए दलाली दी
सेक्युलर बुद्धिजीवियों की नजर में शायद संघ-भाजपा के कार्यकर्ताओं की हत्या माफ़ है !
उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी को तिरंगा यात्रा के दौरान विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की हत्या को अभी एक सप्ताह भी नहीं बीते होंगे कि अब कर्नाटक में भाजपा के एक दलित कार्यकर्ता की हत्या उसी मानसिकता ने कर दी है, जिसके लिए चंदन के हत्यारे दोषी हैं। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की राजनीति किसी भी मायने में साम्य नही रखती, परंतु जब एक सम्प्रदाय विशेष के सामूहिक व्यवहार और
हिन्दी भाषा के मुद्दे पर दो नावों की सवारी कर रहे शशि थरूर !
शशि थरूर को अभी तय करना है कि वे हिन्दी विरोधी हैं या प्रेमी। वे संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक दर्जा देने से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दावोस के वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हिन्दी में भाषण देने का विरोध करते हैं। पर, थरूर साथ ही अपनी किताबों का हिन्दी में अनुवाद भी करवाने लगे हैं। शशि थरूर की नयी पुस्तक ’अन्धकार काल : भारत में ब्रिटिश साम्राज्य’ का कुछ समय पूर्व लोकार्पण किया गया था। निश्चित