कासगंज : चन्दन गुप्ता की हत्या पर सेकुलर खेमे में सन्नाटा क्यों पसरा है !
सामाजिक हिंसा सभ्य समाज को कलंकित करती है। समाज और सियासत सभी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उत्तर प्रदेश के कासगंज की घटना ऐसी ही है। यहां कुछ अराजक तत्वों ने गणतंत्र दिवस के उत्साह को शोक में बदल दिया। राष्ट्रीय पर्व में जनभागीदारी प्रजातन्त्र, एकता और सौहार्द को जीवंत करती है। ऐसे प्रत्येक आयोजन से जागरूकता बढ़ती है। लेकिन, कासगंज में तिरंगा यात्रा में अवरोध पैदा कर
कासगंज हिंसा : वे कौन लोग हैं, जिन्हें भारत में तिरंगा यात्रा भी बर्दाश्त नहीं हो रही !
गत दिनों गणतंत्र दिवस पर जब देश में एकता-अखंडता और बंधुत्व की बातें हो रही थीं, यूपी के एटा जिले के कासगंज इलाके में बाइक से तिरंगा-यात्रा लेकर निकल रहे एबीवीपी और विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं पर कुछ समुदाय विशेष (इनकी हिंसक वारदातों के बाद देश में इन्हें यही कहा जाता है) के लोगों द्वारा हमला कर दिया गया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी। हालांकि थोड़ी देर में पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में कर
अगर ऐसे ही बढ़ती रही तो 2050 तक भारत में होगी दुनिया की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी !
भारत की वोट बैंक की राजनीति को मोहम्मद इकबाल के एक शेर के जरिए आसानी से समझा जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा है “जम्हूरियत वो तर्जे हुकुमत है, जिसमें बंदों को गिना करते हैं, तौला नहीं करते।” दूसरे शब्दों में कहें तो जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी। यदि सकारात्मक दृष्टि से देखें तो इसे जम्हूरियत की खासियत कहेंगे, क्योंकि इससे बहुमत की आवाज को मुखर होने का मौका मिलता है, लेकिन
जनता के सामने हाजिरी लगाने से डर क्यों रहे, केजरीवाल ?
लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता चली गई। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अरविन्द केजरीवाल सरकार ने एक ऐसा हैरानीजनक कदम उठाया था, जिसने राजनीतिक मर्यादा और शुचिता की धज्जियां उड़ा दीं। आज अगर आम आदमी पार्टी के विधायकों के फज़ीहत के लिए कोई ज़िम्मेदार है तो सबसे ज्यादा अरविन्द केजरीवाल ही हैं।
नेतन्याहू भारत आए तो वामपंथियों के सीने पर सांप क्यों लोटने लगा !
विदेश नीति का मुख्य तत्व राष्ट्रीय हित होता है। अन्य तत्वों में बदलाव हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय हित की कभी अवहेलना नहीं होनी चाहिए। इजरायल के साथ भारत की दोस्ती राष्ट्रीय हित के अनुरूप है। ऐसे में, यह अनुचित है कि भारत के कुछ विपक्षी राजनीतिक दलों और नेताओं ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की यात्रा का विरोध किया या उनसे मिलने के तरीके पर हल्की टिप्पणी की। ऐसा करने वाले नेताओं को
केन्द्रीय विद्यालयों में हिंदी-संस्कृत में नहीं तो क्या अंग्रेजी-अरबी में प्रार्थना करवाई जाए !
क्या केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना हिंदुत्व को बढ़ावा देती है? ये प्रार्थना देश और देश से बाहर चल रहे सभी केन्द्रीय विद्यालयों में प्रयोग में है। अब ये पूरी तरह असंवैधानिक बताई जा रही है। अब इस प्रार्थना में हिंदुत्व देखा जा रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जीवन काल में केन्द्रीय विद्यालय चालू हो गए थे। तब देश में भाजपा या एनडीए की सरकारें नहीं थीं, जिनके पीछे आज देश के कथित
मोदी विरोध के चक्कर में राष्ट्रहित से खिलवाड़ कर रही कांग्रेस !
कांग्रेस समय-समय पर अपनी फजीहत खुद ही करवा लेती है। इस बार तो हद ही हो गयी, कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ऐसा वीडियो शेयर किया जिसके बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस की खूब आलोचना हुई। कांग्रेस द्वारा पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के साथ गले मिलते हुए वीडियो को लेकर एक बेहद छिछले स्तर का वीडियो बनाकर शेयर किया
तो क्या अमरिंदर सरकार के धोखे के कारण पंजाब में ख़ुदकुशी कर रहे किसान !
पंजाब में लगभग एक साल के अन्दर 400 किसानों ने ख़ुदकुशी कर ली, वहीं कांग्रेस सरकार वोट की खेती करती रही। चुनाव से पहले कांग्रेस ने वादा किया था कि सारे किसानों के कर्ज माफ़ किये जाएँगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। अब सरकार ने इस वादे में काफी झोल पैदा कर दिया है। हमारे पंजाबी किसान कुछ ज्यादा ही दिलदार हैं, जो इन बेरहम नेताओं पर भरोसा कर ख़ुदकुशी कर लेते हैं। बीते साल पंजाब में कांग्रेस
लालू की सजा पर राजद की जातिवादी राजनीति उसे ही नुकसान पहुंचाएगी !
चारा घोटाले के एक मामले में पहले से ही सजायाफ्ता लालू यादव को अब इसीके एक और मामले में दोषी पाते हुए और साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गयी है। लालू की सजा के एलान के बाद से ही उनकी पार्टी राजद द्वारा इसे जातिवादी रंग देने की शर्मनाक कोशिश की जाने लगी है। राजद नेताओं की तरफ से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र की रिहाई को आधार बनाकर यह कहा गया कि लालू निचली जाति से हैं, इसलिए
अहंकार में चूर केजरीवाल यह नहीं समझ रहे कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती !
आम आदमी पार्टी में एक बार फिर से घमासान मचा हुआ है। इस बार फिर से सत्ता को ही लेकर खींचतान मची और उसके परिणामस्वरूप पार्टी के भीतर आंतरिक कलह फिर प्रकट हो गई। पार्टी ने इसी सप्ताह राज्यसभा के लिए अपने तीन प्रत्याशी तय किए। 16 जनवरी को चुनाव होना है और परिणाम आएंगे। इनमें बाहरी प्रत्याशी सुशील गुप्ता और नारायण गुप्ता को स्थान दिया गया। संजय सिंह पहले से थे।