काउंटर फैक्ट

‘एक के बदले दस सिर’ लाने वाली बात पर मोदी एकदम खरे साबित हुए हैं !

गत वर्ष उड़ी हमले के बाद भारतीय जवानों ने जब सर्जिकल स्ट्राइक करके उसका बदला लिया था, तो देश में एक गजब के उत्साह और ऊर्जा का संचार हो उठा था। इसका कारण यह था कि तबसे पहले इस तरह की सैन्य कार्रवाई देश ने लम्बे समय से नहीं देखी थी। संप्रग सरकार के दस साल के कार्यकाल में देशवासियों ने सिर्फ पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम के उल्लंघन से लेकर पाक-प्रेरित आतंकियों द्वारा हमलों के पश्चात् सत्तापक्ष

ट्रंप की चेतावनी को गंभीरता से ले पाकिस्तान, वर्ना भुगतना होगा भारी खामियाजा !

जब समूचा विश्व नए साल के जश्न में डूबा हुआ था, उसी वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाते हुए झूठा और कपटी देश बताया तथा अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही वित्तीय सहायता के उपयोग पर गंभीर प्रश्न खड़े किये। अमेरिका के राष्ट्रपति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को जो मदद आतंक के खात्मे के लिए प्रदान की जा रही थी, उसे पाक आतंकियों की मदद में लगता रहा।

तीन तलाक बिल : ये देश कट्टरपंथियों के फतवों से नहीं, संविधान से चलेगा!

भारत की संसद का देश की सर्वोच्च विधायिक संस्था होने के नाते देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में अपना एक महत्व है, हमारी संसद की आवाज़ पूरे देश की आवाज़ है। एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य में संसद देश की संप्रभुता का प्रतीक है, ये कभी भी किसी बाहरी या आंतरिक दबाव के आगे नहीं झुकती, पर ये विडम्बना ही है कि कांग्रेसी सरकार की वोट बैंक की राजनीती ने कल्याणकारी राज्य की सबसे बड़ी विधायिक संस्था को एक

लालू के दोषी करार दिए जाने पर राजद की शर्मनाक राजनीति !

भारत की संवैधानिक व्यवस्था के संचालन में न्यायपालिका की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। न्याय के माध्यम से वह संविधान का संरक्षण करती है। इसलिए उसे विशेष सम्मान दिया जाता है। निचली अदालत के फैसले से असन्तुष्ट होने की दशा में ऊपरी अदालत में अपील की व्यवस्था भी न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। ऐसे में, न्यायिक निर्णय पर राजनीतिक प्रतिक्रिया से बचना चाहिए। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि

हार की हकीकत से मुंह चुरा रहे, राहुल गांधी !

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं। पिछली बार यानी उत्‍तरप्रदेश चुनाव की तरह इस बार भी परिणाम में भाजपा का परचम लहराया और कांग्रेस को मुंह की खाना पड़ी। 18 दिसंबर को हुई मतगणना के दिन सुबह से पूरे देश की निगाहें आरंभिक रूझानों की तरफ थीं। जैसे-जैसे बाद के रूझान आते गए, परिणाम की तस्‍वीर साफ होने लगी। शाम तक सब कुछ स्‍पष्‍ट और घोषित हो गया।

2जी घोटाला : आरोपियों के बरी होने से घोटाला कैसे झूठा हो गया ?

यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सामने आए एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ के घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा, कनिमोझी, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदोलिया समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कुछ भी साबित कर पाने में नाकाम

गुजरात चुनाव में उतरा कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता का नकाब

भारतीय जनता पार्टी 22 साल गुजरात में सत्ता में काबिज रहने के बाद फिर से पांच साल के लिए राज्य में राज करेगी। गुजरात में भाजपा की जीत पर कभी भी संदेह नहीं था। देखा जाए तो बहस का मुद्दा यही था कि उसे पहले से थोड़े ज्यादा या कम वोट/सीट मिलेंगी या नहीं? कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के साथ ही अपने धर्मनिरपेक्षता के चोले को उतारकर फेंक दिया। गुजरात चुनाव में मुसलमानों के वोटों को पाने की कोई

भारत ही नहीं, दुनिया भर में हिंसा और दमन से भरा है वामपंथ का इतिहास !

कम्युनिस्ट देशों में असहमति जताने का अर्थ है देशद्रोह। सोवियत संघ ने कैसे अपने नागरिकों के मन में भय और घुटन को जन्म दिया, इसे इतिहास के विद्यार्थी भलीभांति जानते हैं और उसी की अंतिम परिणति सोवियत संघ के विभाजन में हुई। युद्ध और रक्तपात ही साम्यवाद की पहचान है और उसी का परिचायक है, उनका बहुचर्चित नारा ‘लाल सलाम’। भले ही भारत के अधिकांश हिस्से में साम्यवाद की कोई प्रासंगिकता

शर्म करे अफराजुल खान और डा. नारंग के कत्ल में फर्क करने वाली सेक्युलर बिरादरी !

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजस्थान में पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर अफराजुल खान की बेरहमी से हत्या पर दुख प्रकट करते हुए मजदूर के परिवार को मुआवजे के तौर पर तीन लाख रुपये देने की घोषणा की। उनका यह कदम प्रशंसनीय है। ममता ने ट्विटर पर लिखा- ” हमारी सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का फैसला किया है।” पर क्या ममता बनर्जी के इस कदम से दिल्ली के मुख्यमंत्री

राम मंदिर मामले में सिब्बल की अदालती दलीलों पर अपना रुख स्पष्ट क्यों नहीं कर रही कांग्रेस ?

बहुचर्चित अयोध्‍या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। पिछले सप्‍ताह विशेष पीठ द्वारा इसकी सुनवाई के दौरान कुछ ऐसा हुआ कि राजनीतिक महकमों का इधर ध्‍यान खिंच गया। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्‍बल ने अयोध्‍या मामले की सुनवाई को 2019 लोकसभ चुनाव तक आगे बढ़ाने की अपील की। इसके पीछे उन्‍होंने तर्क दिया कि इसपर राजनीति हो सकती है।