काउंटर फैक्ट

राम मंदिर मामले पर सिब्बल की दलीलों से उजागर हुआ कांग्रेस का पाखण्ड !

राम मंदिर प्रकरण पर सर्वोच्च न्यायालय की विशेष पीठ द्वारा सुनवाई की तारीख को बढ़ा दिया गया है। अब अगली सुनवाई आठ फ़रवरी को होगी। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल जो कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हैं, ने यूपी सरकार के सोलिसिटर जनरल की तरफ से अदालत में प्रस्तुत तथ्यों पर संदेह जताया। सिब्बल का कहना था कि ये तथ्य पहले कभी दिखाए नहीं गए, जबकि सोलिसिटर जनरल ने इस बात से

कांग्रेस में राहुल राज : कांग्रेस को अब लोकतान्त्रिक मूल्यों की बात करना छोड़ देना चाहिए !

कांग्रेस का इतिहास सौ साल से ज्यादा पुराना है, इन सौ सालों में यह पार्टी इतनी कमजोर कभी नहीं थी, जितनी अभी है। राज्यों की विधान सभाओं और संसद में ही नहीं, जमीनी स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी का सफाया हो चुका है। गावों में, कस्बों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। पार्टी संगठन छिन्न-भिन्न हो चुका है। देश की राजनीती में कांग्रेस ने अपना केंद्रीय स्थान खो दिया है।

कांग्रेस का इतिहास सौ साल से ज्यादा पुराना है, इन सौ सालों में यह पार्टी इतनी कमजोर कभी नहीं थी, जितनी अभी है। राज्यों की विधान सभाओं और संसद में ही नहीं, जमीनी स्तर पर भी कांग्रेस पार्टी का सफाया हो चुका है। गावों में, कस्बों में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है। पार्टी संगठन छिन्न-भिन्न हो चुका है। देश की राजनीती में कांग्रेस ने अपना केंद्रीय स्थान खो दिया है।

यूपी निकाय चुनावों की शर्मनाक हार के बाद तो अपनी नकारात्मक राजनीति से बाज आए कांग्रेस !

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में भाजपा ने अपना परचम लहराया और कांग्रेस-सपा आदि दलों को बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ी। कांग्रेस की हार को तवज्जो देना इसलिए जरूरी है, क्योंकि अमेठी जो कल तक पार्टी का गढ़ माना जा रहा था, वहां से भी उसे हार का गहरा जख्म मिला है। निकाय चुनावों में पराजय इस बात का संकेत है कि कांग्रेस को जनता ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से खारिज करती जा रही है। ये हार विशेष रूप

राहुल गांधी का सोमनाथ मंदिर में गैर-हिन्दू के रूप में प्रवेश गलती है या राजनीति !

राहुल गांधी शायद मंदिरों का दौरा करते-करते थक गए हैं, वर्ना वो ऐसी गलती नहीं करते जैसी कि उन्होंने सोमनाथ मंदिर में की। यह एक ऐतिहासिक भूल है, जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी को भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, गुजरात के सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने से पहले राहुल गाँधी का नाम उनके साथी ने एक ऐसे रजिस्टर में लिख दिया गया जिसमें एंट्री सिर्फ गैर-हिन्दू ही करते हैं। राहुल गाँधी का

हिन्दू संगठनों के वक्तव्यों पर शोर मचाने वाला सेक्युलर खेमा चर्च की अपील पर खामोश क्यों है?

गुजरात चुनाव में चर्च ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सीधा प्रयास किया है। गांधीनगर के आर्च बिशप (प्रधान पादरी) थॉमस मैकवान ने चिट्ठी लिखकर ईसाई समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे गुजरात चुनाव में ‘राष्ट्रवादी ताकतों’ को हराने के लिए मतदान करें। यह स्पष्ट तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय एवं चुनाव आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन है।

पाक को आग में झोंकता एक और कट्टरपंथी मुल्ला !

पाकिस्तान को एक और कट्टर मुल्ला मिल गया है। नाम है खादिम हुसैन रिजवी। उर्दू और पंजाबी में तकरीरें करना वाला रिजवी गैर-मुसलमानों और अपने विरोधियों को गालियां बकने से भी परहेज नहीं करता। ये ही वहां पर लगातार जारी बंद और धरने का नेतृत्व कर रहा था। इसके ही नेतृत्व में देश के विधि मंत्री जाहिद हामिद के इस्तीफे की मांग हो रही थी। इसका आरोप है कि जाहिद हामिद ने ईशनिंदा की है, उन्हें कैबिनेट से

गुजरात चुनाव : ‘राष्ट्रवादी ताकतों’ के खिलाफ चर्च की अपील का क्या होगा असर !

गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा जाति का मुद्दा उठाने के बाद अब ईसाई धर्मगुरु भी धर्म के नाम पर मतदाताओं को लुभाने की आखिरी कोशिश कर लेना चाहते हैं। जाहिर है, जब धर्म और जाति का घालमेल होता है तो विवाद खड़ा होता है। पिछले दिनों कुछ ऐसा ही हुआ जब गांधीनगर के आर्च बिशप थॉमस मैकवान ने इसाईयों के नाम खुला ख़त लिखकर उनसे “राष्ट्रवादी” ताकतों को हराने की अपील की।

हाफिज सईद की रिहाई पर राजनीति कर दुनिया को क्या सन्देश देना चाहते हैं, राहुल गांधी ?

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी हाफिज सईद की पाकिस्तान में रिहाई वस्तुतः विश्व समुदाय की चिंता होनी चाहिए। अनेक देशों ने इसपर पार्टी लाइन से ऊपर उठकर चिंता भी व्यक्त की है। उसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकवादी घोषित किया था। दस मिलियन डॉलर अर्थात पैसठ करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था। अतः उसका रिहा होना केवल भारत की समस्या नहीं है।

क्या फतवों से मुस्लिम महिलाओं के आजाद क़दमों को रोक लेंगे, मौलाना ?

देश में कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा फतवे की तानाशाही का एक माहौल बनाया जा रहा है, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। हम देश में महिलाओं की भागदारी को प्राथमिकता देने की बात करते हैं। अगर मुट्ठीभर कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा दिए गए मुस्लिम महिलाओं पर विवादित फतवों की परवाह करेंगे तो कहीं हमारे देश का महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम पीछे न छूट जाए। मुस्लिम समाज में प्रचलित ‘तीन

फिर टूटने की कगार पर पाकिस्तान !

अगर आप पाकिस्तानी मीडिया को फोलो कर रहे हैं, तो आपने देखा होगा कि वहां पर पंजाबी बनाम शेष वाली स्थिति पैदा हो चुकी है। बलूचिस्तान और सिंध सूबों की जनता में देश के सबसे बड़े सूबे यानी पंजाब के प्रति नफरत का भाव है। कुछ समय पहले बलूचिस्तान में हुई दो अलग-अलग घटनाओं में 16 पंजाबी मूल के लोगों को गोलियों से मार डाला गया।