राजनीतिक जमीन के साथ-साथ कांग्रेस का बौद्धिक और भाषाई स्तर भी गिरता जा रहा है !
हमेशा की तरह अपने बेसिर-पैर के बचकाने बयानों को लेकर थोथी लोकप्रियता बटोरने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी फिर सुर्खियों में हैं। इस बार भी कारण वही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करने गए राहुल ने इस बार नैतिकता व मर्यादा की सीमाएं पार करते हुए अशालीन टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि संघ व भाजपा में महिलाओं से भेदभाव होता है। मैंने संघ की महिलाओं को कभी शॉर्ट्स में नहीं
जनरक्षा यात्रा : केरल में भाजपा की बढ़ती धमक
केरल की वामपंथी हिंसा के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा जनरक्षा यात्रा की शुरुआत के गहरे अर्थ हैं। दरअसल केरल में आजादी के बाद से ही संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं पर हमले होते रहे हैं, जिनमें अबतक लगभग तीन सौ कार्यकर्ताओं की जान जा चुकी है। इनमें सर्वाधिक हत्याएं केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन के क्षेत्र कन्नूर में होने की बात भी कही जाती रही है।
बोलने से पहले सोचना कब शुरू करेंगे, राहुल गांधी !
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव के प्रचार में लगे हैं। खूब रैलियां कर रहे और तरह-तरह से सरकार पर निशाना भी साध रहे हैं। मगर, वे हैं तो राहुल गांधी ही न, सो कमोबेश अपनी विशिष्ट राजनीतिक समझ का प्रदर्शन कर ही देते हैं। चुनाव प्रचार के क्रम में पिछले दिनों वे गुजरात के वडोदरा में छात्रों को संबोधित कर रहे थे। जय शाह प्रकरण से लेकर मोदी सरकार के काम-काज और 2014
जय शाह पर आरोप लगाने वाला खेमा मानहानि के मुकदमे से इतना असहज क्यों है ?
पिछले दिनों एक वेबसाइट पर छपे एक लेख में बीजेपी अध्यक्ष अमित भाई शाह के पुत्र जय शाह पर उल-जुलूल तथ्यों के जरिये आरोप लगाया गया कि केंद्र भाजपा की सरकार आने के बाद उनकी कंपनी साल भर में ही अमीर बन गई। लेख की प्रकाशक वेबसाइट, जिसमें ज़्यादातर वामपंथी विचारधारा के लोग शामिल हैं, ने सियासी रंग में रंगकर इस लेख को दुनिया के सामने परोसा।
बीएचयू प्रकरण : बर्खास्त प्रोफेसर और आइआइटी बीएचयू निदेशक की शह पर रची गयी साजिश
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में 22 सितंबर और 23 सितंबर, 2017 को घटित अशांति, उपद्रव और आन्दोलन की चिंगारी की तैयारी विगत कई महीनों से चल रही थी। इसकी योजना संदीप पांडे और उनके नेतृत्व में गठित स्टूडेंट फॉर चेंज नामके जेएनयू मार्का वामपंथी नक्सल समर्थक संगठन ने तैयार की जिसमें कई स्वार्थ प्रेरित समूह बाद में जुड़ते चले गए।
मोदी सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने पर अन्ना को ‘जन्नत की हकीकत’ मालूम हो जाएगी !
किस तरह से कभी-कभी कुछ नेता और आंदोलनकारी अप्रासंगिक हो जाते हैं, उसका शानदार उदाहरण है अन्ना हजारे। अब उन्हें कोई याद तक नहीं करता। उनकी कहीं कोई चर्चा तक नहीं होती। एक दौर में वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई के प्रतीक बनकर उभरे थे। अब वही अन्ना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चेतावनी दे रहे हैं लोकपाल की नियुक्ति को लेकर। आंदोलन की धमकी दे रहे हैं।
पतन की कगार पर खड़े वामपंथी खेमे की बौखलाहट
आजकल वामपंथी विचार को मानने वाले छात्र संगठन, पत्रकार समूह और बुद्धिजीवियों में अजीबो-गरीब बेचैनी देखने को मिल रही है। हालांकि इस तरह के लक्षण और इनकी ओछी हरकते कोई नई नहीं है। ये इन दिनों देश में होने वाली छोटी से बड़ी सारी नकारात्मक घटनाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
शांतनु की हत्या पर गौरी लंकेश की हत्या जैसा ‘शोर’ क्यों नहीं है ?
पिछले दिनों तथाकथित पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या हुई, जिसकी खबरें लगातार सुर्खियों में बनी रहीं। मीडिया में लंकेश की हत्या से अधिक चर्चा हत्या को लेकर मची राजनीति पर हुई। यह शोर अभी थमा नहीं था कि बीते बीस सितम्बर को एक और पत्रकार की हत्या की खबर सामने आई। त्रिपुरा में एक टीवी पत्रकार शांतनु भौमिक की उस वक्त हत्या कर दी गई जब वे मंडई इलाके में दो राजनीतिक दलों के बीच मचे घमासान
यूएन में भारत बोला पाकिस्तान है ‘टेररिस्तान’, अलग-थलग पड़ा पाक !
पाकिस्तान को जब भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों से अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है, तो वो वैश्विक समस्याओं के निदान में अपना सहयोग या सुझाव देने की बजाय सिर्फ भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाने और कश्मीर समस्या का वितंडा खड़ा करने तक ही सिमटकर रह जाता है। पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की पुरजोर कोशिश करता आ रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से लेकर सेना प्रमुख तक
योगी सरकार के श्वेत पत्र ने खोला सपा-बसपा सरकारों के ‘कारनामों’ का कच्चा-चिट्ठा
विरासत पर श्वेतपत्र जारी करना प्रत्येक सरकार का अधिकार और कर्तव्य दोनो है। यह एक बेहतर परम्परा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी शुरुआत की है। प्रदेश की जनता को पिछली सरकारों के क्रियाकलापो के संबन्ध में जानने का अधिकार भी है। चुनाव के समय बहुत आरोप प्रत्यारोप लगते हैं। जो पार्टी सत्ता में आती है, उसी पर सच्चाई को सामने लाने की जिम्मेदारी होती है। यदि यह कार्य पिछली