काउंटर फैक्ट

गौरी लंकेश की हत्या पर बोलने वाले बुद्धिजीवी केरल की वामपंथी हिंसा पर मुंह में दही क्यों जमा लेते हैं?

300 से अधिक राजनीतिक हत्याएं और हजारों लोग हिंसा के शिकार। चौंकाने वाला आंकड़ा है। मगर, यह आंकड़ा न तो कुख्यात आतंकवादी संगठन आइएस प्रभावित इराक या सीरिया का है और ना ही तालिबान प्रभावित किसी देश का है। यह आंकड़ा उस देश का है, जहाँ एक वामपंथी और घोषित रूप से हिंदुत्व विरोधी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर ऐसा बवाल मचाया जाता है कि मानों देश में सब कुछ असुरक्षित है। वहीं

आरोप लगाकर गायब होने में माहिर हैं रामचंद्र गुहा

एक पत्रकार या इतिहासकार से यह अपेक्षा रहती है कि वो अपनी खबरों और शोध के पुख्ता प्रमाण भी दे। तब उसके काम को प्रतिष्ठा मिलती है। लेकिन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा इस मामूली-सी बात को भूल गए हैं। गुहा के साथ यह परेशान बढ़ती जा रही है। अब उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या में संघ का हाथ बता दिया है। जब कर्नाटक पुलिस अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, तो गुहा को कैसे पता चल गया कि गौरी लंकेश

गौरी लंकेश मामले में मीडिया ने रिपोर्टिंग नहीं की, सीधे जज बन गयी !

पत्रकार और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या ने सभी सोचने-समझने वालों के मनो-मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया, एक सभ्य समाज में इस तरह की हत्या स्वीकार्य नहीं है। इस मुद्दे पर विचार करने से पहले यह जान लेना ज़रूरी है कि गौरी लंकेश शुद्ध तरीके से एक लेफ्टिस्ट विचारधारा का समर्थन करने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट थीं। उनके निशाने पर पिछले कई सालों से बीजेपी और संघ परिवार रहा था, इस तथ्य को स्वीकार

राजनीतिक जमीन के साथ-साथ बोलने की तमीज भी खोती जा रही है कांग्रेस !

कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने महिला पत्रकार गौरी लंकेश हत्‍याकांड के मामले पर बयानबाजी करने में जिस प्रकार की जल्‍दबाजी दिखाई व बड़बोलापन प्रकट किया उससे उनकी राजनीतिक नासमझी पर मुहर ही लगी है। उन्‍होंने इस मामले का पूरी तरह राजनीतिकरण करते हुए भाजपा व आरएसएस पर आधारहीन होकर आरोप लगाए। उन्‍होंने कहा कि भाजपा व आरएसएस के खिलाफ जो भी बोलता है, उस पर हमला

प्रेस क्लब में गौरी लंकेश की हत्या पर शोक जताने की नहीं, मोदी विरोध की सभा थी !

हत्या एक जघन्य अपराध है, इसका कड़ा विरोध होना चाहिए; फिर वो चाहे कोई हो, किसी भी विचारधारा का हो, आपसे सहमत हो, ना हो और आपका धुर विरोधी ही क्यूं ना हो। पर, कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू में खौफनाक ढंग से हुई गौरी लंकेश की हत्या के बाद जिस अंदाज में राजधानी दिल्ली से लेकर देश भर में एक माहौल बनाने की कोशिश की गई, उससे एक बार फिर असहिष्णुता का मुद्दा बनाकर अवार्ड वापसी

कांग्रेस शासित कर्नाटक में हुई हत्या के लिए किस मुँह से भाजपा पर इल्जाम लगा रहे, राहुल गांधी!

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। यहां कानून व्यवस्था बनाये रखना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या होना निस्संदेह दुखद और निंदनीय है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह यथाशीघ्र दोषियो को गिरफ्तार करके उन्हें कठोर सजा दिलवाए। यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सच्चाई को सामने लाये। प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने कहा कि अभी वह घटना की

गौरी लंकेश की हत्या पर कर्नाटक सरकार से सवाल पूछने से क्यों बच रहे, कॉमरेड ?

कर्नाटक जैसा देश का एक शानदार और प्रगतिशील राज्य जिस तेजी से गर्त में मिल रहा है, उसे सारे देश को गंभीरता से लेना होगा। बैंगलुरू में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर में घुसकर हत्या से सारा देश का मीडिया जगत सन्न है। वो जुझारू पत्रकार थीं। गौरी के कातिलों को पकड़ा जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले।

डोकलाम में भारत ने कायदे से चीन को उसकी औकात दिखा दी है !

भारत ने इस बार कायदे से चीन को समझा दिया कि हमें 1962 वाला कमजोर और निरीह देश मत समझना। अगर जंग की तो इतनी मार खाओगे कि पानी नहीं मिलेगा। भारत के आत्मविश्वास के आगे धूर्त चीन पस्त हो गया। उसने अपने कदम वापस खींच कर समझदारी दिखाई। दोनों पड़ोसियों के ताजा विवाद ने कुछ बिन्दुओं को साफ कर दिया। जैसे कि चीन घनघोर विस्तारवादी देश है। विश्व समुदाय को चीन की इस हरकत

भ्रामक ‘तस्वीरों’ के जरिये भीड़ बढ़ाकर भाजपा को भगाने निकले हैं, लालू यादव !

27 अगस्त, 2017 को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की अगुआई में पटना के प्रसिद्ध गाँधी मैदान में “भाजपा भगाओ, देश बचाओ” रैली आयोजित की गई, जिसमें जदयू के बागी नेता शरद यादव, कांग्रेस, तृणमूल, समाजवादी पार्टी, भाकपा, राकांपा समेत कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए। रैली का मकसद था नीतीश कुमार और भाजपा पर निशाना साधना। लालू खेमे द्वारा इस रैली को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर और सफल बताया जा रहा

मुस्लिम तुष्टिकरण : मुहर्रम के लिए दुर्गा विसर्जन पर रोक लगाकर ममता ने बड़ी गलती की है !

पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी फिर सुर्खियों में हैं। कहना चाहिये कि विवादों में हैं। हमेशा की तरह इस बार भी आधारहीन और बेसिर पैर की बातों को लेकर। दरअसल इसबार मुहर्रम और दुर्गा मूर्ती विसर्जंन की तारीख एक ही दिन पड़ रही है। ममता ने मोहर्रम को प्राथमिकता देते हुए इस बार मुहर्रम के दिन दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगा दी है। घोषणा के अनुसार मोहर्रम के कारण इस साल दुर्गा पूजा के बाद होने