चुनाव आयोग की ईवीएम हैकिंग की चुनौती पर सन्नाटा क्यों मारे हुए हैं विपक्षी दल ?
गत मार्च में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की बम्पर विजय से बौखलाए विपक्षी दलों ने अपने बचाव में और कोई दलील न देखकर एक नया शिगूफा उछाल दिया। शिगूफा यह कि भाजपा ने यह जीत ईवीएम में हेर-फेर करके प्राप्त की है। इस शिगूफे की शुरुआत यूपी में अपना सूपड़ा साफ़ होने से बौखलाई मायावती ने की जिसे पंजाब में हार से बौखलाए अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी ने लपक लिया।
परेश रावल की लानत-मलानत करने वाले अरुंधति राय के इन ‘कारनामों’ पर क्या कहेंगे ?
हिन्दी फिल्मों के बेहतरीन चरित्र अभिनेता और बीजेपी सांसद परेश रावल के पीछे सारी सेक्युलर बिरादरी हाथ धोकर पड़ गई है। परेश रावल ने कश्मीर में आर्मी की जीप से एक युवक को बांधकर घुमाने वाले मामले पर ट्वीट किया कि किसी पत्थरबाज को जीप से बांधने से अच्छा है अरुंधति राय को बांधो। इस ट्वीट पर तगड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया। वाम और तथाकथित सेकुलर ब्रिगेड के पैरोकार परेश रावल की लानत-मलानत करने में
क्या बिहार में अब क़ानून का राज नहीं, राजद कार्यकर्ताओं का जंगलराज चलेगा ?
विगत दिनों सीबीआई ने लालू यादव के कई ठिकानों पर छापेमारी की, जिसके बाद बौखलाए राजद कार्यकर्ताओं ने इसे भाजपा सरकार की बदले की कार्रवाई बताते हुए भाजपा के पटना कार्यालय पर हमला कर दिया। यह लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक है। किसी भी बड़े राजनेता के घर पर छापा पड़ना कोई नई बात नहीं है। कोर्ट (न्यायपालिका) ने न जाने कितनी बार नेताओं को झटका दिया है।
तीन तलाक की पैरवी में ‘किसकी’ भाषा बोल रहे हैं कपिल सिब्बल ?
कोई भी व्यक्ति किसी संगठन से तभी जुड़ता है, जब उसके विचार संगठन की विचारधारा से साम्य प्रकट करते हैं। अतः इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि संविधानिक पीठ के समक्ष रखे गए कपिल सिब्बल के विचार तीन तलाक पर कांग्रेस की विचारधारा से साम्य रखते होंगे। साथ ही, राजनीतिक तौर पर भी कांग्रेस तीन तलाक का स्पष्ट रूप से विरोध करते हुए कभी नहीं दिखी
स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का देशविरोधी चेहरा
यूँ तो देश में अक्सर ही कश्मीरी अलगाववादियों के पाक से संबंधों को लेकर चर्चा होती ही रहती है, लेकिन अभी हाल ही में आए इंडिया टुडे के एक स्टिंग ने इस सम्बन्ध में स्थिति को विशेष रूप से चर्चा में ला दिया है। कई बार ऐसा हुआ है कि अलगाववादियों की गतिविधियों से उनका देश विरोधी रवैया सामने आया है, मगर अब इस स्टिंग ने पूरी स्थिति को एकदम ससाक्ष्य रूप से स्पष्ट कर दिया है।
समाजवादी पार्टी के लिए तो अब यही कहेंगे कि रस्सी जल गयी, मगर बल नहीं गया !
उत्तर प्रदेश विधानसभा में विगत सोमवार को समाजवादी पार्टी के विधायकों ने जिस तरह का आचरण किया, उससे लोकतंत्र कलंकित जरूर हुआ। वे जिस तरह से माननीय राज्यपाल राम नाईक पर कागज के गेंदें उछल रहे हैं, वो बेशक शर्मनाक है। उत्तर प्रदेश एक दौर में देश की प्राण और आत्मा माना जाता था। कहते थे, जो उत्तर प्रदेश आज सोचता है, उसे शेष देश दो दिनों के बाद सोचता है।
सीपीएम के कन्नूर मॉडल का शिकार हुए संघ कार्यकर्ता बीजू
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक और कार्यकर्ता की हत्या केरल के कन्नूर में शुक्रवार दिनांक 13 मई को गला रेत कर, कर दी गयी है। चूराक्कादु बीजू (35) की निर्मम हत्या कन्नूर के पय्यानुर उपनगरीय इलाके में सी.पी.एम. से ताल्लुक रखने वाले राजनैतिक प्रतिरोधियों ने कर दी। यह घटना शुक्रवार शाम 3 बजे के लगभग उस समय घटित हुई जब बीजू अपनी मोटर साइकिल से अकेले कहीं जा रहे थे। पलमकोड पुल के निकट उनकी
तीन तलाक के समर्थक बताएं कि उनके लिए संविधान पहले है या मज़हबी कायदे ?
सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने मुस्लिमों में प्रचलित तीन तलाक, निकाह हलाला जैसी कुप्रथाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में बनी इस पीठ में पांच जज शामिल हैं, जो तीन तलाक पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की ओर से दायर सात याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे। इन पीड़ित महिलाओं ने हलाला व बहुविवाह जैसी इस्लामिक रूढ़ियों को भी कोर्ट में चुनौती दी है।
सीपीएम कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे – हमारे विरुद्ध आओगे तो हम तुम्हारे हाथ, पैर, सिर काट लेंगे !
ताज़ा घटना दिनांक 30 अप्रैल की है जब संघ के एक नवनिर्मित सेवा केंद्र को कन्नूर में उद्घाटन के महज २४ घंटों के अन्दर ही वामपंथी गुंडों के द्वारा तहस नहस कर दिया गया। इस केंद्र का शुभारम्भ जे नन्द कुमार जी ने किया था। रात्रि के तीसरे पहर में हुए आक्रमण में कार्यालय के अन्दर रखी सारी वस्तुएं तोड़ डाली गयीं; खिड़कियाँ, दरवाजे एवं ईमारत में लगे शीशे तोड़ डाले गए। भवन की बाहरी
क्या 67 सीटें सौरभ भारद्वाज के तरीके से ईवीएम हैक करके ही मिली हैं, केजरीवाल जी ?
दिल्ली विधानसभा में दो करोड़ रूपए लिए जाने के आरोप का जवाब देने की बजाय अरविन्द केजरीवाल और उनके समर्थकों ने आज ई.वी.एम. का डेमो प्रस्तुत किया। इस तथाकथित डेमो में यह प्रदर्शित करने की पुरजोर कोशिश की गई कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने पिछले चुनावों में मतदान के दौरान ई.वी.एम. में कोड डालकर मतगणना परिणाम प्रभावित कर लिए हैं और इसी कारण अन्य दलों की हार हुई है।