कश्मीर पर पाकिस्तान की ‘भाषा’ क्यों बोल रहे हैं पी चिदंबरम ?
कश्मीर की अलगाववादी ताकतों के प्रति मोदी सरकार के कड़े रुख और सेना को दी गयी खुली छूट के कारण ये ताकतें एकदम बौखलाई हुई हैं; इसी कारण कश्मीर में इन दिनों कभी हथियारबंद आतंकियों तो कभी पत्थरबाजों के जरिये वे सेना की कार्रवाई को कुंद करने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन, हमारे जवान इन चीजों से बेपरवाह कश्मीर से आतंकियों का सफाया करने के लिए कमर कसकर मोर्चा संभाले हुए
वामपंथियों के बौद्धिक प्रपंचों और दोहरे चरित्र को उजागर करतीं कुछ घटनाएं
पिछले दिनों दो-तीन अहम घटनाएं हुईं। उर्दू भाषा के एक कार्यक्रम जश्न-ए-रेख्ता में पाकिस्तानी-कनाडाई मूल के लेखक-विचारक तारिक फतह के साथ बदसलूकी और हाथापाई हुई, माननीय पत्रकार सह विचारक सह साहित्यकार ‘रवीश कुमार’ के भाई सेक्स-रैकेट चलाने के मामले में आरोपित हुए और अभी दिल्ली विश्वविद्यालय में फिर से एक ‘सेमिनार’ के बहाने जेएनयू में ‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी-जंग
गायत्री प्रजापति को बचाना कौन-सी क़ानून व्यवस्था है, अखिलेश जी ?
यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री और अमेठी विधानसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी गायत्री प्रजापति जो पहले से ही खनन घोटाले सम्बन्धी आरोपों से घिरे थे, पर बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का आरोप सामने आना सपा की मुश्किलें बढ़ा सकता है। दरअसल मामला कुछ यूँ है कि विगत दिनों एक महिला द्वारा गायत्री प्रजापति पर यह आरोप लगाया गया है कि २०१४ में उन्होंने उसे प्लाट दिलाने के बहाने अपने लखनऊ स्थित
जश्न-ए-रेख्ता में कट्टरपंथियों ने किया तारिक फ़तेह का विरोध, खामोश क्यों हैं सेकुलर ?
बीते रविवार तो दिल्ली में जश्न-ए-ऱेख्ता खत्म हुआ । उर्दू भाषा के इस उत्सव में काफी भीड़ इकट्ठा होती है । बॉलीवुड सितारों से लेकर मंच के कवियों की महफिल सजती है । प्रचारित तो यह भी किया जाता है कि ये तरक्कीपसंद और प्रोग्रेसिव लोगों का जलसा है । होगा । लेकिन इस बार जश्न-ए-रेख्ता में जो हुआ वह इस आयोजन को और इसके आयोजकों को सवालों के घेरे में खड़ा करता है और यह साबित भी करता है कि
आतंकियों के मददगारों पर सेना प्रमुख के कठोर रुख से बौखलाए क्यों हैं विपक्षी दल ?
भारतीय थल सेनाध्यक्ष विपिन रावत का ताजा बयान सेना पर पत्थर बरसाने वालों के लिए कड़े सन्देश और चेतावनी की तरह नज़र आ रहा। लेकिन, राष्ट्रीय हित में जारी इस चेतावनी को भी कांग्रेस व कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राजनीतिक चश्मे से देखने में कोई गुरेज़ नहीं किया, जो देश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही, यह इन विपक्षी दलों के राष्ट्र-हित के तमाम दावों की भी पोल खोल रहा है। गौरतलब है कि सभी
यूँ ही नहीं है किरण रिजिजू का बयान, वाकई में कम हो रही है हिन्दू आबादी
अरुणाचल प्रदेश में हिंदू जनसंख्या के सन्दर्भ में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के बयान पर कुछ लोग विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि उनका बयान एक कड़वी हकीकत को बयां कर रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि उनके बयान पर वो लोग हायतौबा मचा रहे हैं, जो खुद को पंथनिरपेक्षता का झंडाबरदार बताते हैं। हिंदू आबादी घटने के सच पर विवाद क्यों हो रहा है, जबकि यह तो चिंता का विषय होना
दो सालों के शासन में पूरी तरह से नाकाम रही है केजरीवाल सरकार, बिगड़ी दिल्ली की हालत
विकास के नारे के साथ एक दिल्ली के मुख्यमंत्री बनाने वाले केजरीवाल की आप सरकार को दो साल का समय पूरा हो चुका है। दिल्ली के मतदाताओं को स्वच्छ राजनीति, लुभावने वादों और विकास का सब्जबाग दिखाकर केजरीवाल सत्ता तक तो पहुंच गए, लेकिन उनके कार्यकाल में विकास के नाम पर एक पत्ता भी नहीं हिला है। दो साल का समय बीता तो सिर्फ दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और केंद्र
अखिलेश सरकार के विकास के दावों की पोल खोलते आंकड़े
उत्तर प्रदेश चुनाव में सत्तारूढ़ सपा के सर्वेसर्वा अखिलेश यादव ‘काम बोलता है’ का नारा लगाते हुए राज्य में अपने कथित विकास की ढोल पीट रहे हैं, लेकिन जब हम राज्य के विकास से सम्बंधित आंकड़ो पर नज़र डालते हैं, तो दूसरी ही तस्वीर सामने आती है। यूपी विकास केंद्रित मापदंडो पर बेहद पिछड़ा हुआ दिखाई देता है। गौरतलब है कि सन 2012 जब प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनी, तबसे लेकर
मोदी की भाषा पर सवाल उठाने से पहले अपनी गिरेबान में झांके कांग्रेस !
संसद का बज़ट सत्र चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सत्र में दोनों सदनों के समक्ष अपना वक्तव्य रखा। अबसे पूर्व सदन में प्रधानमंत्री के जो भी संबोधन हुए थे, उनमें प्रायः विपक्षी दलों के प्रति उदार दृष्टि और सहयोग का आग्रह ही दिखायी दिया था। किन्तु, उनके विनम्र और उदार संबोधनों का कांग्रेस-नीत विपक्ष पर कोई विशेष प्रभाव पड़ता कभी नहीं दिखा। हर सत्र में विपक्ष का अनावश्यक असहयोग कमोबेश
सिद्धांतों और विचारधारा से हीन अवसरवादी राजनीति का उदाहरण है सपा-कांग्रेस का गठबंधन
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए मतदान शुरू हो चुका है। गोवा और पंजाब की सभी सीटों पर मतदान होने के बाद अब आगामी ११ फ़रवरी को यूपी में प्रथम चरण का मतदान होने जा रहा। इसके मद्देनजर हमारे राजनेता अपनी राजनीतिक बिसात बिछाकर प्रचार–प्रसार करने में लगे हैं। यूपी में अगर सभी दलों के प्रचार पर नजर डालें तो स्पष्ट पता चलता है कि बीजेपी को छोड़ अधिकांश दल सिर्फ सियासी