काउंटर फैक्ट

प्रधानमंत्री के सवालों का जवाब दें नोटबंदी का विरोध कर रहे विपक्षी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगरा में परिवर्तन रैली को जिस अंदाज में संबोधित किया है, उसे दो तरह से देखा जा सकता है। एक, उन्होंने विपक्ष पर करारा हमला बोला है। दो, नोटबंदी पर सरकार और प्रधानमंत्री को घेरने के लिए हाथ-पैर मार रहे विपक्ष से प्रधानमंत्री ने सख्त सवाल पूछ लिया है। ऐसा सवाल जिसका सीधा उत्तर विपक्ष दे नहीं सकता। नोटबंदी का विरोध कर रहे नेताओं की ओर प्रधानमंत्री मोदी ने

नोटबंदी का विरोध करने वालों से सावधान रहने की जरूरत

भारत का आज का काल, एक क्रांति के दौर से गुजर रहा है। भारत के जनमानस को शायद अभी पूरी तरह से एहसास नही है कि वह, उस सौभाग्यशाली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो भारत के बदलने के हर पल पल को न सिर्फ अपने अंदर समेट रही है, बल्कि उसकी भागीदार भी बन रही है। यह शायद इसलिए है, क्योंकि यह अभी तक एक परस्पर संघर्षहीन क्रांति है, जो भारत में 16 मई 2014 से शुरू हो

हिंसा और दमन के जरिये राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करना है वामपंथ का असल चरित्र

केरल हमेशा से राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात रहा है। आये दिन वहां राजनीतिक दलों के आम कार्यकर्ता इन हिंसा के शिकार हो रहे हैं। केरल में अक्सर हर तरह की राजनीतिक हिंसा में अक्सर एक पक्ष मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ही होती आई है| चाहे आज़ादी के पहले त्रावनकोर राज्य के विरुद्ध एलप्पी क्षेत्र में अक्टूबर 1946 को हुआ कम्युनिस्टों का हिंसक पुन्नापरा-वायलर विद्रोह हो, जिसमें हजारों की तादाद

नोटबंदी का फिजूल विरोध कर खुद को ‘संदिग्ध’ बना रहा विपक्ष

जबसे केंद्र सरकार ने पांच सौ और हजार के नोटों को बंद किया है, देश में एक विमर्श चल पड़ा है कि यह फैसला किसके हक में है ? सबसे पहले एक बात स्पष्ट होनी चाहिए कि इस फैसले से आम जनता को कुछेक दिन की थोड़ी दिक्कत है, जोकि सरकार भी मान रही है, लेकिन काले कारोबारियों, हवाला कारोबारियों, आतंकवाद के पोषकों के लिए यह फैसला त्रासदी लेकर आया है। सभी भ्रष्टाचार के अड्डो पर सन्नाटा

खुली पाक कलाकारों के काले धन की पोल, स्टिंग ऑपरेशन में हुए बेनकाब!

भाजपानीत केंद्र सरकार द्वारा कालाधन पर रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पांच सौ एवं एक हजार के नोट बंद किए जाने और नए नोट जारी किए जाने के बाद से ही कालाधन का मुद्दा एकबार फिर विमर्श और चर्चा के केंद्र में आ गया है। सरकार की तरफ से एवं आम चर्चा में भी यह बात सामने आती रही है कि कालाधन का नेटवर्क महज देश के अंदर ही नहीं, बल्कि सीमापार तक फैला हुआ है। हाल में ही

दक्षिणी चीन सागर में चीनी मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने कसी कमर

पाकिस्तान के प्रति मोदी सरकार की शानदार कूटनीति, जिसने उसे न केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व में भी अलग-थलग करके रख दिया है, का परिचय देने के बाद बाद अब मोदी सरकार चीन के प्रति भी कठोर रुख अख्तियार करने के मूड में दिख रही है। अब भारत दक्षिणी चीन सागर में चीन की मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए कमर कस चुका है। इसीलिए चीन के बड़े प्रतिद्वंद्वी जापान के साथ मिलकर दक्षिणी

एक ‘दोषी’ चैनल को दण्डित करना मीडिया पर प्रतिबन्ध कैसे हो गया, मिस्टर बुद्धिजीवी ?

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से एनडीटीवी को पठानकोट आतंकी हमले के दौरान गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग के लिए दंडस्वरूप एक दिन के लिए ऑफ़ एयर होने का जबसे नोटिस भेजा गया है, राजनीतिक गलियारे और सोशल मीडिया से लेकर विचारधारा विशेष के बुद्धिजीवी वर्ग तक में वितंडा मचा हुआ है। राहुल गाँधी, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार वगैरह तमाम नेताओं समेत एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने इस पर

यह ‘विकास रथ’ नहीं, अखिलेश सरकार का ‘विदाई रथ’ है!

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे–जैसे करीब आ रहा है, सूबे की सियासत भी हर रोज़ नए करवट लेती नजर आ रही है। हर रोज़ ऐसी खबरें सामने आ रहीं हैं, जो प्रदेश की सियासत में बड़ा उलट फेर करने का माद्दा रखतीं हैं। सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही। गत जून माह से ही चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के बीच शुरू हुई तल्खी लागतार बढती जा रही है। अगर

पूर्व फौजी की आत्महत्या पर अपनी घटिया राजनीति से बाज आएं विपक्षी!

पिछले दो साल से चल रहा असहिष्णुता का नाटक इस देश में कब समय की गर्त में समा गया, किसी को पता भी नहीं चला, पर चंद एसी स्टूडियो की कुर्सियों पर बैठे प्रवंचक बुद्धिजीवियों की कॉफी के प्यालों में उठा तूफान इस देश का असली मिजाज नहीं दिखाता। यह देश इन बौद्धिकों की लफ्फाजी को बहुत मुद्दत और शिद्दत से पहचान गया है, इसलिए उन पर ध्यान भी नहीं देता।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर रहा विपक्ष

देश में जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है, तबसे वो आतंक के खिलाफ कठोर नीति के साथ काम कर रही है। लेकिन, यह भी एक सच्चाई है कि इस दौरान विपक्ष की तरफ से सरकार को कभी भी आतंकियों के विरुद्ध किसी कार्रवाई में समर्थन नहीं मिला। बल्कि, सेना के जवानों व पुलिसकर्मियों द्वारा जब भी कोई आतंकी मारा जा रहा है, तो इसपर देश का आम जनमानस जहां कार्रवाई का समर्थन कर जवानों का हौसला