कश्मीर की शांति बिगाड़ने के लिए सक्रिय हुआ गुपकार गिरोह, अमित शाह ने लिया आड़े हाथ
जम्मू-कश्मीर में हुई सुधारात्मक पहलों को अपनी निजी क्षति मानकर बैर पाल रहे नेता अब प्रदेश में दोबारा अराजकता लाना चाहते हैं। इसलिए ये गुपकार गठबंधन के रूप में सक्रिय हो रहे हैं।
विदेशी चंदे के चक्रव्यूह को तोड़ने में कामयाब रही मोदी सरकार
अब विदेशी चंदा लेने वाले एनजीओ के सभी सदस्यों, पदाधिकारियों को यह घोषित करना होगा कि वे कभी किसी व्यक्ति के धर्मांतरण में शामिल नहीं रहे हैं।
बिहार चुनाव : पराजितों का ईवीएम राग शुरू
ईवीएम राग के गायन का एक लाभ यह है कि पराजित दल व नेतृत्व आत्मचिंतन से साफ बच निकलता है। पराजय का पूरा ठीकरा ईवीएम पर फोड़ कर वह निश्चिंत हो जाता है।
बिहार चुनाव : राजग के पास विकास का मुद्दा है, जबकि राजद अपने शासन का नाम भी नहीं ले रहा
भाजपा व जेडीयू दोनों सुशासन को महत्व देने वाले दल हैं, जबकि राजद व कांग्रेस के काम करने का अलग तरीका है। इन दोनों दलों को विकास से कोई मतलब नहीं।
‘जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध’
जो इस मौके पर चुप हैं, समय उनके भी अपराध लिख रहा है। अगर आज अर्नब गोस्वामी पर मौन रहे तो कल आपकी और परसों हमारी बारी भी आ सकती है।
ये छप्पन इंच के सीने की ताकत ही है, जिससे डरकर पाकिस्तान ने अभिनंदन को रिहा किया था
दुनिया यह बात जान चुकी है कि ये छप्पन इंच के सीने की ही धमक है, जिसके कारण पाकिस्तान ने भयभीत होकर विंग कमांडर अभिनंदन को भारत को सौंपा था।
पाबंदी के बावजूद हाथरस जाने वाले राहुल-प्रियंका आज बल्लभगढ़ क्यों नहीं जा रहे ?
फरीदाबाद में हुई निकिता की हत्या पर न असहिष्णुता गैंग को न्याय चाहिए न ही विपक्षी दल को। यह पहली बार नहीं है जब विपक्षी दल ऐसी दोहरी मानसिकता दिखा रहे हैं
कमलनाथ ने नया कुछ नहीं कहा, महिलाओं के प्रति कांग्रेस की सोच ही यही है
कांग्रेस पार्टी महिलाओं के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करती है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेता समय-समय पर महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करते रहे हैं
‘बिहार अब लालू के लालटेन युग के अंधेरे से निकलकर एनडीए के विकास की रोशनी में चल रहा है’
बिहार अब लालू प्रसाद यादव एवं जनता दल के लालटेन युग वाले अंधेरे से बाहर निकल चुका है और नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की रोशनी में चल रहा है।
हाथरस मामले में हंगामा मचाने वाले राहुल-प्रियंका करौली की घटना पर मुंह में दही क्यों जमाए हैं ?
यदि राहुल और प्रियंका आम आदमी के इतने ही हिमायती हैं तो वे बलरामपुर और करौली क्यों नहीं गए। इस पर उन्होंने कोई ट्वीट क्यों नहीं किया।