श्रमिकों की बात

कुछ ऐसी घटनाएँ जो इस आपदा काल में पुलिस का मानवीय पक्ष तो दिखाती ही हैं, उम्मीद भी जगाती हैं

अपने कंधे पर समाज की सुरक्षा का भार ढोने वाली पुलिस ने अब कोरोना को भी हराने की जिम्मेदारी ले ली है। इसके कारण आज सैंकड़ों पुलिस कर्मियों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है लेकिन इसके बावजूद भी ये खाकी वर्दी धारी योद्धाओं ने अपने आप को कोरोना के खिलाफ जंग में सबसे अग्रिम पंक्ति में अब तक रखा है।

रेलवे के बहाने आपदा काल में राजनीति कर रहे विपक्ष के दावों की श्रमिकों ने खोली पोल

जिस विपक्ष को आपदा की इस घड़ी में सरकार का साथ देना चाहिए था वह विपक्ष विस्‍थापितों की तकलीफों को बढ़ाने में जुटा था ताकि मोदी सरकार को बदनाम किया जा सके। इसे रेलवे के उदाहरण से समझा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश लौटकर आए मजदूरों ने उतार दिया कई चैनलों के चेहरे से निष्पक्षता का मुखौटा

माय गव इंडिया के यूट्यूब चैनल  पर पलायन कर रहे लगभग आधा दर्जन मजदूरों का अनुभव सुनने को मिला। इस वक्त जब तन्हाई और अवसाद की काली छाया चारों तरफ कोविड 19 के इस दौर में पसरी है, ऐसे समय में यह अनुभव नई ऊर्जा से भर देने वाला है।

‘जब से लॉक डाउन में परमिशन मिली है तब से भट्टा चल रहा है’

वीडियो के दौरान एक माँग जो निकल के आई वो ये थी कि सरकार भट्टा मालिकों को लगभग एक वर्ष तक का कर्ज प्रदान करे क्योंकि उत्पाद के माँग में बड़ी गिरावट आयी है, इस माँग को केंद्र सरकार ने MSME सेक्टर के अंतर्गत स्वीकार कर लिया है।