मोदी सरकार के प्रयासों से खत्म हो रहा है नक्सलवाद
पिछले तीन साल में सुरक्षा बलों के 40 नए कैंप खोले गए हैं और 15 खोले जाने हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में मोबाइल टावरों की संख्या बढ़ाई गई है।
सांस्कृतिक अस्मिता को राजनीति के केंद्र में स्थापित करने वाले जननेता थे कल्याण सिंह
कल्याण सिंह का देहावसान राजनीति के एक युग का अंत व अवसान है। वे भारतीय राजनीति के शिखर-पुरुष के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
अपनी जड़ों से जुड़कर मानसिक दासता से मुक्त होगा भारत!
भारत अपनी जड़ों से जितना अधिक जुड़ेगा, उतना ही उसमें आत्मगौरव और आत्मविश्वास की भावना का विकास होगा तथा मानसिक दासता से मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
पर्यटन उद्योग : सांस्कृतिक स्थलों के विकास से पैदा होते रोजगार के अवसर
विभिन्न पर्यटन सर्किटों को विकसित करने के पीछे भारत की जड़ें तलाशने के साथ ही देश में धार्मिक पर्यटन को पंख देने की मंशा भी काम कर रही है।
आजादी के बाद नेहरू सरकार के शासन से बेहद दुखी थे गाँधी
देश को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को मिली और इसके साथ ही महात्मा गाँधी को आभास हो गया था कि कांग्रेस पार्टी को भंग करने का समय आ गया है। महात्मा गाँधी ने 27 जनवरी, 1948 को एक महत्वपूर्ण ड्राफ्ट तैयार किया था, जिसका शीर्षक था “Last will and Testament” (इसके बाद ही उनकी हत्या हो गयी थी, अतः इसे उनकी अंतिम इच्छा भी कहा जा सकता है।), इस ड्राफ्ट का
रामप्पा मंदिर : जिसे मार्को पोलो ने ‘मंदिरों की आकाशगंगा का सबसे चमकीला सितारा’ कहा था
मंदिर की छत पर शिवजी की कहानियां उकेरी गई हैं तो दीवारों पर रामायण और महाभारत की। मंदिर में मौजूद शिवलिंग के तो कहने ही क्या! वो अंधेरे में भी चमकता है।
प्रेमचंद : जो अपनी साहित्यिक जिम्मेदारी और सामाजिक आवश्यकता दोनों को ही भलीभांति समझते थे
साहित्यकार नग्न-से-नग्न सत्य को भी सौंदर्य में आवेष्टित कर प्रस्तुत करता है। वह अपने ढ़ंग से ‘सत्यं शिवम सुंदरम’ की स्थापना करता है। प्रेमचंद ने भी यही किया।
वंशवादी राजनीति से मुक्ति की दिशा में बढ़ रहा है देश
प्रधानमंत्री मोदी विकास की राजनीति के जरिए लोकतंत्र के सबसे बड़े दुश्मन यानी वंशवादी राजनीति को ठिकाने लगाने में जुटे हैं और उन्हें सफलता भी मिल रही है।
जीएसटी: विपक्ष का दोहरा चरित्र
यह मानना सिरे से गलत है कि जीएसटी दरों में किसी प्रकार के निर्णय केंद्र सरकार द्वारा लिए जाते हैं। इसमें राज्यों की पर्याप्त भूमिका और हिस्सेदारी है।
मोदी सरकार के प्रयासों से हासिल हुआ 200 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य, विपक्ष की बोलती बंद
टीकाकरण की यह उपलब्धि सरकार की एक लंबी तैयारी और कड़ी मेहनत से हासिल हुई है। कोरोना महामारी की शुरुआत के तत्काल बाद ही इसके लिए टास्क फोर्स बना दी गई थी।