प्रधानमंत्री मोदी के लद्दाख दौरे से साबित हो गया कि ये 1962 का भारत नहीं, 2020 का ‘नया भारत’ है
1962 के विपरीत प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर रहे हैं बल्कि सेना को स्थिति से निपटने के लिए पूरी छूट भी दे रखी है।
स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में ‘आत्मनिर्भर भारत’
पश्चिम के अपने प्रथम प्रवास (1893-97) के दौरान स्वामीजी ने पश्चिम का भारत की तरफ देखने का नजरिया ही बदल दिया। भारत को उस समय सपेरों का, दासों का और अंधविश्वासियो का देश माना जाता था जो सालो से विदेशियों द्वारा गुलाम रहा हो।
सरकारी बंगलों में रहना और फिर उन्हें अपना बना लेना नेहरू-गांधी परिवार की पुरानी परिपाटी है
भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उनका सरकारी बंगला खाली करने का आदेश जारी किया गया है।
महाराणा प्रताप और वीर सावरकर की महानता राजस्थान सरकार के प्रमाणपत्र की मोहताज नहीं है
परन्तु, ऐसे दुष्प्रयासों से प्रताप और सावरकर जैसे धवल चरित्रों पर काज़ल की एक रेख भी न लगने पाएगी। लोकमानस अपने महानायकों के साथ न्याय करना खूब जानता है।
‘आपातकाल के विरोध में उठा हर स्वर वंदन का अधिकारी है’
आपातकाल के दौरान मैं बक्सर व आरा की जेल में बंद रहा था। वो संघर्ष और यातना का दौर था। उस समय मेरे जैसे लाखों युवा देश की विभिन्न जेलों में बंद थे।
कोरोना महामारी के बीच अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संपूर्ण विश्व की निगाहें भारत की ओर हैं
योग आपको शारारिक और भौतिक अस्तित्व से ऊपर उठाकर मानव की उच्चतम क्षमता की ओर ले जाता है। और योग द्वारा जो भी कुछ मनुष्य को मिलता है, वो अधिकतर समाज को देने में ही विश्वास करता है।
रानी लक्ष्मीबाई : किरदार ऐसा कि दुश्मन भी तारीफ करने को मजबूर हो गए
रानी लक्ष्मीबाई के साहस और पराक्रम का अंदाजा जनरल ह्यूरोज के इस कथन से लगाया जा सकता है कि अगर भारत की एक फीसदी महिलाएं इस लड़की की तरह आज़ादी की दीवानी हो गईं तो हमें यह देश छोड़कर भागना पड़ेगा।
गुहा का गुजरात विरोध उनके मोदी विरोधी एजेण्डे का ही विस्तार है
रामचंद्र गुहा इतिहास के जानकार माने जाते हैं, खुद को महात्मा गाँधी का अनुयायी कहते हैं, लेकिन उसी गुजरात, जहाँ गांधी का जन्म हुआ था, को निशाना बनाने में लगे हैं।
जिनकी सरकारों ने कभी सीमा पर ध्यान नहीं दिया, वे सीमा सुरक्षा को लेकर पीएम पर किस मुंह से सवाल उठा रहे हैं?
यह देश का सौभाग्य ही है कि उसने ऐसे कुचक्रों एवं भ्रामक प्रचारों को अस्वीकृत कर निर्वाचित नेतृत्व को और अधिक सशक्त बनाकर अपनी प्रगति का पथ प्रशस्त किया।
हिन्दू साम्राज्य दिवस : छत्रपति शिवाजी और उनका लोकाभिमुख शासन
शिवाजी का राज्याभिषेक जिसे आज हम हिन्दू साम्राज्य दिवस के रूप में मनाते हैं, केवल किसी व्यक्ति विशेष के सिंहासन पर बैठने की घटना भर नहीं थी बल्कि वह समाज और राष्ट्र की भावी दिशा तय करने वाली एक युगांतकारी घटना भी थी।