नजरिया

लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने नए भारत की उपलब्धियों और आकांक्षाओं को स्वर दिया है!

मोदी ने स्‍वयं को कभी भी शासक अथवा राष्‍ट्राध्‍यक्ष की तरह नहीं, अपितु सदैव एक सेवक या सदस्‍य के तौर पर ही बताया है, उसी अनुसार आचरण भी किया है।

मोदी द्वारा लाल किले पर फिर झण्डा फहराने का वादा 140 करोड़ लोगों से मिले आत्मबल का ही प्रसाद है!

आप पूछेंगे कि मोदी देश को तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने का वादा कर रहे हैं, क्या ये प्राप्य है? भारत तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा, ये वादा नहीं विश्वास है।

मध्य प्रदेश : सामाजिक समरसता का केंद्र बनेगा संत रविदास मंदिर

समरसता यात्राओं में लोगों की सहभागिता इस विश्वास को पूरी तरह से पक्का करती है कि संत रविदास मंदिर सामाजिक समरसता का केंद्र बनेगा।

शांति और विकास की राह पर जम्मू-कश्मीर

जो जम्मू-कश्मीर पहले आतंकियों की हिंसा और मनमानी का गढ़ हुआ करता था, वहाँ अब शांति और विकास की संभावनाएं साकार हो रही हैं।

अनुच्छेद-370 हटने के चार सालों में विकास की मुख्यधारा का अंग बना जम्मू-कश्मीर

जम्मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद-370 को हटाया जाना केंद्र सरकार का एक बड़ा व ऐतिहासिक कदम था। उस ऐतिहासिक फैसले ने इस प्रदेश को मुख्यधारा से जोड़कर…

श्रावण विशेष : भारतीय संस्कृति की समन्वय-शक्ति के अधिष्ठाता देव हैं शिव

शिव के इस समन्वयकारी स्वरूप का विस्तार केवल उनके परिवार तक ही नहीं है, अपितु भारतीय लोक में भी उसकी स्पष्ट उपस्थिति दृष्टिगत होती है।

सामाजिक समरसता के लिए समर्पित गुरुजी गोलवलकर का जीवन

संघ की शाखा पर सामाजिक समरसता को जीनेवाले लाखों स्वयंसेवक गुरुजी के आह्वान पर ‘हिन्दव: सोदरा: सर्वे’ के मंत्र को लेकर समाज के सब लोगों के बीच में गए। 

रक्षा क्षेत्र के समझौतों के लिहाज से बेहद फलदायी रही प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा

अमेरिका से जो रक्षा और उनकी तकनीक हस्तांतरण के समझौते हुए हैं वे भारत की भू-सामरिक ताकत तो बढ़ाएंगे ही, स्वदेशी लड़ाकू विमान और ड्रोन निर्माण का रास्ता भी खोल देंगे।

स्वामी विवेकानंद का विश्व बंधुत्व का संदेश

जब स्वामी विवेकानंद स्वागत का उत्तर देने के लिए खड़े होते हैं और “अमेरिकावासी बहनों तथा भाइयों” से अपना वक्तव्य शुरू करते हैं और सामने बैठे विश्वभर से आये हुए लगभग 7 हज़ार लोग दो मिनट से ज्यादा समय तक तालियाँ बजाते रहते हैं।

सनातन भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का है विशेष महत्व

भारत के इतिहास पर नजर दौड़ाते हैं तो दिखता है कि सनातन संस्कृति के अनेक महापुरुषों को गुरु के आशीर्वाद एवं सान्निध्य से ही देवत्व की प्राप्ति हुई है।