कामकाज

आधुनिक कृषि बाजार के विकास की दिशा में प्रयासरत है मोदी सरकार

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक बार कहा था कि “सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन खेती नहीं”। दुर्भाग्‍यवश खेती की दुर्दशा उन्‍हीं के कार्यकाल में शुरू हो गई लेकिन उसकी मूल वजहों की ओर ध्‍यान नहीं दिया गया। इसके बाद हरित क्रांति, श्‍वेत क्रांति, पीली क्रांति जैसे फुटकल उपाय किए गए।

भारत सहित विश्व व्यापार पर कैसा होगा कोरोना संकट का प्रभाव ?

भारत में परिस्थितियाँ, अन्य विकासशील देशों की तुलना में, थोड़ी अलग हैं।  भारत में एक बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध है। स्थानीय स्तर पर निर्मित किए जाने वाले विभिन्न उत्पादों को आसानी से भारत में ही खपाया जा सकता है। भारत को आर्थिक विकास के सम्बंध में बहुत अधिक चिंता करने की शायद आवश्यकता नहीं है।

कोरोना से लड़ने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी गतिशील रखने की कवायदों में जुटी सरकार

कोरोना महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रही है, हालाँकि, भारतीय अर्थव्यवस्था को इस संकट से यथासंभव बचाने की कोशिश सरकार द्वारा लगातार की जा रही है। इसके लिए कई कदम उठाए हैं और आगे भी उठाए जाने की उम्मीद है। सरकार ने विगत दिनों वंचित तबके के लोगों, मजदूरों और कामगारों को राहत देने के लिये 1.75 लाख करोड़ रूपये के पैकेज का ऐलान किया था, जिसकी एक बड़ी राशि का वितरण लाभार्थियों के बीच किया जा चुका है

कोरोना संकट के दौर में मोदी सरकार की जैम योजना से गरीबों तक आसानी से पहुँच रही मदद

भारत एक विशाल देश है, जिसकी आबादी 130 करोड़ से भी अधिक है। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में 80 करोड़ लोगों को सहायता की राशि पहुँचाना कोई आसान कार्य नहीं था। परंतु, मोदी सरकार द्वारा अत्यंत सफलता पूर्वक लागू की गई जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) योजना के प्रभावी रूप से किए गए उपयोग ने इसे बहुत हद तक आसान बना दिया।

लॉकडाउन के बावजूद सप्लाई चेन को मज़बूत रखने में सफल रही है मोदी सरकार

पूरे विश्व में फैली कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत में इस महामारी को रोकने के उद्देश्य से पहले इक्कीस दिन और फिर उन्नीस दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है जिसके चलते देश भर की अधिकतर उत्पादन इकाईयाँ बंद कर दी गईं एवं आर्थिक गतिविधियों सहित विभिन्न अन्य सामान्य प्रकार की गतिविधियों को भी रोक दिया गया। 

एफडीआई नियमों में ताजा बदलाव से होगी भारतीय हितधारकों की रक्षा

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में 18 अप्रैल से बदलाव किया गया है। नए प्रावधानों से भारत के साथ सीमा साझा करने वाले किसी भी पड़ोसी देश को भारत में निवेश करने के लिए भारतीय सरकार से अनुमति लेनी होगी।

बेहतर एवं सस्ती चिकित्सा सुविधाओं के चलते मेडिकल टूरिज्म का हब बनने की ओर बढ़ता भारत

विश्व के कई देशों यथा चीन, इटली, स्पेन, फ़्रांस, जर्मनी, ईरान, अमेरिका एवं अन्य कई यूरोपीयन देशों में तो कोरोना वायरस ने सचमुच में ही महामारी का रूप ले लिया है क्योंकि इन देशों मे मरीजों की संख्या अब लाखों में पहुंच गई है। पूरे विश्व में कोरोना वायरस से प्रभावित मरीजों की संख्या 18.27 लाख का आंकड़ा पार कर गई है

दवा उद्योग के क्षेत्र में विकसित देश भी अब भारत पर निर्भर

विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी एवं भारतीय जनता का अभी हाल ही में आभार प्रकट किया है क्योंकि भारत ने अमेरिका को कोरोना वायरस को नियन्त्रित करने हेतु हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नामक दवा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराई हैं। यह दवा ब्राज़ील एवं श्रीलंका के साथ ही विश्व के कई अन्य देशों को भी उपलब्ध कराये जाने पर इन देशों के राष्ट्रपतियों ने भी भारत का आभार जताया है।

कोरोना आपदा ने समझाया कि क्यों जरूरी है नागरिकों का डाटाबेस

जो लोग मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया, बैंक खातों-राशन कार्डों को आधार  संख्‍या से जोड़ने, प्रत्‍यक्ष नकदी हस्‍तांतरण जैसी अनूठी मुहिम का निजता के हनन के नाम पर विरोध कर रहे थे उन्‍हें बताना चाहिए कि यदि ये उपाय न किए गए होते तो क्या कोरोना आपदा के समय करोड़ों लोगों के बैंक खातों तक तुरंत मदद पहुंच पाती?

कोरोना राहत पैकेज : लॉकडाउन में गरीबों और अर्थव्यवस्था के हितों को सुरक्षित रखने की पहल

कोरोना वायरस मानव अस्तित्व के लिये आज एक बड़ा खतरा बन गया है, जिससे बचने के उपाय फिलहाल बहुत ही कम दिख रहे हैं। सुधारात्मक उपायों को देर से अमलीजामा पहनाने वाले देशों को धीरे-धीरे यह अपनी चपेट में ले रहा है। सुधारात्मक उपाय नहीं करने पर इसका प्रकोप क्रमिक रूप से आगे बढ़ता है। पहले चरण में यह लोगों को गंभीर नहीं लगता है, लेकिन दूसरे चरण