मोदी राज में बढ़ रही भारतीयों की क्रय क्षमता, कम हो रही गरीबी
वित्त वर्ष 2005-06 से लेकर 2015-16 के दौरान यानी 10 सालों में गरीबी दर घटकर आधी रह गई है। गरीबी दर पहले 55 प्रतिशत थी, जो घटकर अब 28 प्रतिशत हो गई है। गरीबी मापने वाले सूचकांक में आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण आदि 10 संकेतकों को शामिल किया जाता है। गरीबी मापने वाले सूचकांक के अनुसार इन 10 सालों में 27.1 करोड़ लोग गरीबी की दलदल से बाहर
भारत के लिए व्यावहारिक और कारगर नहीं है न्यूनतम आय गारंटी योजना
दुनिया में ऐसी योजना की सफलता की बात कुछ अर्थशास्त्री कर रहे हैं, लेकिन ऐसे प्रयोग कुछ सीमित लोगों या छोटे देशों पर किये गये हैं, जिसके आधार पर भारत जैसे बड़े और विविधता से परिपूर्ण एवं बड़ी आबादी वाले देश में इसे सफलता पूर्वक लागू नहीं कराया जा सकता है। भारत में न्यूनतम आय गारंटी योजना को लागू करने के लिये 36 खरब रूपये की दरकार होगी
बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में अव्वल मोदी सरकार
बिजली, स्वच्छता और सड़क ये बेहद जरूरी बुनियादी सुविधायें हैं और मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में इन मोर्चों पर उल्लेखनीय कार्य किया है, जिसे खारिज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मोदी सरकार द्वारा किये गये कार्य आंकड़ों के आईने में साफ-साफ नज़र आ रहे हैं।
परिवहन के क्षेत्र में एक नयी बिजली क्रांति लाने में जुटी मोदी सरकार
बिजली से चलने वाले वाहन अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी मुफीद साबित होंगे। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक वाहन पेरिस जलवायु समझौते की शर्तों के अनुपालन में भी मददगार बनेंगे। इतना ही नहीं इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ आने वाली स्वचालन तकनीक से सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
सरकार के प्रयासों से सुधर रही बैंकों की हालत, कम हो रहा एनपीए
सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप कई कॉरपोरेट ऋणदाताओं ने दिसंबर, 2018 की तीसरी तिमाही में अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया है, जिससे बैंकों के एनपीए में कमी आई है। एनपीए में कमी आने और वसूली में तेजी आने से आने वाले दिनों में बैंकों की वित्तीय स्थिति में और भी सुधार आने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी
जलमार्गों के जरिए बदलेगी देश की आर्थिक तस्वीर
हमारे देश में जलपरिवहन की समृद्ध परंपरा रही है। यहां की नदियों में बड़े-बड़े जहाज चला करते थे, लेकिन आजादी के बाद इसे बढ़ावा देने की बजाय इसकी उपेक्षा की गई। नेताओं का पूरा जोर रेल व सड़क यातायात विकसित करने पर रहा, क्योंकि इसमें नेताओं-भ्रष्ट नौकरशाहों-ठेकेदारों की तिकड़ी को मलाई खाने के भरपूर मौके थे। इतना ही नहीं, सड़क और रेल
उनसठ मिनट में कर्ज से एमएसएमई उद्योगों के विकास को मिल रही गति
क्रेडिट सुइस द्वारा 1 मार्च, 2019 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि (https://www.psbloansin59minutes.com) ऑनलाइन लोन पोर्टल अपने आगाज के 3 महीनों के अंदर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) को कर्ज उपलब्ध कराने का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया है। वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक सहित 21 कर्जदाता इस पोर्टल के माध्यम से एमएसएमई कारोबारियों को कर्ज उपलब्ध करा रहे हैं।
आयुष्मान भारत को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने की कवायदों में जुटी सरकार
आयुष्मान भारत योजना के आगाज के बाद से ही शहरी इलाकों में लाभार्थियों की पहचान में मुश्किलें आ रही थीं, जिसके कारण इस योजना का लाभ अपेक्षित संख्या में लोग नहीं ले पा रहे थे। अस्तु, योजना के आगाज के बाद से ही लाभान्वितों की संख्या बढ़ाने के उपायों पर विचार किया जा रहा था। इसी संदर्भ में सरकार के नुमाइंदों ने एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्विगी और जोमैटो सहित 21 निजी कंपनियों के साथ करार करने का प्रस्ताव किया है
किसान सम्मान निधि : किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एक कारगर कदम
प्रधानमंत्री ने इस योजना की शुरुआत गोरखपुर से की। किसानों के कल्याण की यह अभूतपूर्व योजना है। मोदी ने कहा कि जिन किसानों को आज पहली किश्त नहीं मिली है, उन्हें आने वाले हफ्तों में पहली किश्त की राशि मिल जाएगी।
आरबीआई द्वारा रेपो दर में कमी से अर्थव्यवस्था को और अधिक गति मिलने की संभावना
रिजर्व बैंक ने नये गवर्नर की अगुआई में रेपो दर में कटौती करके समीचीन फैसला किया है। अब बारी है बैंकों की। अगर बैंक कर्ज ब्याज दर में कटौती करते हैं तो इसका सीधा फायदा कर्जदारों को मिल सकता है साथ ही साथ इससे रोजगार सृजन में इजाफा तथा अर्थव्यवस्था को भी और अधिक गति मिल सकती है।