कामकाज

पूर्वांचल में विकास की नयी इबारत लिख रहा बनारस

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वाराणसी को केंद्र बनाकर समूचे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश और समीपवर्ती बिहार में चिकित्‍सा ढांचा, रेल, सड़क, पाइपलाइन, जलमार्ग का व्‍यवस्‍थित नेटवर्क बिछाया जा रहा है। पूर्वी उत्‍तर प्रदेश और बिहार में चिकित्‍सा सुविधाएं बेहद पिछड़ी हुई हैं। यही कारण है कि यहां के लोगों को इलाज के लिए लखनऊ से लेकर दिल्‍ली तक का चक्‍कर लगाना पड़ता है।

चार सालों में सुशासन और विकास के हर मोर्चे पर कांग्रेस से बेहतर साबित हुई है मोदी सरकार !

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपानीत राजग की सरकार सत्ता में आई। आजादी के इतने वर्षों बाद पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार को अकेले दम पर बहुमत मिला। नरेन्द्र मोदी के करिश्माई चेहरे के आगे विपक्ष ढेर हो गया। जनता ने मोदी को दिल खोलकर अपना समर्थन दिया। इसका मुख्य कारण था कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की कुनीतियाँ। कांग्रेस के कार्यकाल में भ्रष्टाचार

सरकार के सुधारों से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में हो रही वृद्धि

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में किये जा रहे सुधारों के कारण जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जिसका पता वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में पेश किये गये आंकड़ों से चलता है। आंकड़ों के अनुसार पंजीकृत कंपनियों/कारोबारियों में से 71.25 प्रतिशत ने नवंबर, 2018 में जीएसटी मासिक रिटर्न दाखिल किया था, जबकि जुलाई, 2018 में यह 80 प्रतिशत था। जनवरी, 2018 में 87.4 प्रतिशत रिटर्न दाखिल गया था, जबकि अगस्त, 2017 में यह 92.6 प्रतिशत था।  

बहुआयामी नीतियों से किसानों की आय दोगुनी करने की ओर बढ़ रही मोदी सरकार

मोदी सरकार का मकसद किसानों की समस्या का निदान करना है, न कि लोकलुभावन योजनाओं  के माध्यम से उन्हें लुभाना। उदाहरण के तौर वर्ष 2008 में कृषि कर्ज माफी का नारा दिया गया था, लेकिन 5 से 6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में से केवल 72,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई और केवल 52,500 करोड़ रुपये माफ किया गया, जिसका

आकांक्षी जिला कार्यक्रम : मोदी राज में अति पिछड़े जिलों में भी पहुँच रही विकास की रोशनी

देश के सर्वागीण विकास और 2022 तक न्‍यू इंडिया के ख्‍वाब को हकीकत में बदलने के लिए मोदी सरकार ने देश के 115 सबसे पिछड़े जिलों में 5 जनवरी 2018 को आकांक्षी जिला कार्यक्रय (एस्‍पीरेशनल डिस्‍ट्रिक्‍ट प्रोग्राम या एडीपी) शुरू किया।

मोदी सरकार के सुधारवादी क़दमों से अर्थव्यवस्था के मानकों में बेहतरी के संकेत

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से दिसंबर महीने के दौरान सरकार का आयकर राजस्व 7.43 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 13.6 प्रतिशत ज्यादा है, जबकि अग्रिम कर संग्रह पिछले साल की तुलना में 14.5 प्रतिशत ज्यादा है।

एकीकरण और पुनर्पूंजीकरण के जरिये बैंकों को मजबूती देने में जुटी मोदी सरकार

विजया बैंक और देना बैंक का एक अप्रैल को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो जायेगा। देश में पहली बार तीन बैंकों का एकीकरण होगा। इस विलय से बनने वाला बैंक परिसंपत्ति के मामले में देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक और कुल मिलाकर तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) देश का सबसे बड़ा बैंक है जबकि दूसरे स्थान पर एचडीएफसी बैंक है।

मोदी की नीतियों से देश के साथ-साथ विदेशनीति के मोर्चे पर भी कारगर साबित हो रही सौर ऊर्जा

सौर ऊर्जा का क्षेत्र नया नहीं है। प्राचीन भारत में ही इसके महत्व का प्रतिपादन हो गया था। ऋषियों ने सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना। संभव है कि वह सौर ऊर्जा से भी परिचित रहे होंगे। परतंत्रता के दौर में इस ज्ञान को नजरअंदाज किया गया। स्वतंत्रता के बाद इस दिशा में व्यापक शोध की आवश्यकता थी। लेकिन बहुत समय बाद इसकी सीमित शुरुआत की गई। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री

मोदी सरकार की नीतियों का असर, दुनिया में सबसे तेजी से भारत में कम हो रही गरीबी !

जिस देश में गरीबी हटाओ के नारे के बावजूद गरीबी बढ़ती गई हो, वहां गरीबी मिटाने की बात करना कल्‍पना-लोक में विचरण करना ही माना जाएगा। सौभाग्‍यवश यह कल्‍पना अब हकीकत में बदल चुकी है। अमेरिकी शोध संस्‍था ब्रुकिंग्‍स के फ्यूचर डेवलपमेंट ब्‍लॉग में प्रकाशित रिपार्ट के मुताबिक भारत अब दुनिया का सबसे ज्‍यादा गरीबों का घर नहीं रह गया है। मई, 2018

आयुष्मान भारत योजना से प्रेरित होकर उत्तराखंड सरकार ने भी की स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी पहल

स्वतंत्रता के पश्चात देश में सरकारों ने आम आदमी को केंद्र में रखकर तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित कीं और कई नारे दिए। मगर ज्यादातर सरकारों की नीति और नीयत साफ ना होने के कारण तमाम योजनाएं ढकोसला ही साबित हुई हैं। इन योजनाओं ने आम आदमी के बजाय योजनाकारों को ही लाभ पहुंचाया और उनकी संपन्नता में बढ़ोतरी की।