आईबीसी क़ानून के जरिये फंसे कर्ज की वसूली से बैंकों की वित्तीय स्थिति में तेजी से हो रहा सुधार
भले ही बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) का इलाज लोगों को मुश्किल लग रहा है, लेकिन सरकार और बैंकों के प्रयास से मामले में सकारात्मक परिणाम परिलक्षित होने लगे हैं। एक तरफ सरकार समय-समय पर बैंकों को विभिन्न जरूरतों, उदाहरण के तौर पर, नियामकीय और फंसे कर्ज आदि के लिये पूँजी मुहैया करा रही है तो दूसरी तरफ नये-नये क़ानूनों जैसे, भगोड़ा विधेयक,
रंग ला रही है मोदी सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम!
आजादी के बाद से ही तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति में उलझी सरकारों ने देश की विशाल आबादी को संपदा न मानकर आपदा माना और उन्हें आपस में उलझाए रखने का काम किया। बांटो और राज करो की नीति पर चलने वाली सरकारों का पूरा जोर येन-केन प्रकारेण चुनाव जीतने और उसके बाद अपनी झोली भरने पर रहता था। इंदिरा गांधी की नीतिशून्य राजनीति के दौर
नए भारत के निर्माण का रोडमैप है नीति आयोग का रणनीतिक दस्तावेज़
नीति आयोग ने अपने रणनीतिक दस्तावेज में 2022-23 तक हर साल 8 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है। आयोग चाहता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को 4 लाख करोड़ डॉलर का बनाया जाये और सरकार 8 प्रतिशत की जगह सीधे 9 प्रतिशत के विकास दर को पाने के लिये कोशिश करे।
राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में कामयाब रहेगी मोदी सरकार!
अगले वर्ष चुनाव होने के कारण सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होने की गुंजाइश है। फिर भी, राजकोषीय घाटा के लक्ष्य के अनुरूप रहने का अनुमान है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में केंद्र की हिस्सेदारी से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी, क्योंकि आगामी महीनों में जीएसटी संग्रह में और भी वृद्धि होने का अनुमान है। हालाँकि, कहा जा रहा है
मोदी सरकार के प्रयासों से भारत की तरफ आकर्षित हो रहीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ
सरकार देश की आर्थिक एवं कारोबारी माहौल में सुधार लाने की कोशिश कर रही है, ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भारत पर भरोसा बढ़ सके। सरकार के प्रयासों के कारण ही कारोबार सुगमता के मामले में भारत ने हाल ही में एक लंबी छलांग लगाई है। फिलवक्त, भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों और ग्लोबल इनहाउस इकाइयों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
हर गाँव के बाद हर घर तक बिजली पहुँचाने में जुटी मोदी सरकार
जिस देश में योजनाओं की लेट-लतीफी का रिकॉर्ड रहा हो वहां निर्धारित समय से पहले योजना पूरी हो जाए तो इसे चमत्कार ही कहा जाएगा। पंद्रह अगस्त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार दिनों के भीतर देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। राजनीतिक इच्छाशक्ति और नौकरशाही की चुस्ती के कारण यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य 988 दिन में ही पूरा हो गया अर्थात तय समय से 12 दिन पहले।
‘विपक्षी दल भले न मानें, पर दुनिया मान रही कि मोदी राज में मजबूत हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था’
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में मोदी सरकार के क़दमों का लगातार असर दिख रहा है। भारत के नाम पर बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। एशिया प्रशांत देशों के बीच अब हमारा देश विकास क्रम में अव्वल राष्ट्र बनकर उभरा है। गत चार वर्षों में पैसिफिक देशों के बीच भारत ने सबसे तेज गति से उन्नति की है।
नए आधार वर्ष के कारण जीडीपी के बदले आंकड़ों पर सवाल क्यों?
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के 9 सालों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में यह 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी। सीएसओ ने संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान 4 वर्षों की विकास दर में 1 प्रतिशत से अधिक की कटौती की है।
अच्छे दिन : ‘भारत में संपत्ति का लोकतांत्रिकरण हो रहा है’
सितंबर तिमाही के लिये जीडीपी आंकड़े कुछ दिनों के बाद जारी किये जाने वाले हैं, लेकिन इससे पहले अर्थशास्त्री एवं देश व विदेश के वित्तीय संस्थान जीडीपी के आंकड़ों के गुलाबी होने का अनुमान लगा रहे हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.2% से 7.9% के बीच रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 7.4% की दर से विकास
जीसैट-29 : दुश्मन देशों के समुद्री जहाजों पर अब आसमान से नजर रखेगा भारत
अभी पिछले साल की ही बात है जब एक ही बार में 104 सेटेलाइट्स सफलतापूर्वक लांच करके भारत ने इतिहास रचा था और अपनी काबिलियत का लोहा सम्पूर्ण विश्व में मनवाया था। इस सफलता के बाद हम उन चंद देशों की सूची में शामिल हो गये हैं, जिनका खुद का सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है। उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुनः देश को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है।