नोटबंदी का एक साल : बढ़ा आयकर संग्रह, कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह पर देश
नोटंबदी के एक वर्ष पूर्व होने पर स्थिति यह है कि इससे डिजिटल लेनदेन में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जो रूपये में लगभग 1800 करोड़ होगी। मार्च एवं अप्रैल, 2017 में जब नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत लगभग दूर हो गई थी तब भी डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी हो रही थी। मार्च एवं अप्रैल 2017 में लगभग 156 करोड़ रूपये
देशी बीजों के विकास में जुटी मोदी सरकार
भले ही विरोधी मोदी सरकार को सूट-बूट वालों की सरकार का तमगा दें लेकिन सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी किसानों, मजदूरों, गरीबों के कल्याण के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। ग्रामीण सड़क, बिजली, मृदा कार्ड, सिंचाई, फसल बीमा, राष्ट्रीय कृषि मंडी, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में जितना काम पिछले तीन वर्षों में हुआ उतना तीन दशकों में भी नहीं हुआ था।
मोदी सरकार के सुधारों का दिखने लगा असर, कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में भारत की बड़ी छलांग!
विश्व बैंक की ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 में भारत कारोबारी सुगमता के लिहाज से 30 स्थान की लंबी छलांग लगाते हुए 190 देशों की सूची में 100 वें पायदान पर पहुँच गया। 30 अंकों की भारत की बड़ी छलांग इंगित करता है कि वर्तमान सरकार के सुधारात्मक उपायों के फल मिलने शुरू हो गये हैं। कारोबार के 10 में से 6 मापदंडों में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
विगत तीन वर्षों से सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है भारत
भारत पिछले तीन सालों से सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। मुद्रास्फीति वर्ष 2014 से लगातार नीचे आ रही है और चालू वित्त वर्ष में भी यह चार प्रतिशत से ऊपर नहीं जायेगी। इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा दो प्रतिशत से कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है। वर्ष 2010 के बाद पहली बार इस साल सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राजस्व के 72,500
किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार
अब तक किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सीधा फोकस कभी नहीं किया गया। पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया। अर्थात हमारी नीतियां खेती केंद्रित रहीं न कि किसान केंद्रित। इसका नतीजा यह हुआ कि कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी के बावजूद उसी अनुपात में किसानों की आमदनी नहीं बढ़ी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक भूल को सुधारते हुए 2022 तक किसानों की
जनधन योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिली संजीवनी
विमुद्रीकरण के बाद से जनधन खातों में तेज वृद्धि देखी गई। अब तक 30 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं। 10 राज्य, जहाँ 23 करोड़, प्रतिशत में 75% खाते खोले गये, में उत्तर प्रदेश 4.7 करोड़ खातों के साथ पहले स्थान पर, 3.2 करोड़ खाते खोलकर बिहार दूसरे स्थान और 2.9 करोड़ खातों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर है।
देश के समूचे परिवहन तंत्र को बिजली आधारित करने की नीति पर काम कर रही मोदी सरकार
हर गांव तक बिजली पहुंचाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश के समूचे परिवहन तंत्र को पेट्रोल-डीजल के बजाय बिजली आधारित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं। रेल लाइनों का विद्युतीकरण और 2030 के बाद पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध इसी योजना के अहम पड़ाव हैं। गौरतलब है कि सौ साल लंबे सफर के बाद वाहन उद्योग अब आंतरिक दहन वाले इंजन की जगह लीथियम ऑयन
मोदी सरकार की नीतियों से भ्रष्टाचार में आई कमी, बढ़ी विकास की रफ़्तार !
भ्रष्टाचार को विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा माना जा सकता है। बढ़ते वैश्वीकरण, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वित्तीय लेनदेन में भ्रष्टाचार की गूँज साफ तौर पर सुनाई देती है। आज कोई भी ऐसा देश नहीं है जो अपने यहाँ इसकी उपस्थिति से इंकार कर सके। देखा जाये तो लेन-देन की लागत में इजाफा, निवेश में कमी या बढ़ोतरी या संसाधनों के दुरुपयोग में भ्रष्टाचार की सक्रियता बढ़ जाती है। भ्रष्टाचार का प्रतिकूल प्रभाव निर्णय लेने की
अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी है जीएसटी, बेवजह है विरोध
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से पैदा हुई समस्याओं को लेकर कुछ लोग देश भर में हो-हल्ला मचा रहे हैं, लेकिन इसे अतार्किक ही माना जाना चाहिये। किसी भी नये कानून, नियमावली या व्यवस्था में हमेशा संशोधन की गुंजाइश होती है। अगर ऐसे कानून या व्यवस्था में सुधार नहीं किया जाता है तो जरूर उसे गलत कहा जाना चाहिए, लेकिन सरकार यदि नई व्यवस्था में मौजूद कमियों को दूर करने का प्रयास कर रही है
युवाओं को ‘रोजगार मांगने वाले’ से ‘रोजगार देने वाले’ बना रही मोदी सरकार !
बेरोजगारी के मुद्दे पर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वालों की कमी नहीं है लेकिन वे यह नहीं देख रहे हैं कि मोदी सरकार युवाओं को “रोजगार मांगने वाले” से “रोजगार देने वाले” में बदल रही है। मोदी सरकार ने हर साल जिन एक करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा है, वे वेतनभोगी प्रकृति की नहीं हैं। दरअसल मोदी सरकार का मुख्य बल प्रक्रियागत खामियों को दूर कर ऐसा वातावरण बनाने का है, जिसमें युवा वर्ग