कामकाज

रेरा एक्ट : बिल्डरों की बदमाशियों पर लगेगी लगाम, साकार होगा अपने घर का सपना

रेरा क़ानून का प्रस्ताव पहली बार जनवरी, 2009 में राज्यों एवं संघ क्षेत्रों के आवास मंत्रियों की राष्ट्रीय बैठक में पारित किया गया था। पुनश्च: आवासीय और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय के आठ वर्षों के लंबे प्रयास के बाद 01 मई, 2016 को इस कानून को अमलीजामा पहनाया गया एवं कुल 92 अनुच्छेदों में से 69 को अधिसूचित किया गया। देखा जाये तो इस अधिनियम का मकसद रियल्टी कंपनियों की गतिविधियों में

ये आंकड़े बताते हैं कि गरीबों तक बैंक पहुँचाने में कामयाब रही मोदी सरकार !

सैद्धांतिक रूप से ही भले ही बैंकों को गरीबों का हितैषी कहा जाता हो लेकिन व्‍यावहारिक धरातल पर बैंकों का ढांचा अमीरों के अनुकूल और गरीबों के प्रतिकूल रहा है। देश में गरीबी की व्‍यापकता एवं उद्यमशीलता के माहौल में कमी की एक बड़ी वजह यह भी है। 1969 में बैंकों के राष्‍ट्रीयकरण के बाद यह उम्‍मीद बंधी थी कि अब बैंकों की चौखट तक गरीबों की पहुंच बढ़ेगी लेकिन वक्‍त के साथ यह उम्‍मीद धूमिल पड़ती गई।

इजरायल से हुए कृषि विकास समझौते से भारतीय कृषि बनेगी मुनाफे का सौदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान इजरायल से अन्य क्षेत्रों के साथ जल प्रबंधन और कृषि विकास सहयोग समझौता किया गया है। इस समझौते के बाद यह उम्मीद बंधी है कि अब इजरायल की कृषि तकनीक का भारत को भी लाभ मिल सकेगा, जिससे भारतीय कृषि के भी फायदे का सौदा बनने के रास्ते खुलेंगे।

चीन की बदमाशियों को जीएसटी से मिलेगा माकूल जवाब

भारत में 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू कर दिया गया है। जीएसटी के प्रावधानों को देखते हुए माना जा रहा है कि इससे चीन के निर्यात पर लगाम लगेगा, क्योंकि जीएसटी के कुछ प्रावधानों के कारण चाइनीज उत्पादों का अंतर्राजीय वितरण आसानी से नहीं किया जा सकेगा, जिससे चाइनीज उत्पाद देश के दूर-दराज इलाकों तक नहीं पहुँच सकेंगे। इनकी पहुँच केवल एक राज्य के स्थानीय बाज़ारों तक

सातवें वेतन आयोग का मुद्रास्फीति पर नहीं पड़ेगा कोई नकारात्मक प्रभाव

आज समग्र सीपीआई में ग्रामीण सीपीआई की हिस्सेदारी 53.5% है, जिसमें आवास क्षेत्र का अंश शामिल नहीं है। लिहाजा, केंद्रीय कर्मचारियों के एचआरए में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात कहना बेमानी है। इसका मुद्रास्फीति पर अप्रत्यक्ष प्रभाव भी न्यून पड़ेगा,

कांग्रेस सरकारों की गलत नीतियों के कारण अंधेरे में डूबे गांवों को रोशन करने में जुटी मोदी सरकार

आजादी के बाद बिजलीघर भले ही गांवों में लगे हों लेकिन इन बिजलीघरों की चारदीवारी के आगे अंधेरा ही छाया रहा है। दूसरी ओर यहां से निकलने वाले खंभों व तारों के जाल से शहरों का अंधेरा दूर हुआ। आजादी के समय देश में केवल 1,362 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन होता था, लेकिन बीते 70 वर्षों के दौरान यह आंकड़ा 3,29,205 मेगावाट के स्‍तर पर पहुंच गया है। इसे शानदार नहीं, तो संतोषजनक उपलब्‍धि जरूर कहेंगे

सरल भाषा में जानिये कि जीएसटी से कैसे कम होगी महंगाई और होंगे क्या-क्या फायदे !

जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग लगने वाले सभी कर एक ही कर में समाहित हो जायेंगे। इसके तहत अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से उत्पादों के दाम घटेंगे। कम टैक्स होने से मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी। साथ ही, सरकार की टैक्स वसूली की लागत भी कम होगी। स्पष्ट है, इससे आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।

युवाओं के कौशल से भारत बनेगा दुनिया की आर्थिक महाशक्ति

किसी भी राष्ट्र में संसाधनों का जितना वैविध्य व आधिक्य होगा, वह राष्ट्र उतना ही समृद्ध होगा। बात जब संसाधनों की हो तो प्रायः भौगोलिक संसाधनों की ओर तेजी से रूख किआ जाता है परन्तु यह सर्वविदित है कि मानव संसाधन का अलग औचित्य व महत्ता है। मानव संसाधन किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सौर ऊर्जा के ज़रिये हर घर बिजली पहुँचाने के लक्ष्य की तरफ बढ़ रही मोदी सरकार

आजादी के 70 साल होने को हैं, लेकिन ये आजादी के बाद लम्बे समय तक शासन में रहीं कांग्रेसी सरकारों की नाकामी ही है कि आज भी करोड़ों लोगों की जिंदगी सूरज की रोशनी में ही चहलकदमी करती है। इनके लिए रात में लालटेन व दीये की टिमटिमाती रोशनी ही सहारा है। लेकिन अब यह अतीत की बात होने वाली है, क्‍योंकि मोदी सरकार जिस रफ्तार से सौर ऊर्जा के जरिए अंधेरा मिटाने में जुटी है, उससे हर घर चौबीसों

जीएसटी से महंगाई बढ़ने के विपक्षी दावे का निकला दम, सस्ती होंगी ज्यादातर चीजें

देश एक है, तो अब कर भी एक ही चुकाना होगा। एकल टैक्स लगाने की मांग कई सालों से चल रही थी। एनडीए सरकार ने अपने तीसरे वर्षगाँठ पर जीएसटी के ज़रिये अर्थव्यवस्था में ऊष्मा भरने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। जीएसटी काउंसिल ने 1200 से ज्यादा वस्तुओं और सेवाओं के लिए 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत, टैक्स के ये चार स्लैब तय किए हैं। संघीय ढांचे को मजबूत करने की दिशा में भी यह महत्वपूर्ण घटना है।