भीम एप : नक़दी रहित अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा, भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
नये साल के तोहफे के रूप में मोदी सरकार ने भारत की जनता को एक ऐसा माध्यम दिया है, जिसके इस्तेमाल से न केवल नोट की समस्या का समाधान होगा बल्कि बैंक की कतार या बैंक जाने से ही राहत मिल सकती है । जाहिर है कि 8 नवंबर को मोदी सरकार ने नोटबंदी जैसा साहसिक कदम उठाया उसके बाद से ही विपक्ष ने सरकार के इस एतिहासिक फैसले को खोखला तथा विफल बताने की बेजा कोशिश में
भीम एप : नक़दी रहित अर्थव्यवस्था की दिशा में कारगर कदम
देश की अर्थव्यवस्था से कालाधन और भ्रष्टाचार की सफाई के उद्देश्य से नोटबंदी जैसा साहसिक फैसला लेने वाली मोदी सरकार ने कैशलेस इकोनॉमी की तरफ देश को बढ़ाने की दिशा में भीम एप्प लांच किया है। इस एप्प का नाम डॉ भीमराव अम्बेडकर के नाम पर भीम एप रखा गया है। भीम एप डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक बनाने के साथ ग्रामीण तबके के लोगों को भी कैशलेस इकोनॉमी में
डिजिटल आदान-प्रदान की दिशा में नयी क्रांति लाएगा भीम एप
सत्ता संभालते ही देश के लिए सकारात्मक दिशा में कदम उठाने में लगे हुए पीएम मोदी ने कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए नोटबंदी का कदम उठाया। नोटबंदी के बाद भारत को नक़दी रहित अर्थव्यवस्था की तरफ मोड़ने बनाने की कोशिश में लगे प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल पेमेंटिंग के लिए बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के नाम पर भीम एप्प लॉन्च किया। BHIM का अर्थ है भारत इंटरफेस फॉर मनी
‘सबका साथ सबका विकास’ के लक्ष्य की दिशा में बढ़ रही मोदी सरकार
नोटबंदी के फैसले की मियाद खत्म होते ही सरकार जनता की भलाई और विकास के लिए अपनी झोली खोलते हुए किसानों, महिलाओं और मध्यम उद्योग-धंधो से जुड़े लोगों को मदद पहुंचाने के लिए कार्यरत दिख रही है। नोटबंदी की अवधि बीतने के बाद बीते 31 दिसंबर को जनता से मुखातिब प्रधानमंत्री मोदी ने कई प्रकार की जनहितैषी घोषणाएं की। कैशलेस इकोनॉमी के साथ देश को आगे ले जाने की फितरत के साथ
सरकार की कौशल विकास नीतियों से कुशलता की ओर अग्रसर भारत
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने वक्तव्यों में जिस बात की सर्वाधिक चर्चा की जाती रही है, वो यह है कि भारत का सर्वाधिक युवा आबादी संपन्न देश होना उसकी सबसे बड़ी ताकत है। मोदी की इस बात को वैश्विक मान्यता तब मिली जब संयुक्त राष्ट्र ने साल २०१४ नवम्बर में ‘१.८ अरब लोगों की ताकत’ नाम से वैश्विक आबादी पर जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि आज भारत दुनिया का सबसे युवा देश है।
दिव्यांगों के सशक्तिकरण के लिए मोदी सरकार का एक और कदम
केंद्र की सत्ता का भार संभालते हुए मोदी सरकार ने अपने वादों को पूरा किया। पहले किसानों, फिर महिलाओं के अच्छे दिनों का वादा पूरा करते हुए अब सरकार दिव्यांगों के अच्छे दिन लाने वाली है। देश में दिव्यांगों के अधिकारों की सुरक्षा करने वाले विधेयक ‘निशक्त जन अधिकार विधेयक – २०१४’ को हंगामे की भेट चढ़े संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिनों में पारित कर दिया गया। विपक्ष ने सरकार के
समय की मांग है नकदी रहित अर्थव्यवस्था
8 नवम्बर को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश में पाँच सौ और एक हजार के नोटों को प्रतिबंधित कर दिया गया और फिर इनकी जगह पाँच सौ और दो हजार के नये नोटों की शुरुआत की गई। चूंकि, पाँच सौ और हजार के पुराने नोट देश की कुल नकदी का ८६ प्रतिशत थे, इसलिए इनका प्रतिबंधित होना देश की अर्थव्यवस्था से लेकर आम जनों की घरेलू आर्थिकी तक को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाला था। बैंकों के आगे
जीएसटी से मिलेगी भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर क़ानून है, जो भारत की वर्तमान अप्रत्यक्ष टैक्स लगाने के पूरे सिस्टम को बदल देगा। 3 अगस्त, २०१६ को यह राज्यसभा में पारित हो गया और आगामी वित्त वर्ष से लागू भी हो जाएगा। अभी वर्तमान में वस्तुओं पर वैट और सेवा कर तथा सेवाओं पर सेवा कर लगता है और विभिन्न तरह के अलग-अलग टैक्स जैसे प्रोफेशनल टैक्स, चुंगी इत्यादि अप्रयक्ष टैक्स लग रहे
नोटबंदी : कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ता देश
देश को भ्रष्टाचार और कालेधन से मुक्त करने के लिये प्रधानमंत्री नेरंद्र मोदी की 8 नवंबर को एकाएक की गई घोषणा ने सभी हलकनों में हलचल-सी पैदा कर दी। इस ऐलान के बाद से सभी 500 और 1000 रूपये के पुराने नोट अमान्य हो गये। हालांकि इस देशव्यापी फैसले से लोगों को थोड़ी समस्या का सामना तो करना पड़ रहा है, किंतु अब लोग कैशलेस और मोबाइल वॉलेट का अधिक उपयोग कर रहे हैं, जिससे
जीएसटी : आम आदमी और अर्थव्यवस्था दोनों के अच्छे दिन लाने वाला कदम
तमाम सियासी दाँव-पेंचों के बावजूद 3 अगस्त, 2016 को राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित हुआ, जिसके साथ ही देश में लंबे समय तक उलझा हुआ एक महत्वपूर्ण निर्णय अपने मुकाम पर पहुँचा, जिसका श्रेय निश्चित तौर पर मोदी सरकार को जाता है। सरकार की सक्रियता ही इस आवश्यक आर्थिक सुधार के ऐतिहासिक कदम को उठाने के लिए जिम्मेदार है। विपक्ष द्वारा लगातार रुकावटें उत्पन्न