भारतीय राजनीति में सबके लिए प्रेरणास्रोत रहेंगे अरुण जेटली
देश की राजनीति में अगस्त, 2019 का महीना भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी गहरे आघात-सा साबित हो रहा है। सुषमा स्वराज को गए अभी एक पखवारा ही बीता था कि लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे अरुण जेटली का भी असमय ही निधन हो गया। अरुण जेटली का निधन देश की राजनीति में एक रिक्तता पैदा करने वाला है। जेटली एक विराट व्यक्तित्व के धनी राजनेता थे।
कांग्रेस को समझना चाहिए कि अपने नेता के साथ खड़े होने और उसे ‘क्लीन चिट’ देने में फर्क है
चिदंबरम दोषी हैं या नहीं, ये फैसला तो न्यायालय करेगा लेकिन खुद एक वकील होने के बावजूद उनका खुद को बचाने के लिए कानून से भागने की कोशिश करना, सीबीआई के लिए अपने घर का दरवाजा नहीं खोलना, समझ से परे है। लेकिन अब जब आखिर लगभग 19 महीनों की जद्दोजहद के बाद सीबीआई चिदंबरम के लिए कोर्ट से पाँच दिन की
चिदंबरम की गिरफ्तारी पर कांग्रेस की बौखलाहट का असली कारण उसका डर है
कांग्रेस राज में चिदंबरम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद बड़ा रुतबा रखते थे। वित्त और गृह जैसे मंत्रालय उनके पास रहे थे। मगर इसका यह अर्थ नहीं कि भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें कोई रियायत दी जाए। आईएनएक्स मीडिया घोटाला मामले में अब उन्हें हिरासत में लिया गया है तो पूरी कांग्रेस के अन्दर बौखलाहट नजर आ रही है।
उपयोगी रही प्रधानमंत्री मोदी की भूटान यात्रा
भूटान बहुत छोटा देश है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देशों से संबन्ध बेहतर रखने के मामले में उसे भी पूरा महत्व दिया। यह भारत की सहयोगी विदेश नीति है, जिसमें किसी देश को अपनी विशालता के दम पर उपेक्षित रखने का भाव नहीं होता। पाकिस्तान की बात अलग है।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद कश्मीर में हालात सामान्य रहना सरकार की बड़ी सफलता है!
जम्मू और कश्मीर में अब हालात सामान्य हो गए हैं। गत 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद-370 समाप्त करते हुए विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया था। इसके पहले ही घाट में सुरक्षा प्रबंध चौकस थे और इसके बाद भी यहां लगातार व्यवस्थाएं पुख्ता बनी हुईं हैं।
घरेलू रक्षा उत्पादन में क्रांति लाने में कामयाब रही मोदी सरकार
जिस देश में एक पर्व (विजयदशमी) विशेष रूप में शस्त्र पूजन के लिए हो वह देश दुनिया में हथियारों का अग्रणी आयातक हो तो इसे विडंबना ही कहा जाएगा। देश में अस्त्र-शस्त्र निर्माण की बहुत पुरानी परंपरा रही है। आधुनिक संदर्भ में देखें तो भारतीय रक्षा उद्योग की नींव 200 साल पहले ब्रिटिश काल में रखी गई।
अनुच्छेद-370 हटाने के विरोध में कांग्रेस के निरर्थक तर्क
सरकार के किसी कदम का विरोध करना अपनी जगह है, लेकिन इसे राष्ट्रीय हित के दायरे में ही होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन और अस्थाई अनुच्छेद को समाप्त करने के संकल्प पर अनेक पार्टियों का रुख चौकाने वाला था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट संदेश के जरिए सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए।
मुफ्तखोरी की राजनीति के जरिए अपनी नाकामियां छिपाने में जुटे हैं केजरीवाल
एक ओर मोदी सरकार सभी को चौबीसों घंटे-सातों दिन बिजली मुहैया कराने के लिए बिजली क्षेत्र में सुधारो को गति दे रही है तो दूसरी ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुफ्त बिजली का पासा फेंककर सुधारों की गाड़ी को पटरी पर उतारने पर तुले हैं। गौरतलब है कि बिजली क्षेत्र को बदहाल बनाने में मुफ्त बिजली की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
‘सुषमा स्वराज का निधन भारतीय राजनीति की वो क्षति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती’
सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके जाने से राजनीति ही नहीं, बल्कि देश व दुनिया के समाज को भी क्षति पहुंची है। उनके जैसी महिलाएं राजनीति के क्षेत्र से आती हैं, तो समूचा समाज उनसे प्रभावित होता है, उनका लोहा मानता है। भाजपा की कद्दावर नेता और पूर्व विदेश मंत्री होने के अलावा भी वे बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी थीं।
कश्मीर के राजनीतिक हल की बात करने वाले इस ‘राजनीतिक हल’ को क्यों नहीं पचा पा रहे?
कश्मीर में “कुछ बड़ा होने वाला है” के सस्पेंस से आखिर पर्दा उठ ही गया। राष्ट्रपति के एक हस्ताक्षर ने उस ऐतिहासिक भूल को सुधार दिया जिसके बहाने पाक सालों से वहां आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में सफल होता रहा, लेकिन यह समझ से परे है कि कश्मीर के राजनैतिक दलों के महबूबा मुफ्ती, फ़ारूख़ अब्दुल्ला सरीखे नेता और कांग्रेस जो कल तक यह कहते थे कि कश्मीर समस्या का हल सैन्य कार्यवाही नहीं है बल्कि राजनैतिक है, वो मोदी सरकार के इस राजनीतक हल को क्यों नहीं पचा पा रहे हैं?