पॉलिटिकल कमेंटरी

शिक्षाविद् से लेकर राजनेता तक हर किरदार में कामयाब रहे डॉ मुखर्जी!

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय राजनीति के एक ऐसे महान व्यक्तित्व का नाम है, जिन्होने आज़ादी के पश्चात् देश की एकता–अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। राजनेता सहित एक शिक्षाविद और देश के पहले उद्योग मंत्री के नाते भारतीयता व राष्ट्रवाद को लेकर उन्होंने जो विचार दिए, वे आज भी प्रासंगिक हैं।

क्या सुलझने की ओर बढ़ रही है कश्मीर की गुत्थी?

अमित शाह के कश्मीर दौरे के दौरान यह साफ़ हो गया था कि कश्मीर में सही वक़्त पर चुनाव भी होंगे लेकिन उससे पूर्व आतंकियों की नकेल भी कसी जाएगी। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान सेना को आतंकियों से निबटने में खुली छूट दी गई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि स्थानीय आतंकियों की एक पूरी की पूरी जमात का सफाया हो गया,

चरणबद्ध ढंग से कश्मीर समस्या के समाधान की ओर बढ़ रही मोदी सरकार

पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कश्मीर को लेकर कुछ महत्वपूर्ण विषय रखे। इनमें राज्य में राष्ट्रपति शासन छः महीने के लिए बढ़ाना और राज्य के दस किलोमीटर सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वालों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने सम्बन्धी संशोधन विधेयक दो प्रमुख विषय रहे।

राष्ट्रपति के अभिभाषण का सन्देश

भारत के संविधान में संसदीय शासन व्यवस्था को स्वीकार किया गया है। इसमें राष्ट्रपति कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होता है। अनुच्छेद-52 के अनुसार कार्यपालिका की शक्तियां उसी में निहित रहती हैं। संविधान के अनुच्छेद-79 के अनुसार वह संसद का एक अंग होता है।

इतिहास के पाठ्यक्रम में शामिल हो आपातकाल

एक जिम्मेदार राष्ट्र का कर्तव्य है कि वह अपनी आने वाली हर पीढ़ी को देश के इतिहास, संस्कृति, धर्म-दर्शन और जनतांत्रिक मूल्यों से अवगत कराए तथा साथ ही उन अलोकतांत्रिक तानाशाही विचारों को भी उद्घाटित करे जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवीय गरिमा के विरुद्ध रहा है। यह तभी संभव होगा जब इतिहास के प्रत्येक प्रसंगों को शिक्षा के पाठ्यक्रम से जोड़ा

वादे निभाने में नाकाम रहने के बाद अब मुफ्तखोरी की राजनीति पर उतरे केजरीवाल

मुफ्तखोरी की राजनीति का आगाज मुफ्त बिजली से हुआ था और इसने राज्‍य विद्युत बोर्डों को खस्‍ताहाल कर डाला। गठबंधन राजनीति के दौर में भारतीय रेलवे की भी कमोबेश यही दशा हुई। अब दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्‍ली मेट्रो व बसों में मुफ्त यात्रा का प्रस्‍ताव देकर वोट बैंक की राजनीति को एक नया आयाम देने में जुट गए हैं। 

सरकार और संगठन दोनों स्तरों पर सक्रिय भाजपा

सरकार जहां अपने पहले दिन से ही जनकल्याण के निर्णय लेने में लगी है, वहीं संगठन उपचुनाव में सफलता के साथ-साथ सदस्यता बढ़ाने की कवायदों में जुट गया है। ऐसे परिश्रम और सक्रियता को देखते हुए भाजपा का लगातर चुनावी सफलता अर्जित करना कोई आश्चर्य की बात नहीं लगता।

‘अगर डॉ मुखर्जी कुछ समय और जीवित रह जाते तो पूरी तरह से खत्म हो जाती कश्मीर समस्या’

राष्ट्रवादी नेता, शिक्षाविद और प्रखर सामाजिक चिंतक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी कांग्रेस की विभाजनकारी नीतियों के लेकर शुरू से ही परिचित थे। आजादी के बाद सरदार पटेल और महात्मा गांधी के आग्रह पर वे नेहरू की कैबिनेट में शामिल ज़रूर हुए थे, लेकिन यह साथ ज्यादा दिन तक नहीं चल सका।

ममता के अलोकतांत्रिक शासन से त्रस्त बंगाल

ममता ताकत और तानाशाही के दम पर अपनी सत्ता को स्थायी करना चाहती हैं, मगर उन्हें समझना चाहिए कि ये लोकतंत्र है, जहां ताकत से नहीं, जनमत से निर्णय होते हैं और जनमत को अपने पक्ष में करने का केवल एक ही उपाय है कि संकीर्ण राजनीतिक हितों व स्वार्थों को छोड़ सकारात्मक सोच के साथ देश की प्रगति के लिए कार्य किया जाए।

‘भाजपा की चुनावी सफलता का सबसे बड़ा कारण मोदी सरकार के विकास कार्य हैं’

अब तक की सरकारें चुनावों को ध्‍यान में रखकर योजनाएं बनाती रही हैं। यही कारण है कि इन योजनाओं का स्‍वरूप दान-दक्षिणा वाला ही बना रहता था। मोदी सरकार ने पहली बार समाज के वंचित तबकों को हर तरह से सशक्‍त बनाने का काम किया।