बद से बदतर होती पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था, खाने-पीने की चीजों में कटौती को मजबूर लोग
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय बेहद बुरे दौर में गुजर रही है। पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा उससे मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीने जाने के बाद से उसकी हालत और खराब हुई है। अब बढ़ती महँगाई पर काबू पाने के लिये पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से 6 अरब डॉलर कर्ज माँगा है। पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के प्रमुख अब्दुल हफीज़ शेख के अनुसार यह कर्ज पाकिस्तान,
नीति आयोग की बैठक में योगी के सार्थक प्रस्ताव
नीति आयोग के माध्यम से राज्यों के बीच विकास की स्वस्थ प्रतिद्वंदिता प्रारंभ करने की कल्पना की गई थी। योगी ने इसे चरितार्थ किया। उन्हीं की तरह अनेक मुख्यमंत्री भी इस दिशा में बेहतर कार्य करने में सफल रहे। वहीं जिनको विकास की अपेक्षा वोटबैंक की सियासत ज्यादा पसंद थी, वह उसी में उलझे रहे।
मालदीव की धरती से मोदी का आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा संदेश
चुनाव से पूर्व जब पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक हुई, तो विपक्ष की तरफ से इसे चुनावी राजनीति बताया गया, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था। मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ अपनी जीरो टोलेरेंस नीति को ही दिखाया था और अब चुनाव बाद भी मालदीव से आतंकवाद पर मोदी ने जो कुछ कहा है, वो उनके उसी रुख का द्योतक है।
‘मोदी ने महागठबंधन के विषय में जो कहा था, वो एकदम सच साबित हुआ’
शिखर पर तो दोनों पार्टियों की दोस्ती हो गई। लेकिन जमीन पर ऐसा खुशनुमा माहौल नहीं बन सका। डेढ़ दशक तक दोनों के बीच तनाव रहा। इनके लिए यह सब भूल जाना मुश्किल था। पहले कांग्रेस फिर बसपा से गठबन्धन के समय अखिलेश यादव ने दूरदर्शिता से काम नहीं लिया जिसके चलते सपा को नुकसान उठाना पड़ा। वैसे भी इस तरह के सिद्धांतहीन गठजोड़ का यही हश्र होना था।
जनभावनाओं को न समझने का नतीजा भुगत रही है कांग्रेस
2014 में मिली करारी पराजय के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने जनभावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया। वह गठबंधन के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लग गई। इस क्रम में उसने कई विरोधाभाषी गठबंधन भी किए जिससे जनता में उसकी छवि बिगड़ी।
‘2019 का जनादेश कोई चमत्कार नहीं, मोदी के लोक-कल्याणकारी कार्यों का प्रतिफल है’
विपक्षी दल मोदी पर जुमलेबाज होने का आरोप लगाते आए हैं। उनका कहना है कि मोदी केवल बातें बड़ी करते हैं, काम नहीं करते। लेकिन इन दलों से अब पूछा जाना चाहिए कि क्या बिना काम किए ही मतदाताओं ने दुबारा मोदी को चुन लिया? मोदी ने पिछले 5 साल में जो काम किए हैं, उसका ही प्रतिफल जनता ने उन्हें अपनी कीमती वोट के रूप में दिया है।
क्या इस पराजय से कोई सबक लेगी कांग्रेस?
2019 के लोकसभा नतीजे कांग्रेस के लिए बहुत बुरी खबर लेकर आए। और जैसा कि अपेक्षित था, देश की सबसे पुरानी पार्टी में भूचाल आ गया। एक बार फिर हार की समीक्षा के लिए कमेटी का गठन हो चुका है। पार्टी में इस्तीफों की बाढ़ आ गई है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस्तीफा देने पर अड़े रहे। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से लेकर आम कार्यकर्ता तक राहुल गांधी और उनके नेतृत्व में अपना विश्वास जता रहे हैं।
मोदी की सुनामी में ध्वस्त हुए जातिवादी समीकरण
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा का गठबन्धन भी समीकरण के हिसाब से हुआ था। ये सारे समीकरण जातिवादी मतों के फार्मूले से बनाये गए थे। लेकिन ये जातिवादी दल समझ ही नहीं सके कि गरीबों के लिए चलाई गई मोदी सरकार की योजनाओं से करोड़ो लोग सीधे लाभान्वित हो रहे हैं, जिनमें सभी जाति वर्ग के लोग शामिल हैं। ऐसे लोगों ने जातिवादी
ये मोदी के नए भारत का जनादेश है!
यह जनादेश मोदी के नए भारत का जनादेश है, जिसमें जाति-पाति, क्षेत्र, वर्ग, भाषा, परिवारवाद आदि की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं, बल्कि इसके मूल में भारत को सुविकसित विश्वशक्ति बनाने की भावना है। लोगों को मोदी की योजनाओं और नीतियों में भारत-निर्माण की उस अवधारणा के दर्शन हो रहे हैं, जिसमें सब एक समान हैं और किसीके प्रति कोई भेदभाव नहीं है।
सैम पित्रोदा के बयान से एकबार फिर उजागर हुआ कांग्रेस का असली राजनीतिक चरित्र
तकनीकविद से राजनीतिज्ञ बने सैम पित्रोदा ने एक बार फिर कांग्रेस के असली चरित्र को उजागर करने का काम किया। 1984 के कांग्रेस प्रायोजित सिख विरोधी दंगों पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के राजनीतिक गुरु ने कहा “1984 में दंगा हुआ तो हुआ।” इस प्रकार उन्होंने कांग्रेस प्रायोजित दंगे को छिटपुट घटना करार दिया। सिख विरोधी दंगों पर कांग्रेस पार्टी की