कांग्रेस : एक राष्ट्रीय पार्टी से एक ‘वोटकटवा’ पार्टी तक का सफर
कांग्रेस की इस हालत कि उसे क्षेत्रीय दलों के बीच वोटकटवा पार्टी की भूमिका निभानी पड़ रही है, के लिए उसके भीतर मौजूद परिवारवादी राजनीति और नेताओं का अहंकारी चरित्र ही जिम्मेदार है। कांग्रेस यह माने बैठी रही और शायद आज भी है कि ये देश उसकी जागीर है और यहाँ सत्ता उसीके हाथ रहनी है। इस अहंकार में जनता और जनता के हित से दूर हो चुकी इस पार्टी की ये दुर्गति तो होनी ही थी। लोकतंत्र में जनता सबसे अधिक सम्माननीय होती है, वो अर्श पर
मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक कामयाबी है मसूद अजहर का अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित होना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर उंगली उठाने वाले, उन्हें अनिवासी प्रधानमंत्री की उपाधि देने वाले नेता-बुद्धिजीवी-मीडिया की तिकड़ी उस समय खामोश हो गई जब संयुक्त राष्ट्र ने आतंक का पर्याय बने मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया।
चार चरण के मतदान के बाद किस तरफ है हवा का रुख?
चौथे दौर का चुनाव ख़त्म हो गया है, इसके बाद सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों ने अपना हिसाब-किताब लगा लिया होगा। कुछ पार्टियों के लिए जंग ख़त्म हो गयी है तो कुछेक पार्टियों के लिए अभी एक बड़ी लड़ाई बाकी है। दक्षिण और पश्चिम भारत में मतदान हो गया है, लेकिन अभी बड़ी लड़ाई उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार
कांग्रेस के इंकार के बाद अलग-थलग पड़े केजरीवाल
कांग्रेसी भ्रष्टाचार की पैदाइश अरविंद केजरीवाल ने खुलेआम अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि वे कभी भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगे। इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल कई महीनों से कांग्रेस से गठबंधन की भीख मांगते फिर रहे थे। यहां तक कि केजरीवाल एक रात शीला दीक्षित के घर के बाहर भी बैठे रहे लेकिन कांग्रेस ने केजरीवाल को
बनारस ने बता दिया कि 2019 की मोदी लहर 2014 से भी बड़ी है!
बीएचयू के लंका गेट पर जब मोदी पहुंचे तो समर्थकों का भारी जनसैलाब देखते ही बनता था। उन्होंने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और अमूर्त प्रेरणाओं से इस प्रकार अपने अंदाज में आर्शीवाद प्राप्त किया। इसके बाद रोड शो का आरंभ हुआ जो कि अपने आप में एक दृष्टांत बन गया। दृष्टांत इस अर्थ में कि किसी भी
बनारस में प्रियंका गांधी के पीछे हटने का क्या है मतलब?
प्रियंका अगर बनारस से प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ लेती तो हार भले जातीं, लेकिन इससे कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार जरूर कर सकती थीं, मगर लड़ाई से ठीक पहले उम्मीद जगाकर पीछे चले जाने के फैसले से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यह गलत सन्देश गया है कि वह खुद फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं।
साध्वी प्रज्ञा के चुनाव में उतरने से विपक्षी दलों को इतनी तकलीफ क्यों है?
हमारे इन विपक्षी राजनैतिक दलों का यही चरित्र है कि वो तथ्यों का उपयोग और उनकी व्याख्या अपनी सुविधानुसार करते हैं। इन दलों को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर अनेक महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेता जो आज जमानत पर हैं और चुनाव भी लड़ रहे हैं उनसे नहीं लेकिन साध्वी से ऐतराज़ होता है। इन्हें देशविरोधी नारे लगाने के आरोपी और जमानत
प्रतिबंध के सम्मान के साथ आस्था की अभिव्यक्ति
योगी आदित्यनाथ ने चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध का सम्मान किया। उन्होंने इसे एक अवसर के रूप में लिया। आयोग के आदेशानुसार वह बहत्तर घण्टे तक चुनाव प्रचार नहीं कर सकते थे। योगी आदित्यनाथ संत हैं, गोरखधाम के पीठाधीश्वर हैं, इसी के अनुकूल उन्होंने प्रतिबन्ध काल में आचरण किया। संकटमोचन मंदिर में दर्शन के साथ स्पर्श बालिका विद्यालय जाकर
‘खोट ईवीएम में नहीं, विपक्षी दलों की नीयत में है’
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है, लेकिन देश में ईवीएम को लेकर विपक्षी दलों का विलाप थमने का नाम नहीं ले रहा। बीते रविवार को कांग्रेस, आप, टीडीपी आदि विपक्षी दलों द्वारा प्रेसवार्ता में कहा गया कि वे पचास प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम वोटों से करवाने की मांग लेकर सर्वोच्च न्यायालय में जाएंगे। गौरतलब है कि इससे पूर्व इक्कीस विपक्षी दलों की एक ऐसी ही याचिका को सर्वोच्च न्यायालय खारिज कर चुका है।
संभावित हार की हताशा में एकबार फिर ईवीएम पर सवाल
भारत की विपक्षी पार्टियां भी गज़ब हैं, इन्हें जब-जब भी हार का डर सताता है, ये ईवीएम को चुनावी मैदान में घसीट लाती हैं। यहीं ईवीएम हैं, जिससे इनकी भी सरकारें बनी हैं, लेकिन इन्हें बखेड़ा खड़ा करने की आदत हो गई है। विपक्षी पार्टियों को लगता है कि चुनाव आयोग भी सत्ताधारी पार्टी के साथ मिलकर कोई बड़ा खेल कर सकता है। पिछले दिनों से आप एक बयान लगातार