बाकी दलों ने तो बस राजनीति की, बाबा साहेब का असल सम्मान भाजपा ने ही किया है !
यह मानना होगा कि देश में ऐसे कई कार्य थे, जिन्हें कई दशक पहले हो जाना चाहिए था। लेकिन, उन्हें नरेंद्र मोदी की सरकार ने पूरा किया। नई दिल्ली में डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण भी ऐसे ही कार्यो में शामिल था। इसकी कल्पना को दो दशक से ज्यादा समय बीत गया था। अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने इसकी व्यवस्था की थी। लेकिन, उनके हटते ही इस पर कार्य ठप्प हो गया। उसके बाद दस वर्ष तक उनकी
‘इस चुनाव में ना तो कोई सत्ताविरोधी लहर है, ना ही विपक्ष के पक्ष में हवा’
देश में एक बार फिर चुनाव होने जा रहे हैं और लगभग हर राजनैतिक दल मतदाताओं को “जागरूक” करने में लगा है। लेकिन इस चुनाव में खास बात यह है कि इस बार ना तो कोई सत्ताविरोधी लहर है, ना ही सरकार के खिलाफ ठोस मुद्दे और ना ही विपक्ष के पक्ष में हवा। बल्कि अगर यह कहा जाए कि समूचे विपक्ष की हवा ही निकली हुई है तो भी गलत नहीं होगा। क्योंकि जो
भाजपा के संकल्प पत्र में जो नए भारत का विज़न है, कांग्रेस के घोषणापत्र में उसका लेशमात्र भी नहीं
कांग्रेस के ज्यादातर वादे मतदाताओं को तात्कालिक तौर पर लुभाने वाले हैं, जबकि भाजपा ने देश को हर तरह से मजबूती देने वाले दूरदर्शितापूर्ण और व्यावहारिक वादे किए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसके वादों पर कितना यकीन दिखाती है।
इजरायल के चुनाव में भी चर्चित और कामयाब रहा ‘चौकीदार’ अभियान
यह संयोग था कि इजरायल के आम चुनाव में भी चौकीदार पर खूब चर्चा हुई। इतना ही नहीं, यह मुद्दा कारगर भी हुआ। इसे उठाने वाले नेतन्याहू की सत्ता में वापसी सुनिश्चित हो गयी है। सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी ने प्रधानमंत्री वेन्जामीन नेतन्याहू को ‘मिस्टर सिक्यूरिटी’ यानी चौकीदार के रूप में पेश किया था। देखते ही देखते यह चुनाव का सर्वाधिक चर्चित मुद्दा बन गया। विपक्षी
संकल्प पत्र: लोकलुभावन घोषणाएं नहीं, भावी भारत के विकास का सूझ-बूझ भरा रोडमैप
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद के लिए वोट नहीं माँगते हैं, वह निरंतर और गतिशील भारत के लिए वोट माँगते हैं। सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज आदि की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र जारी किया गया तो उन्होंने भारत को दुनिया की पंक्ति में सबसे आगे देखने की बात की।
रोजगार पर जुमलेबाजी कर रहे हैं राहुल गांधी
एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने पर मार्च 2020 तक 22 लाख सरकारी पदों को भरने का चुनावी वादा कर दिया है, तो दूसरी ओर कांग्रेस के घोषणापत्र में हर साल 4 लाख सरकारी नौकरियां देने की बात कही गई है। ऐसे में राहुल गांधी अतिरिक्त 18 लाख नौकरियों की बात किस आधार पर कर रहे हैं?
भाजपा : एक विचारधारा के फर्श से अर्श तक पहुँचने की संघर्षपूर्ण यात्रा !
आज भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस है, 6 अप्रैल, 1980 को भाजपा की स्थापना हुई थी। इन 38 वर्षों की यात्रा को कुछ शब्दों में पिरोना आसान नहीं होगा, क्योंकि इतना बड़ा संगठन कभी भी एक व्यक्ति की मेहनत का नतीजा नहीं होता, बल्कि इसके पीछे हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं के खून और पसीने का योगदान होता है, जिनके चेहरे कभी अख़बारों में या टेलीविज़न के परदे पर नहीं नज़र आते। भाजपा की
भ्रम से बाहर आएं राहुल गांधी, देश की एकता-अखंडता उनके वायनाड जाने की मोहताज नहीं है!
अमेठी में स्मृति ईरानी की सक्रियता से पहले यह कल्पना भी कठिन थी कि राहुल गांधी किसी अन्य क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी को पराजित किया था।। लेकिन इसके बाद चुनावी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा।
‘कांग्रेस का घोषणापत्र देश की सुरक्षा और अखंडता के मुद्दे पर उसका असली चरित्र बयान करता है’
बीते दो अप्रैल को लोकसभा चुनाव – 2019 के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया। 54 पृष्ठों का ये घोषणापत्र काम, दाम, शान, सुशासन, स्वाभिमान और सम्मान इन छः हिस्सों में बंटा हुआ है। रोजगार से लेकर ‘न्याय’ और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं स्वास्थ्य तक सभी वादों को इन छः हिस्सों में रखा गया है।
‘चौकीदार को चोर बताने का राहुल गांधी का दाँव उल्टा पड़ गया है’
चौकीदार को चोर बताना राहुल गांधी को अब भारी पड़ेगा। नरेन्द्र मोदी ने इसे सुशासन और नेशन फर्स्ट की अवधारणा से जोड़ दिया है। इस आधार पर मोदी ने अपने पांच वर्षों के शासन का हिसाब दिया, साथ ही कांग्रेस के शासन को भी कसौटी पर रखा है, जिस पर आर्थिक गड़बड़ी के बहुत आरोप रहे हैं।