पॉलिटिकल कमेंटरी

मजबूत सरकार से ही मजबूत बनेगा देश

राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने देश के चहुंमुखी विकास के लिए केंद्र में अगले दस साल के लिए एक स्‍थायी और निर्णायक फैसले लेने वाली सरकार की जरूरत बताई। उन्‍होंने कहा कि देश गठबंधन या अस्‍थिर सरकारों का जोखिम नहीं उठा सकता। सरदार वल्‍लभभाई पटेल स्‍मृति व्‍याख्‍यान के तहत “भारत-2030 : मार्ग के अवरोध” विषय पर बोलते हुए डोभाल ने

भाजपा के भय से वायनाड गए राहुल के पीछे पड़े वामपंथी

बीच लड़ाई में अगर सेनापति मैदान छोड़कर किनारा कर ले तो उस मुकाबले का परिणाम आप सहज सोच सकते हैं। बात यहाँ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की हो रही है, जिन्होंने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाले अमेठी की सीट के साथ ही एक ऐसी सीट से भी चुनाव लड़ने का मन बनाया है जहाँ उनके हार की सम्भावना नहीं के बराबर कही जा रही।

‘राहुल का वायनाड जाना बताता है कि स्मृति ईरानी ने चुनाव से पूर्व ही आधी लड़ाई जीत ली है’

अमेठी एक तरह से ऐसा माना जाता रहा है कि कोई आए, जीतेगी कांग्रेस ही, किन्तु इस मिथक को स्मृति ईरानी ने पिछले लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देकर तोड़ दिया। इसके बाद ऐसा शायद पहली बार देखने को मिला कि एक पराजित प्रत्याशी अपने हारे हुए संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए न केवल चिंतित है

लोकसभा चुनाव : जनकल्याण के कार्य बनाम मोदी विरोध की नकारात्मक राजनीति

लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है, सभी राजनीतिक दल अपने–अपने ढ़ंग से अपनी पार्टी का प्रचार कर जनता का समर्थन पाने की कवायद में जुटे हुए हैं, किन्तु इस महान लोकतांत्रिक देश में मतदाता अब सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को अपनी अपेक्षाओं की कसौटी पर कसने लगे हैं।

इंदिरा से राहुल तक कांग्रेस कितनी बार गरीबी मिटाएगी?

राहुल गांधी की सालाना बहत्तर हजार रुपये की योजना से इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बयान ताजा हुए हैं। करीब आधी शताब्दी पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी ने देश की व्यवस्था का उल्लेख किया था। उनका कहना था कि केंद्र से सौ पैसे भेजे जाते हैं, उसमें से केवल पन्द्रह पैसे ही जमीन तक पहुंचते हैं

ये कैसे ‘भारतीय नेता’ हैं जिन्हें अपने देश की सेना और सरकार पर ही भरोसा नहीं

आतंकी हमले और आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक पर नकारात्मक सियासत भारत में ही संभव है। यहां अनेक नेता लगातार पाकिस्तान और आतंकी संगठनों के प्रति हमदर्दी के बयान दे रहे हैं। ऊपर से तुर्रा यह कि सरकार इस मामले का चुनावी फायदा उठाना चाहती है। लेकिन इस विषय को चुनाव तक चलाने का कार्य तो विपक्ष के नेता ही कर रहे हैं। कुछ अंतराल पर इनके बयान आने का सिलसिला बन गया है। 

मैं भी चौकीदार: मोदी की सकारात्मक राजनीति का एक और उदाहरण

इस अभियान के बाद ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालने वाले विपक्षियों को सांप सूंघ गया है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि इसका क्या जवाब दिया जाए। चौकीदार को चोर कहने पर अब एकसाथ असंख्य चौकीदार जवाब में उतर पड़ रहे हैं। दरअसल ये मोदी की राजनीति है, जो जितनी सकारात्मक भावना से ओतप्रोत है, विपक्ष को जवाब देने में उतनी ही प्रभावी भी है।

खेती-किसानी की बदहाली के लिए जिम्‍मेदार हैं कांग्रेसी सरकारें

किसानों को खुशहाल बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को अधिक संसाधनों के आवंटन, सिंचित रकबे में बढ़ोत्‍तरी, हर गांव तक बिजली पहुंचाने, मिट्टी का स्‍वास्‍थ्‍य सुधारने, खाद्य प्रसंस्‍कारण को बढ़ावा देने और उर्वरक सब्‍सिडी को तर्कसंगत बनाने जैसे ठोस जमीनी उपायों के बावजूद किसानों की स्‍थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है तो इसका कारण कांग्रेस द्वारा छोड़ी गई विरासत है। किसानों की बदहाली पर

सदैव प्रेरणा देता रहेगा मनोहर पर्रिकर का जीवन

मनोहर पर्रिकर ने ज्यों की त्यों धर दीन्ही चदरिया को चरितार्थ किया। सत्ता को काजल की कोठरी कहा जाता है। लेकिन वह आजीवन बेदाग रहे और इसी रूप में वह सदैव देश की स्मृतियों में रहेंगे। उनका जीवन प्रेरणादायक था। जनसेवा के नाम पर परिवारवाद, भ्रष्टाचार,जातिवाद में जकड़े नेताओं को खासतौर पर उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

प्रधानमंत्री का अपमान और आतंकियों को सम्मान, कांग्रेस की ये कौन-सी पॉलिटिक्स है?

राहुल गाँधी किसी आतंकी सरगना को ‘जी’ लगाकर संबोधित करने वाले पहले कांग्रेस नेता नहीं हैं, कांग्रेस के लोगों को इसकी पुरानी आदत है। कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह तो “ओसामा जी” और “हाफिज सईद साहब” का उच्चारण कर चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को किसी