उर्जित पटेल के इस्तीफे पर बेवजह का शोर
सितम्बर, 2016 में जब उर्जित पटेल ने आरबीआई गवर्नर का पदभार संभाला था, तब मोदी विरोधी खेमा उन्हें मोदी का बेहद करीबी आदमी बता रहा था। कहा जा रहा था कि उर्जित को इसलिए लाया गया है ताकि वे सरकार की आर्थिक नाकामियों को ढँक सकें। हालांकि देखा जाए तो उर्जित के आने के समय भारतीय अर्थव्यवस्था किसी बुरी स्थिति में नहीं थी।
भारत के नाम रहा इस वर्ष का जी-20 शिखर सम्मेलन!
जी-20 विश्व का प्रायः सर्वाधिक मजबूत वैश्विक संगठन माना जाता है। वैश्विक मामलों में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसमें भी पांच छह देश अधिक शक्तिशाली हैं। इसी के अनुरूप सम्मेलनों में इन्हें स्थान मिलता था। भारत विकसित देशों में शामिल नहीं है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे सम्मेलनों में भारत की गरिमा को बढ़ाया है। इस बार सम्मेलन में भारत के महत्व को इसी
‘राम मंदिर के लिए शांतिपूर्ण प्रयास होने चाहिए और धर्मसभा ने वही किया’
अयोध्या में धर्मसभा को लेकर अनेक प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थीं। यहां तक कि सेना को भेजने तक की मांग की गई। लेकिन यहां पहुंचने वाले रामभक्तों ने धर्मसंसद की मर्यादा कायम रखी। समाज के साथ सरकार ने भी अपनी प्रशासनिक कुशलता का परिचय दिया। जितनी बड़ी संख्या में रामलला के दर्शन की अनुमति प्रदान की गई, उसे अभूतपूर्व कहा जा सकता
जानिए कि अमित शाह का ‘शाह’ कहां से आया?
प्रसिद्ध इतिहासकार इरफान हबीब ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ जुड़े ‘शाह’ उपनाम पर सवाल उठाए हैं। अयोध्या और प्रयागराज नामकरण पर उनकी प्रतिक्रिया शाह नाम पर बम बनकर फूटी है। उनका दावा है कि अमित शाह का शाह शब्द या उपनाम तो फारसी है, गुजराती नहीं। तो क्या अमित शाह, शाह उपनाम छोड़ेंगे?
मौका देखकर चेहरा बदलने में माहिर है कांग्रेस
मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। ऐसे में उनके किसी भी कथन या कार्य को हल्के में नहीं लिया जा सकता। लेकिन अब उनका एक वीडियो कांग्रेस के लिए मुसीबत बन रहा है, क्योंकि यह उंसकी चुनावी रणनीति की कलई खोलने वाला है।
कांग्रेस की राजनीति का असली चाल-चरित्र बयान करता है कमलनाथ का वायरल वीडियो
जो बात दिल में थी, वह जुबां पर आ गई। अब उस सच के ऊपर पर्दा नहीं डाला जा सकता। कांग्रेस का झूठ पकड़ा गया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने दिल की बात कहकर न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपनी पार्टी के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है।
भारतीय राजनीति में परिवारवाद थोपने का श्रेय नेहरू-गांधी परिवार को जाता है!
अपने बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरने वाले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस बार नेहरू-गांधी परिवार की चाटुकारिता के बहाने भारतीय राजनीति में परिवारवाद पर एक नई बहस को जन्म दे दिया। पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शशि थरूर ने कहा कि आज अगर एक चायवाला देश का प्रधानमंत्री है, तो इसका श्रेय नेहरू
चीन की चालबाजी से कर्ज में डूबे मालदीव को भारत देगा सहारा
शपथ ग्रहण समारोह दो देशों के बीच औपचारिक वार्ता का अवसर नहीं होता। लेकिन नेकनीयत हो तो बेहतर संबंधों की बुनियाद अवश्य कायम हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा इसी संदर्भ में महत्वपूर्ण रही। मोदी ने तो अपनी शपथ ग्रहण करने से पहले ही पड़ोसियों से अच्छे संबन्ध रखने का निर्णय लिया था। इसी के अनुरूप उन्होंने सार्क देशों को शपथ ग्रहण
विपक्ष के नकारने से ख़त्म नहीं हो जाते नोटबंदी के फायदे!
नोटबंदी के दो साल पूरे होने पर विपक्षी दलों ने फिर से इसकी सार्थकता पर सवाल उठाया। साथ ही साथ इससे हुई परेशानी का ठीकरा सरकार के माथे पर फोड़ा। यह ठीक है कि नोटबंदी के कारण आमजन को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन केवल इस वजह से नोटबंदी के फ़ायदों को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है। यह एक साहसिक फैसला था, जिसने
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय संस्कृति के विकसित केंद्र का रूप लेने की ओर अग्रसर काशी
अगर हम केंद्र की मोदी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के काशी के सांसद के तौर पर चुने जाने के पहले और बाद की स्थिति को देखें तो पाएंगे कि अब वाराणसी विकास के हर मोर्चे पर खरा उतरता हुआ प्रतीत हो रहा है। चाहें वह काशी के गंगा घाटों की साफ़ सफाई की बात हो, शहर की स्वच्छता हो, बिजली-पानी की व्यवस्था हो या फिर सडकों की हालत हो। हर मामले में काशी