सेना के सभी अंगों को मजबूत करने में जुटी है मोदी सरकार
शुकवार का दिन भारतीय सेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ने वाला साबित हुआ। देश की स्वदेशी निर्माण की नीति ने एक और नया आयाम प्राप्त किया ही, साथ ही भारत को बड़ी सामरिक ताकत बनने की दिशा में एक और पड़ाव पार करने में भी सफलता प्राप्त हुई। भारतीय सैन्य बेड़े में बहुप्रतीक्षित होवित्जर तोप सहित वज्र व अन्य उपकरणों को शामिल कर लिया गया,
‘परमाणु ब्लैकमेलिंग करने वालों के लिए जवाब है आईएनएस अरिहंत’
मोदी सरकार द्वारा वायु सेना की जरूरतों के मद्देनजर किया गया राफेल खरीद हो या तोपों की कमी से जूझती थल सेना के लिए अत्याधुनिक होवित्जर तोपों का सौदा हो अथवा रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली लेना हो, ये तथा ऐसे ही और भी कई छोटे-बड़े सौदे इस बात की तस्दीक करते हैं कि ये सरकार देश की रक्षा आवश्यकताओं के प्रति सिर्फ बातों में ही गंभीर नहीं है, बल्कि धरातल
हताशा और बौखलाहट में प्रधानमंत्री के प्रति भाषाई अशिष्टता पर उतरी कांग्रेस
राजनीति में सहमति-असहमति और आरोप-प्रत्यारोप के होने से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन असहमति या आरोप की अभिव्यक्ति करते हुए आवश्यक होता है कि भाषाई शुचिता के प्रति सचेत रहा जाए। इस संदर्भ में भारतीय राजनीति की स्थिति चिंतित करने वाली है।
‘कांग्रेस पटेल को लेकर मोदी सरकार पर जितने हमले करेगी, उसकी नीयत पर उतने ही सवाल उठेंगे’
गुजरात में लौह पुरुष सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा के अनावरण के साथ ही देश का इतिहास एक बार फिर से गौरवान्वित हुआ है। सरदार के कृतित्व और यशोगाथा को और अधिक प्रकाशवान बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
सियोल शांति पुरस्कार : प्रधानमंत्री मोदी की लोक-कल्याणकारी नीतियों पर वैश्विक मुहर
जब किसी देश के मुखिया को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा जाता है, तो यह उस देश के लिए हर्ष का विषय होता है। गौरतलब है कि गत दिनों ‘सियोल शांति पुरस्कार 2018’ के लिए नरेंद्र मोदी को चुना गया है। यह सम्मान नरेंद्र मोदी को वैश्विक आर्थिक प्रगति, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भारत के लोगों के मानवीय विकास को तेज़ करने की प्रतिबद्धता तथा सामाजिक
कांग्रेस द्वारा उपेक्षित इतिहास के असल नायकों का सम्मान
गत 21 अक्टूबर की तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है, जब दिल्ली का लाल किला स्वतंत्रता दिवस से इतर किसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रध्वज फहराए जाने की ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना। स्वाधीनता संग्राम के सशक्त सेनानी और देश के अमर सपूत नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में स्थापित ‘आजाद हिंद सरकार’ की पचहत्तरवीं
अमित शाह की रणनीति केवल चिड़िया की आँख देखती है, चिड़िया और पेड़ नहीं
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने जीवन काल के 54 साल पूरे कर 55वें बसंत में प्रवेश कर रहे हैं। यह उनके जीवन काल का अत्यंत अहम पड़ाव है, क्योंकि इसी वर्ष पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव भाजपा उनके नेतृत्व में लड़ने जा रही है। जाहिर तौर पर अमित शाह की यह इच्छा होगी कि जब वह अपना 55वां साल पूरा कर रहे हों,
‘एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए नेताजी के योगदान को भुलाया गया’
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आज़ाद हिंद सरकार के गठन के पचहत्तरवीं वर्षगाँठ पर दिल्ली के लाल किले पर एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। भारत रत्न नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का सपना था कि देश जब आज़ाद होगा उस दिन वह लाल किले से तिरंगा फहराएंगे, उस सपने को नेताजी की आजाद हिन्द सरकार की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ पर पूरा कर दिखाया प्रधानमंत्री नरेन्द्र
‘राम मंदिर बनने से देश में सद्भावना और एकात्मता का वातावरण बनेगा’
विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश की जनता के सामने दरपेश मुद्दों पर खुलकर विचार विमर्श करता है। संघ का उद्देश्य यही होता कि देश और देश की जनता को कैसे सर्वश्रेष्ठ बनाया जाए। देश की सुरक्षा से लेकर सामाजिक समरसता के हर मुद्दे पर सरसंघचालक खुलकर अपनी बात रखते हैं। देश की जनता इस उद्बोधन का इन्तजार भी करती है।
गुजरात में अपने ही बुने जाल में खुद फंस गयी कांग्रेस
गुजरात में कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ गया है। उसने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमले से राज्य सरकार को घेरने की योजना बनाई थी, लेकिन भद्द उसीकी पिट रही है। एक आपराधिक घटना को ये ऐसा रूप देने में लगे थे, जिसकी गूंज उत्तर भारत तक सुनाई देने लगी थी। लेकिन सच्चाई जल्दी ही सामने आ गई।