पॉलिटिकल कमेंटरी

केरल की बाढ़ का एक बड़ा कारण कांग्रेस और वामपंथियों की वोट बैंक की राजनीति भी है!

केरल में आई भीषण बाढ़ का एक कनेक्‍शन तुष्टिकरण की राजनीति से भी जुड़ा है जिसकी ओर बहुत कम लोगों का ध्‍यान जा रहा है। केरल का सबसे बड़ा चर्च है सायरो-मालाबा कैथोलिक चर्च। केरल के पश्‍चिमी घाट पर रहने वाले ज्‍यादातर ईसाई इसी से जुड़े हैं और इनके बड़े-बड़े बागान हैं। इस चर्च ने 2013 में कम्‍युनिस्‍टों के साथ मिलकर गाडगिल समिति की सिफारिशों के

क्या मोदी के विकासवादी एजेण्डे के कारण रची जा रही थी उनकी हत्या की साजिश?

बीते सप्‍ताह प्रधानमंत्री मोदी की हत्‍या की साजिश का मामला चर्चा में रहा। यदि इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई होती तो इस मामले को अटकल ही समझा जाता। लेकिन अब चूंकि आरोपी पकड़े जा चुके हैं, साजिश का पत्र सामने आ चुका है, ऐसे में इस पर संदेह करने का अब कोई कारण नहीं बनता है।

99 प्रतिशत नोटों के वापस आ जाने से नोटबंदी विफल कैसे हो गयी?

भारतीय रिजर्व बैंक ने 29 जुलाई को 1 जुलाई, 2017 से 30 जून, 2018 की अवधि की अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 2000 रूपये के नोट शामिल हैं का कुल मुद्रा संरचना में 80.6% हिस्सा है। विमुद्रीकरण के पहले बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 1000 रूपये के नोट शामिल थे का कुल मुद्रा संरचना में

यूपी अनुपूरक बजट : एकबार फिर स्पष्ट हुआ योगी सरकार का विकासपरक दृष्टिकोण

राजव्यवस्था का संचालन बजट पर निर्भर होता है। विधि निर्माताओं से बजट पर गंभीर विचार विमर्श की अपेक्षा रहती है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि पूर्ण बजट हो या अनुपूरक बजट। लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुपूरक बजट पेश होने के दौरान विपक्ष की उदासीनता दिखाई दी। फिर भी सरकार अपने मकसद में सफल रही। उसने प्रदेश के विकास को गति देने का

केरल पर कुदरत का कहर, कंधे से कंधा मिलाकर मददगार बनी केंद्र सरकार

केरल में इन दिनों प्राकृतिक आपदा आई हुई है। लगभग आधे से अधिक राज्‍य भीषण बाढ़ के प्रकोप में है। अभी तक यहां 300 से अधिक लोगों की मौत बाढ़ के चलते हुई है। सैकड़ों की संख्‍या में लोग बेघर हो गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक जान-माल के नुकसान का आंकड़ा 20 हज़ार करोड़ तक पहुंच चुका है। निश्चित ही केरल की यह आपदा इस सदी की सर्वाधिक भीषण

दशक भर से सार्वजनिक निष्क्रियता के बावजूद अटल जी का मुख्यधारा में बने रहना यूं ही नहीं था!

पूर्ण क्षमता, निष्ठा, ईमानदारी और मर्यादा के साथ दायित्व निर्वाह ही कर्म कौशल होता है। ‘योग: कर्म कौशलम’ इस अर्थ में अटल बिहारी वाजपेयी कर्म योगी थे। राजनीति में ऐसे कम लोग ही हुए हैं जो कुर्सी नहीं, कर्म से महान बने। अटल जी ऐसे ही लोगों में से एक थे।अटल जी पिछले दस वर्षों से सार्वजनिक जीवन से दूर थे। किसी विषय पर उनका कोई बयान नहीं आता था। इसके

भारतीय राजनीति के सूर्य का अस्ताचलगामी हो जाना!

1985 के शुरुआत की बात है। श्रीमती इंदिरा गांधी की दुखद हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में नवोदित भाजपा मात्र दो सीटों तक सिमट कर रह गयी थी। तब ऐसा लगा था मानो पार्टी का अस्तित्व शुरू होते ही ख़त्म हो गया हो। सर मुड़ाते ही ओले पड़े हों जैसे। ऐसे नैराश्य के समय में एक दिन पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक शांता कुमार, अटल जी के यहां किसी कार्यक्रम का

अटल बिहारी वाजपेयी : ‘मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’

सोलह अगस्त की तारीख इतिहास में एक युग के अवसान के रूप में दर्ज हो गयी है। राजनीति के अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी अस्वस्थता के बाद निधन हो गया। अटल जी को याद करते हुए उनकी एक कविता का जिक्र यहाँ समीचीन लगता है- “ठन गई, मौत से ठन गई/ जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था/ रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।“ 

पूरब से पश्चिम तक भाजपा का बुलंद मंसूबा

विपक्षी महागठबंधन की कवायदों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना मंसूबा बुलंद कर लिया है। यह बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पहले कलकत्ता की जनसभा और फिर मेरठ में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन भाषण से जाहिर हुई। पश्चिम बंगाल में भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को पछाड़ कर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। मतलब यहाँ पार्टी जमीनी स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत में आ गई है। अमित शाह ने इसी अंदाज में ममता बनर्जी  सरकार पर हमले

ममता बनर्जी की बौखलाहट के पीछे यह भय छिपा है कि कहीं ‘बंगाल का त्रिपुरा’ न हो जाए!

उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में मिली प्रचंड जीत के बाद अप्रैल, 2017 में ओड़िसा में हुई भाजपा की  राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में अमित शाह ने एक बयान दिया था, जो तब सुर्ख़ियों में छाया रहा। उत्तर प्रदेश की प्रचंड जीत के उत्सव में झूम रहे भाजपा कार्यकर्ताओं से शाह ने कहा था कि यह जीत बड़ी है, लेकिन यह भाजपा का स्वर्णकाल नहीं है। भाजपा का स्वर्णकाल तब आयेगा