एससीओ सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने दिया ‘सिक्योर’ मंत्र
बीते 10 जून को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के 18वें सम्मेलन में शिरकत की। जाहिर है कि सबको इस बात का इंतजार था कि इस मंच से भारत कौन से मुद्दे को प्रमुखता से उठाता है। क्योंकि इस मंच पर पाकिस्तान और चीन के राष्ट्र प्रमुख भी मौजूद थे, वहीं दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इसका हिस्सा थे।
‘प्रणब मुखर्जी और सर संघचालक मोहन भागवत के विचारों का मूल भाव एक जैसा है’
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में उदार व शाश्वत भारतीय चिंतन से प्रेरित विचार व्यक्त किये। इस चिन्तन के अभाव में उन लक्ष्यों को प्राप्त ही नहीं किया जा सकता, जिसका उल्लेख किया गया। उन्होंने पंथनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद, बहुलतावादी समाज, सहिष्णुता जैसे शब्दों की चर्चा की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी ऐसे ही समाज और राष्ट्र की आकांक्षा रखता है। इसी दिशा में उसके
मोदी की हत्या की साजिश के खुलासे पर कांग्रेस की शर्मनाक राजनीति
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा चिंताजनक है। पुणे में पुलिस ने अदालत में इस आशय का एक पत्र प्रस्तुत करते हुए यह खुलासा किया कि नक्सली तत्व पीएम मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे और यह योजना भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी केस की तरह ही बनाई जा रही थी। सभी जानते हैं कि राजीव गांधी को वर्ष 1991 में मानव बम से मार
प्रणब मुखर्जी की बातों पर संघ तो खरा उतरता है, मगर कांग्रेस नहीं
कांग्रेसी नेताओं की तमाम आपत्तियों और यहाँ तक कि अपनी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की चेतावनी को भी अनदेखा करते हुए देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ के कार्यक्रम में पहुंचे और स्वयंसेवकों को संबोधित किए। जबसे प्रणब दा ने संघ के आमंत्रण को स्वीकृति दी थी, देश के राजनीतिक महकमे में एक उथल-पुथल का वातावरण बन गया था। भाजपा के खेमे प्रसन्नता देखी जा रही
इन तथ्यों के आईने में राहुल गांधी के आरोप उनके ‘मन का गुबार’ ही नजर आते हैं !
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को शिकायत है कि प्रधानमंत्री अपने मन की बात करते हैं, लेकिन दूसरे के मन की बात नहीं सुनते। इस आधार पर उन्होंने अपने को नरेंद्र मोदी से अलग दिखाने का प्रयास किया। कहा कि वह अपने मन की बात नहीं करते, लोगों के मन की बात सुनते हैं। ये बात अलग है कि इसके बाद राहुल मंदसौर रैली में अपने मन की जमकर बोले। नरेंद्र मोदी, अमित
‘सब्जी-दूध की बर्बादी करने वाले ये लोग और कुछ भी हों, मगर किसान नहीं हो सकते’
किसानों की समस्याओं से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसा भी नहीं कि ये सभी समस्याएं पिछले तीन चार वर्ष में पैदा हुई हैं और इसके पहले किसान बहुत खुशहाल थे। आज कांग्रेस पार्टी स्वामीनाथन आयोग के लिए बेचैन है, जबकि इसकी रिपोर्ट कांग्रेस के शासन काल में आई थी। रिपोर्ट आने के बाद सात वर्ष तक यूपीए की सरकार थी, तब उसने रिपोर्ट की सिफारिशों पर कोई भी
मोदी की तीन देशों की यात्रा में चीन के लिए है सन्देश कि भारत की मोर्चाबंदी भी कमजोर नहीं है !
भारतीय विदेश नीति के लुक ईस्ट अध्याय को एक्ट ईस्ट में बदलने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है। पिछले गणतंत्र दिवस पर आसियान देशों को आमंत्रित करना एक्ट ईस्ट का बेजोड़ प्रयास था। राजपथ पर इन देशों के शासकों की एक साथ मौजूदगी अपने में विलक्षण और महत्वपूर्ण थी। इसके पहले मोदी म्यामार और वियतनाम भी गए थे। इस बार एक्ट ईस्ट नीति को मजबूत
‘कांग्रेस बैलगाड़ी की रफ़्तार से योजनाएं लागू करती थी, मोदी बुलेट जैसी तेजी दिखाते हैं’
कांग्रेस यह कहती रहती है कि मोदी सरकार ने उसकी अनेक योजनाएं को ही आगे बढ़ाया है, लेकिन यह कहने में कोई समझदारी नहीं है। क्योकि जब कांग्रेस अपनी योजनाओं की दुहाई देती है, तो उसकी और नरेंद्र मोदी की कार्यशैली का तुलनात्मक अध्ययन होने लगता है। तुलना करते ही स्पष्ट हो जाता है कि यदि कांग्रेस बैलगाड़ी की चाल से योजनाएं लागू करके काम शुरू करती थी, तो नरेंद्र मोदी बुलेट जैसी तेजी दिखाते हैं। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने लाखों करोड़ रुपये की योजनाएं अधूरी या लंबित छोड़ दी थीं। इसकी लागत
विकास का एजेंडा बनाम विरोध की राजनीति में से चुनना भला किसके लिए मुश्किल होगा !
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 26 मई को केंद्र में अपने चार साल पूरे कर लिए। एक ऐसे नेता ने जिसने विकास के मुद्दे को 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना सबसे बड़ा और कारगर नारा बनाया, आज भी हिंदुस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उनका नारा था ‘सबका साथ सबका विकास’ जिसने सभी जाति, वर्गों और समुदायों को एक
कर्नाटक : गठबंधन हुआ नहीं कि घमासान भी शुरू हो गया !
कर्नाटक सरकार का सत्ता के अंगना में प्रवेश क्लेश के साथ हुआ। गठबन्धन की मेंहदी लगने के साथ ही कांग्रेस ने अपना रंग दिखा दिया। उपमुख्यमंत्री परमेश्वर ने कहा कि अभी पांच वर्ष सरकार चलाने की गारंटी नहीं दी गई है। इसके पहले मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने विश्वास व्यक्त किया था कि सरकार कार्यकाल पूरा करेगी। उपमुख्यमंत्री का बयान इसी की प्रतिक्रिया में आया