आत्ममुग्धता और अंधविरोध को समर्पित रहा कांग्रेस का अधिवेशन
कांग्रेस का महाधिवेशन पहली बार राहुल गांधी की सदारत में हुआ। उम्मीद थी कि पार्टी में नई सोच, नया उत्साह दिखाई देगा। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। ताजपोशी नयी थी। इसके अलावा कुछ भी नया नहीं था। वही पुरानी बात दोहराई गई जिसके मूल में नरेंद्र मोदी थे। मुकाबले की बात चली तो गठबन्धन पर पहुंच गए। इसके अलावा महाधिवेशन की कोई उपलब्धि नहीं रही। किसी विपक्षी पार्टी के महाधिवेशन में सत्ता पक्ष पर
वामपंथी शासन की नियति ही है तानाशाही
चीन ने शी जिनपिंग को ताउम्र राष्ट्रपति रहने का अधिकार दे दिया है। हालांकि जिस तरह से जिनपिंग को यह अधिकार मिला है, उससे सन्देह होता है कि अधिकार चीन ने दिया है या फिर जिनपिंग और उनके समर्थकों ने कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ चाइना के एकदलीय शासन में छीन लिया है। निर्बाध, ताउम्र सत्ता के लिए चीन में मतदान हुआ है और चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के 2963 सदस्यों में से 2958 सदस्यों ने शी जिनपिंग को
कांग्रेस अधिवेशन : खयाली पुलाव वाली राजनीति भाजपा का मुकाबला नहीं कर पाएगी !
उत्तर प्रदेश की दो और बिहार के एक लोकसभा सीटों के लिए हुए उप चुनाव में नापाक जातिवादी गठजोड़ की जीत क्या हुई, राजनीति में नए-नए समीकरण बैठाने की मुहिम को पंख लग गए। 2019 के आम चुनाव में सीटों की संख्या और मत प्रतिशत को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। कांग्रेस की स्थिति तो बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली है। जिन उप चुनावों में भाजपा की हार से उत्साहित होकर वह
पंजाब में टूट की ओर बढ़ती आम आदमी पार्टी
झूठ को गढ़ने और उसे बहुप्रचारित करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कोई सानी नहीं है। इन्होने पंजाब चुनाव से पहले पूरे देश को बताया कि वहाँ पूरी युवा पीढ़ी ड्रग्स की वजह से तबाह हो गई है। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि अकाली नेता बिक्रम मजीठिया खुद नशे के सौदागरों से मिले हुए हैं और नशे की तस्करी में शामिल हैं।
श्रीलंका से सीरिया तक दुनिया भर में लड़ क्यों रहे, मुसलमान !
श्रीलंका में शांति प्रिय बौद्ध पीछे पड़ गए हैं मुसलमानों के। श्रीलंका के कैंडी जिले में इस हिंसा की शुरुआत हुई। मुसलमानों पर आरोप लग रहे हैं कि वे सीधे-सरल बौद्ध धर्मावलंबियों को मुसलमान बनाने की मुहिम चला रहे हैं। इससे पहले भारत के एक अन्य पड़ोसी देश म्यांमार में भी बौद्धों ने मुसलमानों को खदेड़ना चालू कर दिया था। रोहिंग्या मुसलमानों पर आतंकवाद में सीधे तौर पर शामिल होने के आरोप हैं। यही नहीं, ये रोहिंग्या
फ्रांस के राष्ट्रपति की इस भारत यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों का नया अध्याय शुरू हुआ है !
फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों का नया अध्याय शुरू हुआ है। दोनों के बीच इतना विश्वास और सहयोग का माहौल पहले कभी नहीं था। इतना विस्तार भी अभूतपूर्व है। इसमें सुदूर मिर्जापुर के छानबे ब्लाक से लेकर हिन्द महासागर का इलाका भी शामिल है। फ्रांस बड़ी मात्रा में निवेश पर सहमत हुआ। जहाँ निवेश किया है, उस जगह जाना भी विदेशी राष्ट्रपति के लिए सुखद रहा।
2019 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की बात किस आधार पर कह रही हैं, सोनिया गांधी !
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसके लिए मायावती और अखिलेश यादव ने चुनावी समझौता कर लिया। अच्छा ही किया, लेकिन गजब यह है कि अखिलेश ने ये समझौता करते वक़्त अपने दोस्त राहुल गाँधी को पूछा तक नहीं। उत्तर प्रदेश में राहुल और अखिलेश की जोड़ी सोशल मीडिया पर खूब हिट रही थी. लेकिन साल भर में ऐसा क्या हो गया कि दोस्त, दोस्त न रहा ?
यूपी उपचुनाव : कम मतदान होना सपा-बसपा गठजोड़ के लिए कोई ठीक संकेत नहीं है !
यूपी के दो लोकसभा क्षेत्रों गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनाव संपन्न हो गए, जिनका परिणाम १४ मार्च को आना है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर सीट तो केशव प्रसाद मौर्य के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद फूलपुर सीट रिक्त हुई थी। लेकिन, इन दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में जिस तरह से पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा मतदान के प्रतिशत में भारी गिरावट आई है, उसने चुनावी पंडितों
पर्यटन क्षेत्र के विकास में जुटी योगी सरकार, होंगे कई लाभ !
विश्व में ऐसे अनेक देश हैं, जिन्होंने पर्यटन को अपनी राष्ट्रीय आय का बड़ा साधन बना लिया है। इससे परोक्ष और अपरोक्ष रोजगार के जो अवसर मिलते है, वह अलग हैं। लेकिन पूर्व सरकारों द्वारा भारत मे इस क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यटन बढ़ाने के लिए अभियान शुरू किया है। उत्तर प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद इस पर ओर गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है।
यूपी लोकसभा उपचुनाव : सपा-कांग्रेस गठबंधन जैसा ही होगा सपा-बसपा गठजोड़ का भी हश्र !
राष्ट्रीय स्तर पर केसरिया उभार ने उत्तर प्रदेश में विपक्ष को गठजोड़ के लिए विवश कर दिया। लेकिन, इन्होने आज की बीमारी के लिए पच्चीस वर्ष पुरानी दवा लेने का निर्णय लिया है। इस लंबी अवधि में बहुत कुछ बदल गया। गोमती का न जाने कितना पानी बह चुका। अब बसपा संस्थापक कांशीराम हैं नहीं, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव उस पार्टी के लिए बेगाने हो गए हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने की थी। मतलब