एक्ट ईस्ट नीति : एशिया में चीन के विस्तारवादी रुख का कूटनीतिक जवाब
भारत-आसियान संबंधो की रजत जयंती के अवसर पर इस बार गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आसियान के सदस्य-देशों के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। यह सिर्फ एक औपचारिकता वश ही नहीं था, बल्कि इसको मोदी सरकार के द्वारा अपनी कूटनीति को नये रूप में दक्षिण पूर्व एशिया में अपने वर्चस्व को बढ़ाने तथा इस क्षेत्र में चीन का जो वर्चस्व है, उससे संतुलन स्थापित करने के रूप में देखा जा
आर्थिक सर्वेक्षण : अर्थव्यवस्था में राजनीति तलाश रहे विपक्षियों के लिए बुरी खबर
इकॉनोमिक सर्वे एक महत्वपूर्ण आर्थिक दस्तावेज है, जिसके ज़रिये हमें पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था किस दिशा की तरफ और किस गति के साथ दौड़ रही है। चीफ इकनोमिक एडवाइजर डॉ अरविन्द सुब्रमण्यम ने वर्ष 2017-18 के लिए अपने सर्वे के द्वारा एक ऐसी तस्वीर पेश की है जो सुन्दर, बेहतर और उम्मीदों से लबरेज़ दिख रही है।
मोदी की ‘आसियान नीति’ से बढ़ेगी चीन की चिंता !
देश का प्रत्येक गणतंत्र दिवस अपने में खास होता है। लेकिन इस बार का मुख्य समारोह मील के पत्थर की भांति दर्ज होगा। पहले भी मुख्य अतिथि के रूप में विदेशी राष्ट्राध्यक्ष इसमें शामिल होते रहे है। किंतु इस बार एक सम्पूर्ण क्षेत्रीय संगठन मेहमान बना। आसियान के दस राष्ट्राध्यक्ष, गणतंत्र दिवस में मुख्य समारोह के गवाह बने। यह विदेश नीति का नायाब प्रयोग था। जिसे पूरी तरह सफल कहा जा सकता है। इसने
मोदी सरकार के नेतृत्व में एशियाई महाशक्ति के रूप में उभरता भारत
यह सप्ताह भारत के विदेशी मामलों के लिए बहुत अच्छा रहा। अव्वल तो दावोस में हुए विश्व इकानामिक फोरम में भारत की सशक्त मौजूदगी दिखी तो दूसरी तरफ भारत की मेजबानी में आसियान सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। राजधानी स्थित राष्ट्रपति भवन में हुए इस सम्मेलन में आसियान नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परस्पर हितों के मुद्दों पर वार्ता की। इस भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में
विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन : विकास के आईने में मोदी ने दिखाई भारत की तस्वीर !
विश्व आर्थिक मंच की 48वीं सालाना बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ऐसी समस्याओं से दुनिया को मिलकर लड़ने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण हिंदी में दिया। उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भारतीय दर्शन, प्रकृति के साथ गहरे तालमेल की भारतीय परंपरा और भारतीय उपनिषदों का जिक्र करते हुए दुनिया के
खुद ही अपनी कब्र खोद रहे वामपंथी दल !
कार्ल मार्क्स ने एक बार कहा था- “हर सवाल पर तर्क दिया जा सकता है। हां, ये जरूरी नहीं है कि वो तर्कपूर्ण ही हों।” मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) में यही हुआ। कांग्रेस के साथ तालमेल करने के प्रस्ताव को वहां गत दिनों जिस प्रकार से खारिज किया है, उसके बाद ये संभावना कम बचती है कि वामदल समय के साथ चलने के लिए तैयार होंगे। वामपंथ की मौजूदा जमीनी हकीकत से वाकिफ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी
कूटनीतिक दृष्टि से नैसर्गिक साझीदार हैं भारत और इजरायल
14 जनवरी को भारत दौरे पर आये इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर दिल्ली एयरपोर्ट पर गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। दरअसल इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल की यात्रा करने के महज छह महीने बाद हुआ है एवं इससे दोनों देशों के बीच 25 साल के कूटनीतिक संबंध को मजबूती मिली है।
दावोस में भी गूंजेगा सशक्त भारत का संबोधन !
स्विट्ज़रलैंड के दावोस शहर में विश्व आर्थिक मंच (डब्लूईएफ) का आयोजन हो रहा है, जिसमें दुनिया भर के तीन हजार से अधिक नेता एकत्रित होने वाले हैं। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शिरकत करेंगे। उनके साथ 6 केन्द्रीय मंत्री भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे। यह डब्लूईएफ का 48वां सम्मेलन है, लेकिन भारत की तरफ से इसे अबसे पूर्व बहुत गंभीरता से शायद नहीं लिया जाता था।
लाभ का पद प्रकरण : ‘आप’ जैसे विचार विहीन दल का ये हश्र चौंकाता नहीं है !
आम आदमी पार्टी के लिए कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। पिछले दिनों राज्यसभा के टिकट दो धनाढ्य लोगों को दिए जाने के बाद से ही लगातार आंतरिक एवं बाहरी विरोधी झेल रही पार्टी को अब सबसे बड़ा झटका लगा है। पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता खत्म होने की कगार पर है। यह मामला लाभ के पद का है, जिसे लेकर निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति से इन जनप्रतिनिधियों की सदस्यता समाप्त करने की
भारत-इजरायल संबंधों में मजबूत स्थिति में भारत ही रहेगा !
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच नौ क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति कायम हुई है। कई अनुबंधों पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं। इन नौ क्षेत्रों में कृषि, तेल और गैस; सुरक्षा और साइबर तकनीक; पेट्रोलियम, फिल्म निर्माण, उड्डयन, नवीन ऊर्जा, अन्तरिक्ष और पारंपरिक चिकित्सा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा आतंकवाद के मोर्चे पर भी दोनों देश पीड़ित हैं। इजरायल जहां