भारत सहित दुनिया भर में मोदी की बढ़ती लोकप्रियता का क्या है कारण !
भारत में तो इस समय निर्विवाद रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं, परन्तु अब यह सिर्फ भारत की बात नहीं रह गयी है। मोदी की लोकप्रियता का फलक दिन-प्रतिदिन विस्तृत से अति-विस्तृत होता जा रहा है। अभी बीते दिनों आए प्यू इंटरनेशनल के सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ था कि देश में मोदी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है, अब गैलप इंटरनेशनल नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सर्वेक्षण में यह सामने आया
पूर्वोत्तर को प्रगति की मुख्यधारा से जोड़ने में जुटी मोदी सरकार !
1947 में देश के बंटवारे ने कई ऐसे विभाजन पैदा किए जिन्होंने इस उपमहाद्वीप को पीछे धकेलने का काम किया। यदि पूर्वोत्तर की गरीबी, बेकारी, अलगाववाद, आतंकवाद की जड़ तलाशी जाए तो वह देश विभाजन में मिलेगी। 1947 तक पूर्वोत्तर का समूचा आर्थिक तंत्र चटगांव बंदरगाह से जुड़ा था लेकिन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के निर्माण से इस इलाके का कारोबारी ढांचा तहस-नहस हो गया। पूर्वोत्तर में जल
मोदी लम्बे समय से जो कहते रहे हैं, ट्रंप ने अब उसे समझा है !
अमेरिका ने लंबी अवधि के बाद अपनी पाकिस्तान नीति में अपरिहार्य बदलाव किया है। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इसका प्रारंभिक सन्देश भी दे दिया है। फिलहाल उसको मिलने वाली एक लाख छह हजार अट्ठाइस करोड़ रुपये की सहायता पर रोक लगा दी गई है। ट्रम्प ने कहा भी है कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्यवाई के बाद ही उसे सहायता बहाली संभव होगी। ट्रंप ने यह कार्रवाई अपने ट्वीट के बाद की है, जिसमें
मोदी सरकार के लिए कैसा रहेगा 2018 ?
वर्ष 2018 का देश में चहुँ ओर स्वागत हो रहा है। बीते साल ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को ही एक पूरे साल चौकस और चौकन्ना खड़ा रखा, लेकिन देश की जनता के सामने उम्मीद और संभावनाओं के द्वार भी खोल दिए। वर्ष का अंत गुजरात चुनाव के नतीजों के साथ हुआ, जिसमें आखिरी बाजी तो पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की करिश्माई जोड़ी ने फिर मार ली। एक बार तो ऐसा लगा कि जातिवाद
तीन तलाक प्रकरण में दिखी मोदी सरकार की दृढ़ता और संवेदनशीलता !
कुछ वर्ष पहले तक यह कल्पना करना भी मुश्किल था कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक पर न्याय मिलेगा। वोट बैंक से प्रेरित कथित सेक्युलर सियासत ऐसा होने नहीं देती। इसके लिए शाहबानों प्रकरण तक पीछे लौटकर देखने की जरूरत भी नहीं है। तीन तलाक के मसले पर कांग्रेस, कम्युनिस्ट, राजद, सपा, तृणमूल, बसपा आदि सभी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी इसे
तीन तलाक बिल : मोदी सरकार का ऐतिहासिक सामाजिक सुधार
तीन तलाक जैसी कुप्रथा को लेकर आखिर सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठा ही लिया। लोकसभा में तीन तलाक का बिल ध्वनिमत से पारित होते ही सदन ने इतिहास रच दिया। मुस्लिम महिलाएं अपने आत्मसम्मान की यह लड़ाई सु्प्रीम कोर्ट में जीतने के बाद अब लोकसभा से भी जीत हासिल कर चुकी है। बिल के लिए तमाम संशोधन खारिज हुए और यह पारित किया गया। निश्चित ही भारतीय संसद और मुस्लिम कौम के इति
जाधव को रिहा करे पाकिस्तान, तो ही सुधरने की ओर बढ़ेंगे भारत-पाक संबंध!
पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी ने उनसे 30 मिनट के लिए मुलाकात की। जरा कल्पना कीजिए कि इन तीनों में जब मुलाकात हुई होगी तो वे पल कितने भावुक होंगे। तीनों एक लंबे अंतराल के बाद मिल रहे थे। हालांकि पाकिस्तान ने इस मुलाक़ात में भी अपनी नापाक हरकतें दिखा ही दीं। पाकिस्तान अपनी दुष्ट हरकतों से बाज आने का नाम ही नहीं ले रहा है।
जयराम ठाकुर : चाय की दुकान चलाने से लेकर हिमाचल की सत्ता के शिखर पर पहुँचने तक
हिमाचल में सत्ता का बदलाव हुआ है और इस खूबसूरत बदलाव का स्वागत भी हो रहा है। कांग्रेस हार गई है और भाजपा की भारी जीत हुई है। इस बदलाव के क्रम में जो प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, उनकी पृष्ठभूमि भी काफी रोचक है। मंडी के सेराज विधान सभा से एक ऐसा नेता उभर कर राष्ट्रीय परिदृश्य पर सामने आया है, जिनको देख कर देश के हर उस बच्चे को समाजसेवा और देशसेवा में आने का दिल करेगा, जो
यूपी के सुशासन के कारण अन्य प्रदेशों में भी बढ़ रही योगी की लोकप्रियता !
पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गुजरात, मुम्बई और नोयडा की यात्राएं चर्चित रहीं। गुजरात में वह चुनाव के सिलसिले में गए थे। गुजरात के जनमानस ने उनके प्रति बहुत उत्साह दिखाया। मुम्बई वह निवेश हेतु आयोजित समिट में शामिल हुए थे। यहां देश के शीर्ष उद्योगपतियों से उनकी सार्थक वार्ता हुई। अब नोएडा की यात्रा मील के पत्थर की भांति दर्ज होगी। योगी ने नोएडा को लेकर दशकों से जारी पूर्व
गुजरात चुनाव : मंदिर दौड़ और जातिवादी गठजोड़ के बावजूद क्यों नहीं जीत सकी कांग्रेस ?
कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष राहुल गांधी की मंदिर दौड़ और जातिवादी नेताओं से गठजोड़ के बावजूद कांग्रेस को गुजरात में पराजय का मुंह देखना पड़ा। 132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी आज इतनी कमजोर हो गई है कि वह गुजरात में अकेले चुनाव में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवानी जैसे जातिवादी नेताओं से गठजोड़ करने पर मजबूर हुई। इसके बावजूद उसकी दाल नहीं