भ्रष्ट और काहिल अफ़सरों पर सख्त मोदी सरकार
सरकार ने छतीसगढ़ कैडर के दो आईपीएस अफसरों की सेवाएं समाप्त करके ये स्पष्ट संकेत दिया है कि काहिल अफसरों की खैर नहीं। सरकार भ्रष्ट और संदिग्ध छवि वाले अफसरों को बख्शने के लिए कतई तैयार नहीं है। सत्ता पर काबिज होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त अंदाज में भ्रष्ट सरकारी बाबुओं को चेतावनी दी थी कि न मैं खाऊंगा और न ही किसी को खाने दूंगा व ‘न चैन से बैठूंगा, न चैन से बैठने दूंगा’।
अगर जय शाह ने कुछ भी गलत किया होता तो मानहानि का दावा करने की हिम्मत नहीं दिखाते !
कांग्रेस को लगता है कि दूसरों पर भ्रष्टचार के आरोप लगाने से उसकी छवि निखर जाएगी। इस प्रयास में वह कई बार जल्दीबाजी कर देती है। इसके बाद उसे फजीहत उठानी पड़ती है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वह ऐसा कर रही है। अनेक मुद्दे उठाए। नरेंद्र मोदी तक को घेरने का प्रयास किया। कई बार सांसद में भी हंगामा किया। लेकिन, केजरीवाल की तरह किसी मसले को न्यायपालिका तक ले जाने की हिम्मत
जनरक्षा यात्रा : कम्युनिस्ट हिंसा को भाजपा का लोकतान्त्रिक जवाब
इसमें दो राय नहीं है कि राजनीति मौजूदा समाज का दर्पण है। समाज के प्रचलित मूल्य राजनीति में भी झलकते हैं। जहां तक वर्तमान राजनीति की बात है, यह उस दौर से गुजर रही है जो पहले कभी नहीं देखा गया। ऐसा प्रतीत होता है मानो भाजपा सरकार की सफलता से भयाक्रांत होकर सारे विपक्षी दल लामबंद होकर नफरत एवं हिंसा के सतही हथकंडों पर उतर आए हैं।
जनरक्षा यात्रा : केरल की वामपंथी हिंसा के विरुद्ध भाजपाध्यक्ष अमित शाह की हुंकार !
‘केरल’, जिसे ईश्वर की भूमि कहा जाता है, वामपंथी शासन में राजनीतिक हिंसा का खूनी अखाड़ा बनता जा रहा है। अबतक यहाँ भाजपा और संघ के करीब 300 कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकतर हत्याएं खुद मुख्यमंत्री पी. विजयन के क्षेत्र कन्नूर में हुई हैं। वामपंथी बुद्धिजीवी, तथाकथित मानवाधिकारवादी जो भाजपा-शासित राज्यों पर सवाल उठाने के मामले में सबसे आगे होते हैं, इन हत्यायों पर खामोश नज़र आते हैं।
जनरक्षा यात्रा : केरल में जमीन पर मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आ चुकी है भाजपा
देश में इस समय केवल अमित शाह ही ऐसे हैं, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व का सच्चे अर्थों में निर्वाह कर रहे हैं। वह भाजपा को उन प्रदेशों में मजबूत बनाने के अभियान पर हैं, जो पहुंच से दूर समझे जाते थे। केरल की जनरक्षा यात्रा यहां के समीकरण बदलने की दिशा में बढ़ रही है। शाह ने पहले दिन नौ किलो मीटर की यात्रा की थी। दूसरे दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसे आगे बढ़ाया। योगी आदित्यनाथ करीब नौ किलो मीटर
जानिए, स्वच्छ भारत अभियान से कैसे बदल रही देश की तस्वीर !
2 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया। यह क्रांति विचारों की या बल प्रदर्शन की नहीं बल्कि जनजागरूकता और नागरिकता बोध को लेकर उठाए गए कदम की थी। यह क्रांति आदतों की थी, व्यवहार की थी, आचरण की थी। इसका संबंध स्वास्थ्य से और सलीके से था। यह क्रांति सफाई की थी। स्वच्छ भारत अभियान का आरंभ इस दिन से हुआ और तीन साल में यह एक विराट
गाँधी के स्वच्छ भारत के सपने को कांग्रेस ने अनदेखा किया, मोदी सरकार कर रही पूरा
महात्मा गाँधी ने एक “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था। वह चाहते थे कि भारत एक स्वच्छ देश के रूप में जाना जाये, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी अभी भारत को स्वच्छ नहीं बनाया जा सका है। चूंकि, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारें स्वच्छता के महत्व को समझी ही नहीं। महात्मा गांधी के इस अधूरे सपने को पूरा करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को देश के सभी लोगों से इस अभियान से जुडने की अपील
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सशक्त भारत का संबोधन !
संयुक्त राष्ट्र महासभा के ७२वें सत्र में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संबोधन कई मायनों में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रूप से उल्लेखनीय रहा। सुषमा के संबोधन से पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने अपने संबोधन में भारत पर आतंक प्रायोजित करने और कश्मीर में अत्याचार फैलाने का आरोप लगाया था। उनके भाषण का लम्बा हिस्सा भारत की बुराई करने में ही बीता था।
‘उत्तराखंड को अटल जी ने बनाया था, मोदी जी संवारेंगे’
देश के सभी राज्यों के प्रवास कार्यक्रमों के अंतिम चरण में देवभूमि उत्तराखंड पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार कर गए, अपितु उनका दो दिवसीय दौरा एक मिसाल के रूप में भी कायम हो गया। राजधानी देहरादून में अपने 38 घंटे के प्रवास में अमित भाई सांस लेने की फुर्सत में नहीं दिखे और ताबड़तोड़ तरीके से करीब 2 दर्जन कार्यक्रम निबटाए। पार्टी की
2019 में क्यों अजेय नजर आ रहे मोदी ?
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए रणभेरियां अभी से बज चुकी हैं। राजनीतिक पार्टियां भी अपने-अपने वैचारिक धरातल को तैयार करने में लग गई हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई, वहीं राहुल गाँधी ने गुजरात की धार्मिक नगरी द्वारिका से अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया है।