इन तथ्यों से साबित होता है कि आज देश में फौलादी इरादों वाली निर्णायक सरकार है !
केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद एक बात साफ़ हुई है कि विपक्ष की सोच के विपरीत भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर एक सख्त और सर्वमान्य नीतियों को लेकर जनता ने भी सरकार का समर्थन किया है। मुद्दा चाहे राजनीतिक हो, सुरक्षा का हो या आर्थिक, नरेन्द्र मोदी सरकार ने स्टैंड लिया है। इसका नतीजा न सिर्फ चुनावी सफलता के तौर पर परिलक्षित हुआ है, बल्कि आम
अमित शाह के प्रवास कार्यक्रमों से घबराया हुआ है विपक्ष !
अमित शाह की सक्रियता भाजपा के लिये प्रेरणा बन रही है, लेकिन विपक्ष के लिये यह परेशानी का सबब है। अमित शाह, संगठन को मजबूत बनाने के लिये सभी प्रदेशों में प्रवास कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा विरोधियों की धड़कने बढ़ा देती है। वह अपनी पार्टी की आंतरिक हलचल के लिये भी अमित शाह को दोषी बता रहे हैं
केजरीवाल की राष्ट्रीय नेता बनने की निरर्थक महत्वाकांक्षा ने ‘आप’ को पतन की ओर धकेल दिया है !
दिल्ली पर राज कर रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए 23 अगस्त को होने वाला बवाना विधानसभा उप चुनाव एक इम्तिहान से कम नहीं है। एक के बाद एक कई चुनाव हारने के बाद अपनों की बगावत और केजरीवाल की छवि पर हो रहे चौतरफा हमले के कारण इस चुनाव का महत्व बहुत बढ़ गया है।
यूपी प्रवास : भाजपा को अजेय बनाने की तपस्या में जुटे अमित शाह
सोनू यादव, यूपी तो छोड़िए, लखनऊ के उस इलाके के लिए भी ये नाम अनजान ही था जहां ये रहते हैं, और तो और भारतीय जनता पार्टी में काम करने वाले ज्यादातर लोग भी शायद ही इस नाम से परिचित थे, पर अब सोनू यादव का नाम मीडिया से लेकर सियासत के गलियारों तक में चर्चा की वजह है। लोगों में उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ है। दरअसल वे भारतीय जनता पार्टी में लखनऊ के एक छोटे से इलाके जुगौली के बूथ
बिहार के सुस्त विकास को फिर गति देगी जदयू-भाजपा सरकार
नीतीश कुमार के इस्तीफे को सिर्फ मौजूदा घटनाक्रम से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। महागठबंधन के बैनर के तले नीतीश कुमार जरूर मुख्यमंत्री बन गये थे, लेकिन वे अपनी छवि के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे। उनके अतंस में अकुलाहट थी। देखा जाये तो परोक्ष रूप से लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे।
भारतीय राजनीति में क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है कांग्रेस ?
इतिहास के पन्नों को पलटें और इसके सहारे भारतीय राजनीति को समझने को प्रयास करें तो हैरानी इस बात पर होती है कि जो कांग्रेस पंचायत से पार्लियामेंट तक अपनी दमदार उपस्थिति रखती थी, आज वही कांग्रेस भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक हो गई है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि आज बिहार से लगाये कई राज्यों की सियासत गर्म है और इन सबमें में कांग्रेस कहीं गुम-सी नज़र आ रही है। बिहार में महागठबंधन
सत्ता की सियासत में गठबंधनों पर भारी दिलों की दीवारें
बिहार में चल रहे सियासी उठा-पटक के बीच जो लोग टेलीविजन से चिपके हुए थे, उन्होंने एक दिलचस्प नजारा देखा – महज 60 मिनट के भीतर ही रिश्तों और मर्यादाओं की सीमाएं टूटने का। कुछ देर पहले तक जो लालू यादव नीतीश कुमार को छोटा भाई बताते हुए गठबंधन को अटूट बता रहे थे, वही लालू बदले हुए तेवर में नीतीश को मौकापरस्त और हत्यारोपी तक साबित करने में जुटे हुए थे। उनके बेटे और बिहार के पूर्व
बिहार की जनता के लिए जरूरी हो गया था महागठबंधन सरकार का अंत !
बिहार के महागठबंधन में महीनों से चल रही खींचतान आखिर बीती 26 जुलाई की शाम तब एक निर्णायक मोड़ पर पहुँच गयी, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव का इस्तीफा देने से इनकार के बाद नीतीश ने यह निर्णय लिया। इस्तीफा देकर निकलते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल में उनके लिए सरकार चलाना संभव
‘मेरी यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही, बल्कि हमारे देश और समाज की भी यही गाथा रही है’
रामनाथ कोविंद 20 जुलाई 2017 को भारत के 14 वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। रामनाथ कोविंद ने यूपीए के प्रत्याशी मीरा कुमार को लगभग 3 लाख 34 हजार वोटों से हराया, जो प्रतिशत में 65.65 है। गत 25 जुलाई को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की। आमतौर पर भारत में जब कोई गैर-दलित किसी बड़े पद के लिये चुना जाता है तो उसके गुणों की चर्चा की जाती है, वहीं अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग के संदर्भ में
चीन प्रेम में डूबे पाकिस्तान को अंदाजा भी नहीं है कि चीन उसे गुलाम बनाने की तैयारी कर रहा !
आज पाकिस्तान की ज़मीन पर चीन की बढ़ती गतिविधियों से पाकिस्तान को तो भविष्य में खतरा है ही, लेकिन इकॉनोमिक कॉरिडोर के बहाने चीन ऐसी व्यूहरचना कर रहा है, जिससे भारत को भी अत्यधिक सावधान रहने की ज़रुरत है। इसी कारण भारत सरकार द्वारा इस कॉरिडोर का लगातार विरोध किया जाता रहा है। बहरहाल, हम यहाँ ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में यह समझाने की कोशिश करेंगे कि किस तरह चीन का नव-