देश के हर ‘कोविंद’ की आँख में भाजपा ने आकाश तक पहुँचने का स्वप्न रोप दिया है !
भारत एक अद्भुत और स्वर्णिम युग में प्रवेश कर चुका है। विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल और भारत की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने फिर से एक बार अपने होने का मतलब साबित किया है। फिर से दीनदयाल के अन्त्योदय का सपना साकार हुआ है। भारत के करोड़ों ‘रामनाथ’ के घर की कच्ची दीवाल के पक्के होने की अलख जगी है। देश के हर ‘कोविंद’ की आंखों में आकाश तलक पहुंच पाने का
रामनाथ कोविंद : आईएएस की नौकरी छोड़ने से लेकर राष्ट्रपति बनने तक के संघर्षों की कहानी
बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद आगामी 25 जुलाई को देश के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को बड़े अंतर से हराया है। कोविंद की यह जीत अपेक्षित ही थी। भाजपा और एनडीए कार्यकर्ताओं समेत कोविंद के गांव में भी लोगों ने जमकर जश्न मनाया और मिठाई बांटी। जीत की घोषणा के बाद उन्हें बधाइयों का तांता लग गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कड़े फैसलों से यूपी को पटरी पर लाने की कवायदों में जुटी योगी सरकार
यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार को करीब चार महीने पूरे हो गए हैं। किसी सरकार की समीक्षा के लिए यूं तो चार महीने का समय पर्याप्त नहीं होता लेकिन इन चार महीनों में ही सरकार ने अपने अंदाज से आगाज का एहसास करा दिया है। ये बता दिया है कि उत्तर प्रदेश में अब वो नहीं चलेगा जो पिछले चौदह पंद्रह सालों से यहां होता आ रहा था। जाहिर है, डेढ़ दशक का वक्त काफी होता है और डेढ़ दशकों में ना सिर्फ उत्तर
‘हिन्दू आतंकवाद’ की धारणा स्थापित करने के लिए रची गयी कांग्रेसी साजिशों की खुलने लगी परतें
एक अंग्रेजी समाचार चैनल ने वर्ष 2008 से जुड़ा एक ऐसा खुलासा किया है, जो बेहद चौकाने वाला है। टाइम्स नाऊ ने फाइल्स नोटिंग से मिली जानकारी के आधार पर यह दावा किया है कि कांग्रेसनीत संप्रग-2 सरकार ने मालेगाँव एवं अजमेर ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत से पूछताछ करने के लिए एनआईए पर दबाव बनाया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कांग्रेस के शीर्ष
सिक्किम सीमा विवाद में भारत ने जो रुख दिखाया है, चीन को उसकी उम्मीद ही नहीं रही होगी !
भारत व चीन के बीच सिक्किम सीमा के डोकलाम पर इन दिनों विवाद की स्थिति है। यहां हाल ही में भारत ने सैनिकों की तैनाती में इजाफा किया है। बताया जाता है कि वर्ष 1962 के बाद यह पहला मौका है, जब इस क्षेत्र में लंबा गतिरोध बना है, जिसके चलते दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। डोकालाम इलाका एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे भूटान अपना मानता है, जबकि चीन इसपर अपना दावा करता है।
अंतर्राष्ट्रीय सर्वे में आया सामने, मोदी सरकार है दुनिया की सबसे भरोसेमंद सरकार
हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका में छपे ओईसीडी के सर्वे में यह सामने आया है कि मोदी सरकार पर देश के 73 प्रतिशत लोग विश्वास करते हैं। अपने देश के लोगों में सर्वाधिक विश्वास कायम करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में मोदी सरकार शुमार है। ‘गवर्नमेंट एट ग्लांस 2017’ नाम की इस सर्वे रिपोर्ट में कुल 15 देशों को जगह मिली। इस रिपोर्ट में सबसे नीचे ग्रीस (13%) और सबसे ऊपर भारत (73%) है।
नेहरूवादी मुस्लिपरस्ती के कारण कांग्रेस ने इजरायल से रखी दूरी, राष्ट्रीय हितों को किया अनदेखा
नेहरू-गांधी खानदान ने मुस्लिम वोटों के लिए हिंदू हितों की बलि ही नहीं चढ़ाई बल्कि ऐसी विदेश नीति भी अपनाई जिससे राष्ट्रीय हित तार-तार होते गए। इसे भारत की मध्य-पूर्व नीति से समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के रूप में नेहरू ने पश्चिम एशिया के संबंध में भारतीय विदेश नीति में तय कर दिया था कि फिलीस्तीन से दोस्ती इजरायल से दूरी के रूप में दिखनी चाहिए। नेहरू की इस आत्मघाती नीति को
भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुके हैं लालू यादव
लालू कोई गरीबों और मजलूमों की सामाजिक और आर्थिक तरक्की का धर्मयुद्ध नहीं लड़ रहे हैं। लालू का मकसद सिर्फ इतना है कि गैर कानूनी तौर पर इकठ्ठा किये हुए धन को कानून की नज़रों से कैसे छुपा लिया जाए। इस कारण जब से लालू यादव के परिवार के खिलाफ सीबीआई ने सख्ती बरती है, तो ध्यान भटकाने के उद्देश्य से लालू इसे सियासी रंजिश का नाम देकर बड़ा सियासी वितंडा
जानिये, प्रधानमंत्री मोदी के इजरायल दौरे का क्या है हासिल ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित इजरायल यात्रा आखिरकार सफलतापूर्वक संपन्न हो गई। यह वास्तविक अर्थों में बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण थी। मोदी ने दिलों को भी जीता और कूटनीति को भी बनाए रखा। आजादी के बाद से आज तक एक भी भारतीय प्रधानमंत्री इजरायल नहीं गया था, पीएम मोदी यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। उनकी यात्रा के लिए इजरायल पूरी तरह से तैयार था
भारत-इजरायल की इस जुगलबंदी से भारतीय विदेशनीति को मिलेगा नया आयाम
इजरायल में जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया गया, वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत के बढ़ते वर्चस्व को दिखाता है, क्योंकि इजरायल के प्रधानमंत्री ने हिंदी में बोलकर उनका अभिवादन किया साथ ही वह अपने कैबिनेट के 11 मंत्रियो और सारे उच्च अधिकारियो को लेकर उनके स्वागत के लिए खड़े थे। अमेरिकी राष्ट्रपति के बाद मोदी पहले ऐसे राजनेता हैं, जिनका स्वागत करने के