सियासी ड्रामे से विफलताओं पर परदा डालने की क़वायद
उत्तर प्रदेश की राजनीति में चल रहा सत्ताधारी परिवारवादी कुनबे का सियासी ड्रामा आखिरकार उसी बिंदु पर खत्म हुआ जिस पर उसे खत्म होना था। सियासी ड्रामे का यह अंतिम चरण कहा जा सकता है। इसके पहले भी अक्तूबर महीने में यह उठा-पटक तेज हुई थी। उस समय सपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष
स्मृति शेष : सांगठनिक अनुशासन, जनकल्याण और राष्ट्र की प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध थे सुन्दरलाल पटवा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता स्व. श्री सुंदरलाल पटवा जी का जन्म मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के कुकडेश्वर कस्बे में हुआ था। उनका परिवार श्वेतांबर जैन धर्म को मानने वाला था। उनका परिवार धार्मिक तथा राष्ट्रवादी प्रवृत्ति का था। उनके पिता श्री मन्नालाल जैन उस समय के एक प्रतिष्ठित व्यापारी तथा समाजसेवी थे। परिवार की धार्मिक गतिविधियों तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के
अपने पचास दिनों में हर तरह से लाभकारी रही है नोटबंदी
नोटबंदी के पचास दिन पूरे हो चुके हैं। बीते 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में पांच सौ और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर करने का निर्णय सुनाया था। निश्चित रूप से यह फैसला देश में छुपे काले धन और नक़ली नोटों के कारोबार पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह था। अतः आम जनता द्वारा इसका खुलकर स्वागत किया गया और नोट बदलवाने के लिए कतारों की मुश्किल से दो-चार होने
हमेशा से अध्ययनशील परम्परा की अनुगामी रही है भाजपा
प्रसिद्ध जर्मन भाषाविद और लेखक मैक्समूलर अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘इंडिया व्हॉट कैन इट टीच अस’ में कहते हैं- ‘अगर मुझसे पूछा जाए कि वह कौन सा स्थान है, जहां मानव ने अपने भीतर सद्भावों को पूर्ण रूप से विकसित किया है और गहराई में उतर कर जीवन की कठिनतम समस्याओं पर विचार किया है, तो मेरी उंगली भारत की तरफ उठेगी।’ ज़ाहिर है जब पश्चिम तक सभ्यता के सूरज ने पहुंचने
भ्रम और नेतृत्वहीनता के भँवर में घिरी कांग्रेस
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक्त उस दौर से गुजर रही है जहां पार्टी नेतृत्व के सम्बन्ध में उसके नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में एक भ्रम और उलझन लक्षित किया जा सकता है । अपनी बीमारी और राहुल गांधी को आगे बढ़ाने की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्षा ने खुद को नेपथ्य में रखा था । उनके नेपथ्य में रहने की वजह से पुरानी पीढ़ी के नेता स्वत: परिधि पर चले गए थे और राहुल गांधी के आसपास के
यूपी चुनाव : भाजपा को रोकने की बेबसी का नाम ‘महागठबंधन’
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब बमुश्किल दो-तीन महीने शेष हैं, ऐसे में सूबे के सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपनी-अपनी राजनीतिक बिसात बिछाकर चालें चली जाने लगी हैं। सत्तारूढ़ सपा जहाँ अपने अंदरूनी कलह के बावजूद अखिलेश को विकास पुरुष के रूप में पेश करने में लगी है, वहीँ बसपा सपा शासन की खामियाँ गिनवाने और बड़े-बड़े वादे करने में मशगुल है। कांग्रेस दिल्ली से शिला दीक्षित जैसे बड़े
भारतीय राजनीति के ‘राजर्षि’ हैं अटल बिहारी वाजपेयी
आपने वर्णमाला भी अभी पूरी तरह से सीखी नहीं हो और कहा जाय कि निराला के अवदान पर कोई निबंध लिखें; ‘दिनकर’ पर टिप्पणी आपको तब लिखने को कहा जाय जब आपने विद्यालय जाना शुरू ही किया हो, इतना ही कठिन है राजनीति के अपने जैसे किसी शिशु अध्येता के लिए अटल जी पर कुछ लिखना। और अगर साहित्य के साधक ऋषि का ‘राजर्षि’ में रूपांतरण या साहित्य और राजनीति दोनों को दूध और
यूपी चुनाव : भाजपा की परिवर्तन यात्रा में उमड़ रहा जनसैलाब, विपक्षियों के ध्वस्त हो रहे समीकरण
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपनी धाक जमाने और जनता के दिलों में घर बनाने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का दम लगाकर तैयारियां कर चुकी है। परिवर्तन ना सिर्फ जमीनी स्तर पर हो, बल्कि इस परिवर्तन की लहर लोगों के दिलों-दिमाग पर भी छा जाए, इसके लिए चुनाव प्रचार करने का अनोखा तरीका अपनाते हुए परिवर्तन यात्रा शुरू कर दी। भाजपा की इस परिवर्तन यात्रा का जोर उत्तर प्रदेश की जनता पर
फिर खुली कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राजनीति की पोल !
अक्सर अपने धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल होने का दम भरने और भाजपा जैसे दलों पर सांप्रदायिक रानजीति का आरोप लगाने वाली कांग्रेस की कथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति की कलई एकबार फिर खुल गई है। उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत साहब ने राज्य के मुस्लिम कर्मचारियों को जुमे की नमाज़ के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी दिये जाने का ऐलान कर कांग्रेसी धर्मनिरपेक्षता का शानदार उदाहरण
भाजपा की अध्ययन परंपरा और वर्तमान परिदृश्य
गोयबल्स थ्योरी कहती है कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो वह सच लगने लगता है। इस देश के तथाकथित बुद्धिजीवी जमात ने ऐसे अनेक झूठ हजार बार बोले हैं। उन्हीं में से एक बड़ा झूठ यह भी कि राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग, खासकर संघ और भाजपा वाले, पढ़ते-लिखते नहीं है। यह कोरा झूठ कम से कम हजार बार, सैकड़ों तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा बोला गया होगा। 21 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष