बेजा नहीं संघ प्रमुख की चिंता, सात राज्यों में अल्पसंख्यक हुए हिन्दू !
आगरा में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए संघ के सर संघचालक मोहन भागवत…
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा भारत का पुनर्निर्माण
भावी भारत के निर्माण और प्राचीन भारत के मूल स्वरुप की जब बात आती है तो यह बहस शुरू हो जाती है कि आखिर ‘भारत’ है क्या ? क्या यह महज संविधान शासित लोकतांत्रिक राज्य वाला एक भू-भाग मात्र है अथवा इससे आगे भी इसकी कोई पहचान है ? इस बहस के सन्दर्भ में अगर समझने की कोशिश की जाय तो भारत कोई 1947 में पैदा हुआ देश नहीं है।
मुलायम सिंह यादव ने छिपा लिया था राजीव गांधी का बोफोर्स घोटाला!
बोफोर्स घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है। देश के पूर्व रक्षामंत्री…
व्यक्तिवाद और परिवारवाद से ग्रस्त हो चुकी है कांग्रेस, पतन तो होना ही है!
वर्तमान केंद्र में भाजपा सत्ता में है जबकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा…
‘संघ मुक्त भारत’ पर नहीं, अपराध मुक्त बिहार पर सोचिये नीतीश जी!
जब कोई शासक अंधी महत्त्वाकांक्षा और सस्ती लोकप्रियता का शिकार हो जाए तो जनता के हित साधने और विधायी ज़िम्मेदारी निभाने की बजाय ‘जुमले’ गढ़ने लगता है। संघ एक विचार है और विचार कभी मरता नहीं। संघ भी एक विचार है, एक सांस्कृतिक आंदोलन है, समाज के भीतर कोई संगठन नहीं, बल्कि समाज का संगठन है
मोदी सरकार के कड़े रुख के आगे बेबस हुआ पाक, कहीं नहीं मिल रही शरण!
मोदी सरकार के सत्ता में आने के कुछ समय बाद से ही उसपर पाकिस्तान को लेकर नीतिहीनता का आरोप विपक्षियों द्वारा लगाया जाता रहा है। कुछेक कूटनीतिज्ञों द्वारा यह भी कहा जाता रहा है कि ये सरकार भी पिछली मनमोहन सरकार की ही तरह पाकिस्तान को लेकर भ्रमपूर्ण स्थिति में है और इसीलिए रूठने-मनाने की नीतिहीनता का शिकार है। लेकिन, पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सर्वदलीय बैठक
स्वतंत्र भारत की पहली राजनीतिक चूक थी पटेल की बजाय नेहरू का प्रधानमंत्री बनना!
आज देश 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। लेकिन देश में यह पुरानी बहस चलती रहती है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के स्थान पर अगर सरदार बल्लभ भाई पटेल प्रधानमंत्री बने होते तो आज देश की तस्वीर क्या होती? बड़ी संख्या में लोगों की ऐसी धारणा है कि अगर ऐसा हुआ होता तो न तो आज कश्मीर समस्या रहती और न ही तब चीन द्वारा भारत पर आक्रमण की जुर्रत की जाती।
सुन लो पाकिस्तान, अब तो मोदी भी बोल दिए ‘वो कश्मीर हमारा है’
इस बात को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब दिल्ली में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लेखकों से ‘विचारधारा और राजनीति’ के मुद्दे पर संवाद कर रहे थे। उस संवाद चर्चा के दौरान एक लेखक ने बेबाकी से पूछा कि राजनीति में विचारधारा के प्रश्न पर आप क्या कहते हैं ? इसके जवाब में शाह ने कहा कि विचारधारा को लेकर हम कोई समझौता नहीं कर सकते हैं। हमारी बुनियाद ही विचारधारा आधारित है और हम उसी पर टिके हैं।
गोरक्षा पर मोदी को नहीं समझे तो आप विरोधियों के जाल में फंस चुके हैं!
गोरक्षा की आड़ में निंदनीय घटनाओं को अंजाम दे रहे तथाकथित गोरक्षकों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी के गहरे निहितार्थ हैं। उतावलेपन से प्रधानमंत्री के बयान की गंभीरता को समझना मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री के बयान के महत्त्व को समझने के लिए गंभीरता, धैर्य और वास्तविकता को स्वीकार करने का सामर्थ्य चाहिए।
जानिये क्यों है भाजपा ‘पार्टी विद अ डिफरेंस’!
उसवक़्त मेरे पास मोबाइल तो नहीं, मगर एक डायरी हुआ करती थी, जिसमें कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक लोगों के लैंडलाइन नं थे। तब शायद मोबाइल होना बड़ी बात थी। यही कोई 4:30-5:00 बजे का वक्त रहा होगा। मैंने बड़े संकोच और द्वन्द्व के साथ एक टेलीफोन बूथ पर जाकर एक लैंडलाइन नं डायल किया, दूसरी तरफ से जो आवाज आई, उसकी आत्मीयता और अपनेपन ने मेरी सारी झिझक, सारा संकोच क्षण भर में दूर कर दिया।