पिछले दिनों सीआरपीएफ के वाहन पर पत्थरबाजों के हमले के वीडियो को देखकर पूरा देश गुस्से में था। सबके मन में सवाल था कि यदि ये हालात हैं, तो आखिर इन पत्थरबाजों का सामना क्यों नहीं किया जा सकता। अब चूंकि सेना नए सिरे से आतंक के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए तैयार है, ऐसे में उम्मीद जताई जा सकती है कि इन पत्थरबाजों सहित घाटी में छुपे आतंकवादियों का भी उन्मूलन हो पाएगा।
आखिर केंद्र की मोदी सरकार ने रविवार को वह अहम फैसला ले ही लिया, जिसके लिए पिछले कुछ दिनों से काफी उम्मीद जताई जा रही थी। सरकार ने निर्णय लिया है कि अब फिर कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ पुनः सैन्य ऑपरेशन चलाया जाएगा। सरकार ने यह निर्णय प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय कमिटी की बैठक में लिया जिसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित एनएसए अजीत डोभाल सहित अन्य सुरक्षा अधिकारी शामिल थे।
दरअसल रमजान के महीने के आरंभ में सरकार ने जम्मू-कश्मीर में संघर्ष विराम लागू किया था, लेकिन इसका पालन केवल एकतरफा ही होता रहा। भारत ही इसे निभाता रहा, पाकिस्तान एवं आतंकवादी इसका लगातार उल्लंघन करते रहे और हमले जारी रहे। ऐसे में अब सरकार ने तय किया है कि घाटी में पनप रहे आतंक को मिटाने के लिए फिर से सुरक्षाबल नए सिरे से ऑपरेशन को अंजाम देंगे। देश की सुरक्षा एजेंसियां अब आतंकियों के सफाये में लग जाएंगी। बीते दिनों संघर्ष विराम में सेना को जो क्षति उठानी पड़ी है, उसका हिसाब अब चुकता किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में पिछले एक-दो महीनों से अराजकता फिर से सिर उठाकर खड़ी हो गई। पाकिस्तान की सेना वक्त-बेवक्त सीजफायर का उल्लंघन करके भारतीय सेना के जवानों की कायरतापूर्ण हत्या करने से बाज नहीं आ रही थी। आतंकवाद फिर से फन उठाने लगा था। हालात ये थे कि औरंगजेब नाम के जवान को आतंकियों ने घेरकर और गुस्से में पूछताछ करते हुए मारा।
ईद पर औरंगजेब का शव घर आया तो परिवार की सारी खुशियां काफूर हो गईं। इतना ही नहीं, राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी की भी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह वारदात ईद-उल-फितर के ठीक एक दिन पहले की है। बुखारी एक ख्यात पत्रकार थे, इसलिए उनकी हत्या पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी आहत नज़र आईं। उनके जनाजे में बड़ी तादाद में लोग उमड़े, जिससे पता चलता है कि कश्मीर की जनता आतंकवाद से बुरी तरह त्रस्त हो चुकी है।
कश्मीर में ठीक ईद के दिन हिंसा हुई। इसमें 12 पुलिसकर्मी सहित 45 नागरिक बुरी तरह घायल हुए। कट्टरवादियों के जुल्म की इंतेहा तो तब हो गई, जब कश्मीर में ईद के दिन पाकिस्तान और आईएस के झंडे खुलेआम लहराए गए। आतंकियों ने जिस औरंगजेब नाम के जवान को अकेले में घेरकर मारा, वह बहुत सारे एनकाउंटर में शामिल था। आतंकियों ने औरंगजेब से जिस भाषा में बात की, उसका वीडियो भी सामने आया है।
इसमें पता चलता है कि आतंकियों ने इस बात की पूरी पड़ताल कर रखी थी कि औरंगजेब कितना अहम सिपाही था। वह किन-किन मुठभेड़ों में शामिल था और उसने किन दुर्दांत आतंकियों को मारने में मदद की, इसकी पूरी जानकारी हत्यारों ने निकाल रखी थी और फिर बड़ी बेरहमी से उसे मार दिया।
प्रचार माध्यमों के ज़रिये ये सारी सूचनाएं अब आम हो गईं हैं और अवाम को देखने-सुनने को मिल रही हैं। आखिर रविवार को सरकार ने इस पर अहम निर्णय ले ही लिया, जिसकी अपेक्षा की जा रही थी। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सूचना दी है कि अब सुरक्षाबल ऑपरेशन ऑलआउट के लिए तैयार हैं। इसमें महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि सरकार ने सेना को सभी आवश्यक कदम उठाने की फिर छूट दे दी है। इसका अर्थ यही हुआ कि अब सेना पूरी ताकत से आतंक का खात्मा करने में पुनः जुट जाएगी।
पिछले दिनों सीआरपीएफ के वाहन पर पत्थरबाजों के हमले के वीडियो को देखकर पूरा देश गुस्से में था। सबके मन में सवाल था कि यदि ये हालात हैं, तो आखिर इन पत्थरबाजों का सामना क्यों नहीं किया जा सकता। अब चूंकि सेना नए सिरे से आतंक के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए तैयार है, ऐसे में उम्मीद जताई जा सकती है कि इन पत्थरबाजों सहित घाटी में छुपे आतंकवादियों का भी उन्मूलन हो पाएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)