बुनियादी ढाँचे के विकास को गति दे रही केंद्र सरकार

अगर देश में अच्छी गुणवत्ता का बुनियादी ढाँचा उपलब्ध है तो एक अनुमान के अनुसार  सकल घरेलू उत्पाद में दो प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि सम्भव हो सकती है। लेकिन बुनियादी ढाँचे का विकास देश में अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो सका है। आज केंद्र की वर्तमान सरकार इस ओर विशेष ध्यान दे रही है।

भारत सरकार ने देश में बुनियादी ढाँचे को विकसित करने एवं देश के आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वर्ष 2025 तक 103 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने का निर्णय लिया है। इसके लिए हाल ही में देश में पहली बार एक “राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचा पाइप लाइन” बनाई गई है। जिसके अंतर्गत देश में पूँजी निवेश का पूरा ख़ाका तैयार किया गया है।

जिन परियोजनाओं में निवेश का लक्ष्य सरकार ने निश्चित किया है उनमें ज़्यादातर ऊर्जा, रेलवे, शिक्षा, सिंचाई, शहरी विकास और डिजिटल क्षेत्र से जुड़ी हुई परियोजनाएँ शामिल हैं। इन परियोजनाओं को अगले 5 सालों में शुरू या फिर पूरा कर लिया जाएगा। केंद्र सरकार की 22 मंत्रालयों और अन्य विभागों से जुड़ी ये परियोजनाएं 18 राज्यों में क्रियान्वित होंगी। हालांकि इनमें से 42 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं ऐसी हैं जो क्रियान्वयन के स्तर पर पहुंच चुकी हैं।

आस्ट्रेलिया एवं इंग्लैंड के साथ अन्य कई विकसित देश जो बुनियादी ढाँचे के विकास के मामले में काफ़ी आगे हैं उन्होंने बुनियादी ढाँचा पाइप लाइन न केवल बनाई है बल्कि इसे अपने देशों में सफलतापूर्वक लागू भी किया है। इसके अच्छे परिणाम इन देशों में देखने में आए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में यह घोषणा की थी कि भारत में वर्ष 2025 तक बुनियादी ढाँचे के विकास पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।

सांकेतिक चित्र

इस निवेश को किन क्षेत्रों में किया जाय और किस प्रकार किया जाय तथा वित्त की व्यवस्था किस प्रकार की जाय आदि बातों पर योजना बनाए जाने के उद्देश्य से सितम्बर 2019 में एक टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया था। सचिव, आर्थिक कार्य मंत्रालय इसके अध्यक्ष बनाए गए थे और बुनियादी ढाँचा से सम्बंधित 28 मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों को इस टास्क फ़ोर्स में शामिल किया गया। निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों, वित्तीय संस्थानों एवं बैंक आदि जो इन परियोजनाओं में निवेश करने वाले हैं एवं वित्त उपलब्ध करवाने वाले हैं, उनसे भी चर्चा की गई। साथ ही, इक्विटी निवेशकों और उद्योग संघो से भी विचार विमर्श किया गया। इस प्रकार, सबकी राय जानने के पश्चात ही उक्त बुनियादी ढाँचा पाइप लाइन बनाई गई है।

इस पाइप लाइन के बनाए जाने से बुनियादी ढाँचे से सम्बंधित परियोजनाओं में देश विदेश से निवेशकों को आकर्षित करने में आसानी होगी। क्योंकि, इन निवेशकों को इन परियोजनाओं के लागू किए जाने सम्बंधी समस्त नियमों की पूर्व में ही पूरी जानकारी उपलब्ध रहेगी, इससे उन्हें इसमें निवेश करने सम्बंधी निर्णय एवं तैयारी करने में भी काफ़ी आसानी होगी।

पूरे विश्व में तेज़ी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं जिनमें पूर्वी एशियाई देश भी शामिल हैं, ने अपने सकल घरेलू उत्पाद के 7 से 8 प्रतिशत तक की राशि बुनियादी ढाँचा के विकास पर ख़र्च की है। भारत ने पिछले 10 वर्षों में क़रीब 11,000 करोड़ डॉलर प्रति वर्ष का निवेश बुनियादी ढाँचे के विकास पर किया है, जबकि ज़रूरत है सकल घरेलू उत्पाद के 7 से 8 प्रतिशत तक की राशि ख़र्च करने की। इस प्रकार, 20,000 करोड़ डॉलर प्रतिवर्ष ख़र्च करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी मक़सद को ध्यान में रखकर उक्त राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचा पाइप लाइन बनाई गई है।

बुनियादी ढाँचा सम्बंधी सभी परियोजनाओं में पूँजी का निवेश भारी मात्रा में करना होता है। अतः इन परियोजनाओं की सावधानी पूर्वक निगरानी करना आवश्यक होगा। इन   परियोजनाओं की ज़रूरतें किस प्रकार पूरी हों इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक है।   

यह सब राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचा पाइप लाइन बनाए जाने के बाद आसान हो जाएगा। साथ ही, इसके कार्यक्षेत्र में वे परियोजनाएँ ही लाई गईं हैं जो बैंकों को स्वीकार्य हों तथा स्वयं ही अपने लिए संसाधन उत्पन्न कर सकें। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि इस पाइप लाइन की प्रति वर्ष समीक्षा की जाएगी एवं आवश्यकतानुसार इसके नियमों में फेर बदल किया जाएगा अतः यह योजना अपने आप में लचीली है। 

बुनियादी ढाँचा के अंतर्गत कौन कौन से क्षेत्र ज़्यादा उपयोगी एवं महत्वपूर्ण हैं ताकि इन पर ज़्यादा फ़ोकस किया जाय, उनमें शामिल हो सकते हैं रेल्वे और रोड नेटवर्क जो जन  साधारण को भी सीधे सीधे प्रभावित करते हैं। आज कई महानगरों में बहुत अत्यधिक ट्रैफ़िक के कारण पुलों को पार करने में एक-एक घंटे से भी अधिक का समय लग जाता है। इससे न केवल पेट्रोल की खपत अधिक हो रही है बल्कि नागरिकों का समय भी नष्ट हो रहा है।

यदि किसी देश में बुनियादी ढाँचा विकसित नहीं है तो आज की भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था में, उस देश का वैश्विक स्तर पर प्रतियोगिता में टिक पाना सम्भव नहीं है। अतः आज यह बहुत ज़रूरी है कि देश में बुनियादी ढाँचे का विकास तेज़ किया जाय।  इसके लिए महानगरों में पुलों, शहरों एवं ग्रामों में सड़कों तथा रेल्वे को विकसित किया जाय। आज देश के रेल्वे नेटवर्क पर दबाव बहुत ज़्यादा है। कई अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाएँ हो सकती हैं, शहरी विकास सम्बंधी परियोजना, जल आपूर्ति सम्बंधी परियोजना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सम्बंधी परियोजना, मेट्रो परियोजना, राज्य रोड परियोजना, पावर सेक्टर परियोजना आदि।

हालाँकि केंद्र सरकार तथा कुछ राज्य सरकारें इन क्षेत्रों में सराहनीय प्रयास कर रही है परंतु फिर भी आज बुनियादी ढाँचा पाइप लाइन की आवश्यकता महसूस की जा रही है अतः इसका क्रियान्वयन उचित तरीक़े से होना बहुत ज़रूरी है।

अगर देश में अच्छी गुणवत्ता का बुनियादी ढाँचा उपलब्ध है तो एक अनुमान के अनुसार  सकल घरेलू उत्पाद में दो प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि सम्भव हो सकती है। लेकिन बुनियादी ढाँचे का विकास देश में अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो सका है। आज केंद्र की वर्तमान सरकार इस ओर विशेष ध्यान दे रही है। उक्त योजना को लागू करने हेतु केंद्र सरकार, राज्य सरकारें एवं निजी क्षेत्र मिलकर कार्य करेंगे। इसलिए, इस योजना में यह भी प्रावधान स्पष्ट रूप से कर दिया गया है कि योजना के कुल आकार में से 39 प्रतिशत निवेश केंद्र सरकार करेगी, 39 प्रतिशत निवेश राज्य सरकारें करेंगी एवं शेष 22 प्रतिशत निवेश निजी क्षेत्र को करना होगा।

भूमि अर्जन, यूटिलिटी का स्थानांतरण – पानी का पाइप, बिजली के तार, रेल्वे ट्रैक आदि सम्बंधित कार्य, परियोजना लागू होने के पूर्व ही, पूर्ण हो जाने चाहिए। बाद में, इस तरह के कार्य परियोजना की सफलता में बाधा डालते हैं। इसके लिए विभिन्न विभागों को आपस में सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक होगा। सरकार इन बिन्दुओं पर ध्यान दे भी रही है और उम्मीद है कि यह पहल देश के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने में कारगर सिद्ध होगी।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)